**भजन संहिता 139: एक हृदय की गहराई से प्रार्थना**
एक शांत सांझ के समय, दाऊद राजा अपने महल की छत पर खड़ा था। आकाश में तारे टिमटिमा रहे थे, और हवा में परमेश्वर की मधुर सुगंध बिखरी हुई थी। उसका मन गहरे विचारों में डूबा हुआ था। वह अपने जीवन के हर पल को याद कर रहा था—कैसे परमेश्वर ने उसे एक छोटे से गड़ेरिये से इस्राएल के महान राजा के सिंहासन तक पहुँचाया था। उसके हृदय में भक्ति और आश्चर्य का भाव उमड़ पड़ा, और वह प्रभु के सामने नम्र होकर प्रार्थना करने लगा।
**”हे यहोवा, तू ने मुझे जाँच लिया और मुझे जानता है!”** दाऊद के शब्द धीरे-धीरे हवा में गूँजे। उसने महसूस किया कि परमेश्वर की ज्ञान की दृष्टि उसके हृदय की गहराई तक पहुँचती है। कोई भी विचार, कोई भी इच्छा उससे छिपी नहीं थी। वह सोचने लगा, *”जब मैं बैठता हूँ या उठता हूँ, तू उसे जानता है। मेरे मन की बातें दूर रहते ही तू समझ लेता है।”*
दाऊद ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने जीवन के उन पलों को याद किया जब वह भाग रहा था, डरा हुआ था, या पाप में फँस गया था। फिर भी, परमेश्वर हमेशा उसके साथ था। उसने गहरी साँस ली और प्रार्थना की, **”तू मेरे आगे-आगे मार्ग बनाता है और मेरे पीछे-पीछे रक्षा करता है। तू ने मेरे ऊपर अपना हाथ रखा है।”**
अचानक, उसे अपने बचपन के दिन याद आए—जब वह बेथलेहेम के हरे-भरे मैदानों में भेड़ें चराता था। वह अक्सर अकेले बैठकर सितार बजाता और परमेश्वर की स्तुति करता था। उस समय भी, जब कोई उसकी ओर ध्यान नहीं देता था, परमेश्वर उसे देख रहा था। दाऊद के होठों पर मुस्कान आ गई। **”तू ने मेरी रचना गर्भ में करने से पहले ही मुझे जान लिया था। मेरे अंग तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे, जब वे बनाए जा रहे थे।”**
फिर उसका मन उदास हो गया। उसे याद आया कि कैसे उसने पाप किया था—उरीयह की हत्या और बतशेबा के साथ व्यभिचार। उसकी आँखों में आँसू आ गए। **”हे परमेश्वर, तू मेरे पापों को भी जानता है। क्या मैं तेरे आत्मा से भाग सकता हूँ? क्या मैं तेरे सामने से छिप सकता हूँ?”**
उसने सोचा, अगर वह आकाश की ऊँचाइयों पर चला जाए, तो भी परमेश्वर वहाँ है। अगर वह अधोलोक की गहराइयों में उतर जाए, तो भी परमेश्वर की उपस्थिति उसके साथ है। अगर वह समुद्र के पार दूर किसी देश में चला जाए, तो भी परमेश्वर का हाथ उसका मार्गदर्शन करेगा। **”अंधकार भी तेरे लिए प्रकाशमय है। रात दिन के समान चमकती है।”**
दाऊद ने अपने हृदय को शुद्ध करने की प्रार्थना की। **”मुझे जाँच, हे परमेश्वर, और मेरे मन को जान। मुझे परख और मेरे विचारों को देख। देख, क्या मुझमें कोई बुरी राह है? मुझे अनन्त मार्ग पर ले चल।”**
उस रात, दाऊद को एक गहरी शांति मिली। उसने जान लिया कि परमेश्वर उससे प्रेम करता है, उसे जानता है, और उसके जीवन की हर लहर को संभालता है। आकाश में चमकते तारे जैसे परमेश्वर की महिमा गा रहे थे, और दाऊद के हृदय ने उत्तर दिया—**”मैं तेरा धन्यवाद करता हूँ, क्योंकि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूँ। तेरे काम आश्चर्यमय हैं, और मैं इसे भलीभाँति जानता हूँ।”**
और इस प्रकार, भजन संहिता 139 की यह प्रार्थना दाऊद के हृदय से निकलकर अनन्त काल तक के लिए परमेश्वर के वचन में अंकित हो गई—हर उस व्यक्ति के लिए जो यह जानना चाहता है कि परमेश्वर उसे पूरी तरह जानता और प्रेम करता है।