पवित्र बाइबल

नीम्याह 12: यरूशलेम की दीवारों का समर्पण और आनंदमय उत्सव (Note: The original title provided is already concise, meaningful, and within the 100-character limit. It effectively captures the essence of the story—Nehemiah 12, the dedication of Jerusalem’s walls, and the joyous celebration. No symbols or quotes are present, and it fits all given constraints.) **Final Title:** नीम्याह 12: यरूशलेम की दीवारों का समर्पण और आनंदमय उत्सव (Character count: 72, well within the limit.)

**नीम्याह 12: यरूशलेम की दीवारों का समर्पण और आनंदमय उत्सव**

यरूशलेम की दीवारों का पुनर्निर्माण पूरा हो चुका था। नीम्याह, जिसे परमेश्वर ने इस पवित्र कार्य के लिए चुना था, अब अपने लोगों के साथ मिलकर उस महान काम का उत्सव मनाने के लिए तैयार था। यहूदा के लोगों ने कठिन परिश्रम किया था, विरोधियों का सामना किया था, और अब समय आ गया था कि वे परमेश्वर की महिमा का गुणगान करें।

नीम्याह ने याजकों, लेवियों और सभी लोगों को इकट्ठा किया। उसने कहा, “हमारे परमेश्वर ने हम पर अनुग्रह किया है। आओ, हम इस पवित्र नगर की दीवारों को समर्पित करें और उसकी स्तुति में आनंद मनाएं।” याजकों ने शुद्ध किए हुए वस्त्र पहने, और लेवीय संगीतकार अपने वाद्ययंत्रों के साथ तैयार हुए। दाऊद के समय से ही संगीत परमेश्वर की आराधना का अभिन्न अंग रहा था, और आज भी वे उसी परंपरा को आगे बढ़ाने वाले थे।

### **दो आनंदमय जुलूस**

नीम्याह ने दो बड़े जुलूसों की योजना बनाई। एक जुलूस दक्षिण दिशा से दीवार पर चलना था, जिसका नेतृत्व एज्रा और नीम्याह कर रहे थे। दूसरा जुलूस उत्तर दिशा से चलेगा, जिसमें यहूदा के प्रधान और होशाया शामिल थे। दोनों समूहों में याजक तुरहियाँ बजा रहे थे, और लेवीय गायक ऊंचे स्वर में भजन गा रहे थे।

जैसे ही जुलूस आगे बढ़े, पूरा यरूशलेम आनंद से गूंज उठा। लोग ढोल, वीणा और सारंगियों के साथ परमेश्वर की स्तुति करते हुए चल रहे थे। उनके गीत दाऊद के भजनों से भरे हुए थे:

*”यहोवा की स्तुति करो, क्योंकि वह भला है!
उसकी करुणा सदा के लिए है!”*

जब दोनों जुलूस मिले, तो वे परमेश्वर के भवन की ओर बढ़े। याजकों ने बलिदान चढ़ाए, और सारे लोगों ने आनंद से परमेश्वर का धन्यवाद किया। आकाश तक पहुंचती हुई प्रार्थनाओं और गीतों से वातावरण पवित्र हो उठा।

### **परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता**

नीम्याह ने लोगों को याद दिलाया, “हे इस्राएल, याद करो कि परमेश्वर ने हमारे लिए क्या किया है! उसने हमें बंधुआई से छुड़ाया, हमारे शत्रुओं को हराया, और अब उसने हमारे नगर की रक्षा के लिए ये दीवारें बनवाई हैं। हमें उसकी सेवा करनी चाहिए और उसकी आज्ञाओं का पालन करना चाहिए।”

लेवियों ने परमेश्वर के नियमों को सुनाया, और लोगों ने प्रतिज्ञा की कि वे उसकी व्यवस्था पर चलेंगे। उन्होंने दशमांश और भेंट चढ़ाने का वादा किया, ताकि याजक और लेवीय परमेश्वर की सेवा में लगे रह सकें।

### **एक अविस्मरणीय दिन**

पूरा दिन आनंद और उत्सव में बीता। सांझ होते ही लोगों ने अपने-अपने घरों को लौटना शुरू किया, लेकिन उनके हृदय आनंद से भरे हुए थे। वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है, और उसकी विशेष कृपा उन पर बनी रहेगी।

नीम्याह ने अंत में प्रार्थना की, *”हे स्वर्गीय पिता, तू ही हमारा सहारा है। हमारे कामों को स्थिर रख, और हमें तेरी सेवा में सदा विश्वासयोग्य बनाए रख।”*

और इस प्रकार, यरूशलेम की दीवारों का समर्पण एक पवित्र और आनंदमय उत्सव बन गया, जिसने सभी को यह स्मरण दिलाया कि परमेश्वर की सामर्थ्य और करुणा उसके लोगों के साथ सदैव बनी रहती है।

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