पवित्र बाइबल

दाऊद द्वारा लेवियों की सेवाकार्य में नियुक्ति

# **दाऊद का आदेश: लेवियों की सेवाकार्य के लिए नियुक्ति**
*(1 इतिहास 23 पर आधारित एक विस्तृत कहानी)*

## **भूमिका**
यरूशलेम का राजमहल सोने की किरणों से जगमगा रहा था। राजा दाऊद वृद्ध हो चुके थे, परन्तु उनकी आँखों में परमेश्वर के प्रति समर्पण की ज्वाला अभी भी धधक रही थी। उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिनों में एक महान कार्य करने का निश्चय किया—वह यहोवा के मन्दिर की तैयारी के लिए लेवीयों को व्यवस्थित करना चाहते थे। उनका हृदय इसी विचार में डूबा हुआ था कि कैसे परमेश्वर की सेवा सुचारु रूप से चलती रहे।

## **लेवियों की गणना**
एक दिन, राजा दाऊद ने अपने विश्वासपात्र याजकों, नबियों और अधिकारियों को बुलाया। उन्होंने आदेश दिया, **”सारे इस्राएल में से लेवीयों को इकट्ठा करो और उनकी गिनती करो।”**

लेवीयों का वंश तीन प्रमुख परिवारों—गेर्शोन, कहात और मरारी—में विभाजित था। दाऊद ने उन सभी को बुलवाया, जो तीस वर्ष और उससे अधिक आयु के थे। जब गिनती पूरी हुई, तो संख्या अद्भुत थी—**38,000 पुरुष** सेवा के योग्य पाए गए।

## **लेवियों के कार्यों का विभाजन**
दाऊद ने उन सभी को अलग-अलग सेवाओं में नियुक्त किया:

1. **मन्दिर के कार्य के लिए (24,000 लेवीय):**
ये लोग यहोवा के भवन के निर्माण, साज-सज्जा और दैनिक सेवाकार्य में लगे। वे पवित्र स्थान की सफाई, बलिदान की सामग्री तैयार करने और याजकों की सहायता करने के लिए नियुक्त थे।

2. **अधिकारी और न्यायकर्ता (6,000 लेवीय):**
इन्हें इस्राएल के विभिन्न नगरों में न्याय करने और परमेश्वर की व्यवस्था सिखाने का दायित्व दिया गया। वे लोगों के बीच झगड़ों का निपटारा करते और धार्मिक शिक्षा देते।

3. **द्वारपाल (4,000 लेवीय):**
ये लोग मन्दिर के द्वारों की रखवाली करते, भक्तों का स्वागत करते और अनधिकृत लोगों को अंदर जाने से रोकते।

4. **स्तुति और भजन गायक (4,000 लेवीय):**
दाऊद, जो स्वयं एक कुशल भजन गायक थे, ने इन लेवीयों को संगीत के वाद्ययंत्र—वीणा, सारंगी, झाँझ और तुरही—बजाने के लिए नियुक्त किया। ये लोग परमेश्वर की स्तुति में निरंतर भजन गाते रहते थे।

## **परिवारों के अनुसार विभाजन**
दाऊद ने लेवीयों को उनके पूर्वजों के घरानों के अनुसार भी विभाजित किया:

– **गेर्शोन के वंशज:** ये मन्दिर के पर्दे, आवरण और अन्य वस्त्रों की देखभाल करते थे।
– **कहात के वंशज:** ये पवित्र सामान—सन्दूक, मेज, दीवट और वेदी—का ध्यान रखते थे।
– **मरारी के वंशज:** ये मन्दिर की लकड़ी की बनी हुई चीज़ों, खम्भों और आधारों की जिम्मेदारी संभालते थे।

## **दाऊद का अंतिम निर्देश**
सभी व्यवस्थाएँ पूरी करने के बाद, दाऊद ने लेवीयों को सम्बोधित किया:
**”हे लेवीयों, यहोवा ने तुम्हें इस्राएल की सेवा के लिए चुना है। अब तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम पवित्रता और समर्पण के साथ परमेश्वर के कार्य में लगे रहो। मैंने तुम्हारे लिए सब कुछ व्यवस्थित कर दिया है, अब मेरा पुत्र सुलैमान मन्दिर का निर्माण करेगा, और तुम्हें उसकी सहायता करनी है।”**

लेवीयों ने एक स्वर में उत्तर दिया, **”हम आपकी आज्ञा और यहोवा की इच्छा पूरी करेंगे!”**

## **उपसंहार**
इस प्रकार, राजा दाऊद ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में लेवीयों को सुव्यवस्थित किया, ताकि परमेश्वर की सेवा निर्बाध रूप से चलती रहे। उनकी यह योजना न केवल उस समय के लिए बल्कि भविष्य के लिए भी एक आदर्श बन गई। लेवीयों ने अपनी भूमिका निभाई, और सुलैमान के शासनकाल में यहोवा का भवन महिमा से भर गया।

**इस प्रकार, दाऊद ने न केवल एक राज्य, बल्कि एक ऐसी विरासत छोड़ी, जिसमें परमेश्वर की आराधना सर्वोपरि थी।**


*(यह कहानी 1 इतिहास 23 पर आधारित है और इसे हिन्दी बाइबल की शैली में लिखा गया है।)*

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