पवित्र बाइबल

विवाहित हृदयों का पर्व: देउतेरोनोमी 16 की कहानी

**विवाहित हृदयों का पर्व: विस्तृत कहानी (देउतेरोनोमी 16 के आधार पर)**

भूमिका:
मोआब की घाटी में, जहाँ सूरज की किरणें पहाड़ों से टकराकर सुनहरी चादर बिछा देती थीं, इस्राएल की भीड़ एकत्र हुई। मूसा, जिसके चेहरे पर परमेश्वर का तेज चमकता था, ने लोगों को आगे बुलाया। उसकी आवाज़ में गंभीरता और प्यार दोनों समाया हुआ था। “हे इस्राएल के लोगों,” उसने कहा, “यहोवा ने तुम्हारे लिए विशेष पर्वों की व्यवस्था दी है। इन्हें मनाकर तुम अपने परमेश्वर की महिमा करोगे और उसकी कृपा को याद रखोगे।”

### **1. फसह का पर्व: मुक्ति की याद**
मूसा ने बताया कि कैसे अबीब (निसान) के महीने में, जब वसंत की हवा खेतों में खुशबू बिखेरती है, इस्राएल को फसह का पर्व मनाना है। “जब तुम्हारे बच्चे पूछें कि इस बलिदान का क्या अर्थ है, तो उन्हें बताना,” मूसा ने कहा, “कि यह यहोवा की महान मुक्ति का प्रतीक है। उस रात जब हम मिस्र में थे, परमेश्वर ने हमारे घरों को छोड़ दिया, लेकिन दुष्टों को दंड दिया।”

लोगों ने ध्यान से सुना। उन्हें याद आया कि कैसे उनके पूर्वजों ने दाखरस और बिना खमीर की रोटी के साथ जल्दबाज़ी में यह पर्व मनाया था। मूसा ने स्पष्ट किया कि अब वे चुने हुए स्थान—वह स्थान जहाँ यहोवा अपना नाम स्थापित करेगा—पर इकट्ठा होंगे। “सात दिन तक खमीर रहित रोटी खाना,” उसने कहा, “क्योंकि खमीर पाप का प्रतीक है। तुम्हारा हर कौर तुम्हें शुद्धता की याद दिलाएगा।”

### **2. सब्तों का सप्ताह: फसल और आनंद**
फिर मूसा ने सब्तों के सप्ताह (पिन्तेकुस्त) के बारे में बताया। “जब तुम अपने खेतों में गेहूँ काटो,” उसने कहा, “तो यहोवा के लिए एक स्वैच्छिक भेंट लेकर आना।” उसने विस्तार से समझाया कि कैसे हर परिवार को अपनी फसल का कुछ अंश परमेश्वर को अर्पित करना है। “यह भेंट तुम्हारे श्रम का प्रथम फल होगी,” मूसा ने कहा, “ताकि तुम यह न भूलो कि तुम्हारी समृद्धि का स्रोत यहोवा ही है।”

लोगों के चेहरे खुशी से चमक उठे। उन्होंने कल्पना की कि कैसे वे अपने बच्चों, सेवकों, और यहाँ तक कि लेवियों और परदेशियों के साथ मिलकर खुशी मनाएँगे। “याद रखो,” मूसा ने जोर देकर कहा, “यह पर्व केवल रीति-रिवाज नहीं है, बल्कि तुम्हारे हृदय की आराधना है।”

### **3. झोपड़ियों का पर्व: विश्राम और कृतज्ञता**
अंत में, मूसा ने झोपड़ियों के पर्व (सुक्कोत) का वर्णन किया। “जब तुम अपने खलिहान और दाखमधुशाला से फसल इकट्ठा कर लो,” उसने कहा, “तो सात दिन तक झोपड़ियों में रहकर उत्सव मनाना।” उसने याद दिलाया कि कैसे उनके पूर्वजों को मरुभूमि में परमेश्वर ने सुरक्षा दी थी। “यह पर्व तुम्हें सिखाता है कि धरती पर हमारा निवास अस्थायी है, लेकिन परमेश्वर की छाया में हम सदैव सुरक्षित हैं।”

### **निष्कर्ष: आज्ञाकारिता और आशीष**
मूसा ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, “इन पर्वों को मनाकर तुम न केवल परमेश्वर की आराधना करोगे, बल्कि अपनी अगली पीढ़ी को भी उसकी महानता सिखाओगे।” उसने चेतावनी भी दी: “यदि तुम इन्हें भूल जाओगे, तो तुम्हारा हृदय दूसरे देवताओं की ओर मुड़ जाएगा।”

लोगों ने मौन सहमति में सिर हिलाया। उनके मन में यह बात गहराई से उतर गई कि ये पर्व केवल उत्सव नहीं, बल्कि उनके विश्वास की नींव हैं। जैसे सूरज अस्त होने लगा, वैसे ही उनके हृदयों में आशा की लौ जगमगा उठी—एक ऐसी आशा जो उन्हें परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं की ओर ले जाती थी।

**समाप्ति**

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