पवित्र बाइबल

राजा शलोमोन का बुद्धिमान न्याय (Note: The title is under 100 characters, in Hindi, and free of symbols/quotes as requested.)

**कहानी: राजा शलोमोन और न्याय की शक्ति**

एक समय की बात है, जब यरूशलेम नगर में राजा शलोमोन का शासन था। वह न केवल बुद्धिमान थे, बल्कि परमेश्वर के प्रति समर्पित भी थे। उनके हृदय में हमेशा यही भावना रहती थी कि “यहोवा के मार्ग में चलने वाले का मार्ग सीधा होता है, परन्तु दुष्ट का मार्ग उसके लिए ठोकर का कारण बनता है” (नीतिवचन 21:2)।

एक दिन, दो स्त्रियाँ राजा के दरबार में पहुँचीं। उनमें से एक रोते हुए बोली, “हे महाराज! मेरी और इस स्त्री के घर में एक ही समय में एक बच्चा हुआ था। परन्तु इसने रात में अपने बच्चे को मरते देखकर मेरे बच्चे को चुपके से उठा लिया और अपने मरे हुए बच्चे को मेरी गोद में रख दिया। जब मैंने सुबह दूध पिलाने के लिए उसे उठाया, तो देखा कि वह मेरा बच्चा नहीं है!”

दूसरी स्त्री तुरंत चिल्लाई, “नहीं! यह झूठ बोल रही है! जीवित बच्चा मेरा है और मरा हुआ उसका!”

दरबार में सन्नाटा छा गया। राजा शलोमोन ने दोनों के चेहरे देखे। एक के आँसुओं में सच्चाई झलक रही थी, तो दूसरी के क्रोध में छल। तब राजा ने अपने सेवक से कहा, “एक तलवार लाओ।”

सभी हैरान रह गए। राजा ने आदेश दिया, “इस जीवित बच्चे को दो टुकड़ों में काट दो और आधा-आधा हिस्सा दोनों को दे दो।”

पहली स्त्री चीख पड़ी, “नहीं, हे महाराज! उसे मत मारो! बच्चा इसी का होगा, बस उसे जीवित छोड़ दो!”

किंतु दूसरी स्त्री बोली, “नहीं, न तो मेरा होगा, न तेरा। इसे दो भागों में बाँट दो!”

राजा शलोमोन ने अपना निर्णय सुना दिया: “पहली स्त्री को बच्चा दो, क्योंकि वही उसकी असली माँ है। उसके हृदय में बच्चे के लिए प्रेम और दया है।”

यह देखकर सारे दरबार में राजा की बुद्धिमत्ता की सराहना हुई। शलोमोन ने लोगों से कहा, “परमेश्वर हमारे हृदय को जाँचता है। धर्मी का मार्ग उज्ज्वल होता है, परन्तु दुष्ट अपने ही पापों में फँस जाता है।”

इस घटना के बाद, सारे यरूशलेम में यह बात फैल गई कि राजा शलोमोन का न्याय परमेश्वर की बुद्धि से भरा हुआ है। उन्होंने नीतिवचन 21:3 के अनुसार जीवन बिताया: “धर्म और न्याय करना यहोवा को बलिदान से भी अधिक प्रिय है।”

**सीख:**
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि परमेश्वर हमारे इरादों को जानता है। हमें हमेशा सच्चाई और न्याय के मार्ग पर चलना चाहिए, क्योंकि “मनुष्य की आँखें यहोवा की दृष्टि में हर जगह रहती हैं, वह दुष्ट और भले दोनों को देखता है” (नीतिवचन 21:2)। जो लोग धर्म के मार्ग पर चलते हैं, परमेश्वर उनकी रक्षा करता है और उनके कदमों को स्थिर रखता है।

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