**1 राजाओ 6: सुलैमान का मन्दिर निर्माण**
भगवान के चुने हुए राजा दाऊद के पुत्र सुलैमान ने इस्राएल पर शासन किया। उसके शासनकाल के चौथे वर्ष में, जो कि यरूशलेम से निकलने के चार सौ अस्सीवें वर्ष में था, सुलैमान ने यहोवा के लिए एक भव्य मन्दिर बनाने का निर्णय लिया। यह वही स्थान था जहाँ उसके पिता दाऊद ने भगवान की आराधना की थी और जहाँ परमेश्वर ने उनसे वादा किया था कि उनका पुत्र ही उनके नाम का घर बनाएगा।
### **मन्दिर की योजना और निर्माण**
सुलैमान ने सोर के राजा हीराम से संपर्क किया, जो उसके पिता दाऊद का मित्र था। हीराम ने अपने कुशल कारीगरों और बढ़ईयों को भेजा, साथ ही बहुमूल्य देवदार की लकड़ी भी भेजी, जो लबानान के पहाड़ों से काटी गई थी। राजा ने इस्राएल के हजारों मजदूरों को काम पर लगाया, जो पत्थर तराशने, लकड़ी काटने और सोने-चाँदी से मन्दिर को सजाने का काम करते थे।
मन्दिर का डिज़ाइन स्वयं यहोवा ने दाऊद को दिया था, और सुलैमान ने उसे पूरी श्रद्धा से पालन किया। मन्दिर की लंबाई साठ हाथ, चौड़ाई बीस हाथ और ऊँचाई तीस हाथ थी। मुख्य भवन के सामने एक बरामदा बनाया गया, जिसकी लंबाई बीस हाथ थी और चौड़ाई दस हाथ। मन्दिर की दीवारें देवदार की लकड़ी से ढकी गईं, और फर्श को सोने से मढ़ा गया।
### **पवित्र स्थान और अति पवित्र स्थान**
मन्दिर के भीतरी भाग को दो भागों में बाँटा गया—पवित्र स्थान और अति पवित्र स्थान। पवित्र स्थान में सोने से मढ़े हुए दीपाधार, मेज़ और धूप की वेदी रखी गई। अति पवित्र स्थान, जहाँ परमेश्वर की उपस्थिति विराजमान होती, वहाँ सोने से ढके दो करूब (स्वर्गदूत) रखे गए, जिनके पंख फैले हुए थे और वे परमपवित्र सन्दूक को ढकते थे। इस कक्ष में केवल महायाजक ही प्रवेश कर सकता था, और वह भी साल में एक बार, प्रायश्चित के दिन।
### **भगवान का वचन और वादा**
जब मन्दिर का निर्माण चल रहा था, तब यहोवा ने सुलैमान से कहा:
*”यदि तू मेरी विधियों पर चले, मेरे नियमों को माने, और मेरी सब आज्ञाओं को पूरा करे, तो मैं तेरे पिता दाऊद से किया हुआ अपना वचन पूरा करूँगा। मैं इस्राएलियों के बीच निवास करूँगा और अपनी प्रजा इस्राएल को कभी नहीं छोड़ूँगा।”*
सुलैमान ने सात साल तक मन्दिर का निर्माण किया, और उसे पूरी तरह से सोने, चाँदी और बहुमूल्य पत्थरों से सजाया। जब काम पूरा हुआ, तो यहोवा की महिमा एक बादल के रूप में मन्दिर में उतरी, और सभी इस्राएली जान गए कि परमेश्वर ने अपने वचन को पूरा किया है।
इस प्रकार, सुलैमान ने परमेश्वर के लिए एक अद्भुत मन्दिर बनाया, जो न केवल उसकी भक्ति का प्रतीक था, बल्कि इस्राएल और यहोवा के बीच अनन्त वाचा का चिन्ह भी बना।