**यहोशू 14: कालेव का विश्वास और धैर्य**
प्राचीन काल में, जब इस्राएली मिस्र की दासता से छूटकर यरदन नदी पार करके वादा किए हुए देश में प्रवेश कर रहे थे, तब मूसा के सेवक यहोशू ने उनका नेतृत्व संभाला। इस्राएल के गोत्रों ने कनान देश के विभिन्न भागों को अपने-अपने हिस्से के रूप में प्राप्त करना शुरू किया। परन्तु एक व्यक्ति ऐसा था जिसने चालीस वर्ष पहले ही अपनी मीरास के लिए विश्वास दिखाया था—वह था कालेव बिन यपुन्ने, यहूदा गोत्र का एक शक्तिशाली और विश्वासयोग्य योद्धा।
### **कालेव की यादें**
एक दिन, जब यहूदा गोत्र के पुरुष यहोशू के पास इकट्ठा हुए, तब कालेव आगे बढ़ा। उसकी आँखों में चमक थी, और उसके चेहरे पर वही दृढ़ संकल्प झलक रहा था जो चालीस वर्ष पहले कादेश-बर्निया में दिखाई दिया था। उसने यहोशू से कहा, *”तू जानता है कि यहोवा ने मूसा से, जो परमेश्वर का जन था, कादेश-बर्निया में हम दोनों के विषय में क्या कहा था।”*
कालेव ने उन दिनों को याद किया जब मूसा ने बारह जासूसों को कनान देश की जाँच करने भेजा था। दस जासूसों ने डरकर कहा था कि वहाँ के निवासी बलवान हैं और नगर बड़े और सुदृढ़ हैं। परन्तु कालेव और यहोशू ने परमेश्वर पर भरोसा रखा और इस्राएलियों से कहा, *”हम निःसन्देह उस देश पर चढ़ाई कर सकते हैं, क्योंकि हम उस पर अधिकार कर सकते हैं!”*
### **विश्वास का प्रतिफल**
कालेव ने यहोशू से कहा, *”उस समय मूसा ने मुझसे वचन दिया कि जिस पहाड़ी देश पर तूने पैर रखा, वह सदा के लिए तेरा और तेरे वंश का होगा, क्योंकि तूने यहोवा मेरे परमेश्वर का पूरी रीति से अनुसरण किया।”*
अब पैंतालीस वर्ष बीत चुके थे। इस्राएलियों ने जंगल में भटकते हुए अपनी पीढ़ी को खो दिया था, परन्तु कालेव अब भी उतना ही बलवान था जितना उस समय था। उसने कहा, *”देख, आज भी मैं पचासी वर्ष का होने पर भी उतना ही सबल हूँ जितना उस दिन था जब मूसा ने मुझे भेजा था। जो शक्ति तब थी, वह आज भी मुझमें है, युद्ध करने और निकलने-भरने के लिए!”*
### **हेब्रोन की विजय**
कालेव ने यहोशू से एक विशेष निवेदन किया: *”अतः आज मुझे यह पहाड़ी प्रदेश दिया जाए जिसके विषय में यहोवा ने उस दिन कहा था। तू ने सुना ही होगा कि वहाँ अनाक के लोग रहते हैं और बड़े-बड़े गढ़वाले नगर हैं। सम्भव है यहोवा मेरे साथ रहे, जैसा उसने कहा, तो मैं उन्हें वहाँ से निकाल दूँगा!”*
यहोशू ने कालेव को आशीर्वाद दिया और हेब्रोन का क्षेत्र उसे दे दिया, क्योंकि उसने यहोवा का पूरी रीति से अनुसरण किया था। तब कालेव ने हेब्रोन पर चढ़ाई की, जहाँ अनाक के तीन बलवान पुत्र—शेशै, अहीमन, और तल्मै—रहते थे। परन्तु कालेव ने अपने विश्वास और परमेश्वर की सहायता से उन्हें पराजित किया और उस नगर को जीत लिया।
### **परमेश्वर की विश्वासयोग्यता**
इस प्रकार, कालेव ने अपने धैर्य और विश्वास का प्रतिफल पाया। उसने चालीस वर्ष तक प्रतीक्षा की, परन्तु परमेश्वर का वचन उसके लिए सत्य सिद्ध हुआ। हेब्रोन सदा के लिए कालेव और उसके वंश की मीरास बन गया, क्योंकि उसने अपने परमेश्वर यहोवा पर दृढ़ भरोसा रखा।
इस कहानी से हम सीखते हैं कि परमेश्वर उन्हें कभी नहीं भूलता जो उसके वचन पर अटल रहते हैं। विश्वास और धैर्य से प्रतीक्षा करने वालों को अवश्य ही उनका प्रतिफल मिलता है, क्योंकि यहोवा अपने वायदों को पूरा करने में सदा विश्वासयोग्य है।