**भजन संहिता 107 की कहानी: परमेश्वर की करुणा और छुटकारे की महिमा**
प्राचीन काल में, जब इस्राएल के लोग विभिन्न संकटों और आपदाओं से घिरे हुए थे, तब उन्होंने अपने हृदय की गहराई से परमेश्वर को पुकारा। उनकी पुकार सुनकर, प्रभु ने उन्हें उनके संकटों से छुड़ाया और उन पर अपनी असीम करुणा दिखाई। यह वही कहानी है जो भजन संहिता 107 में वर्णित है—एक कहानी जो हमें सिखाती है कि परमेश्वर हमेशा अपने बच्चों की पुकार सुनता है और उन्हें बचाता है।
### **1. बंजर भूमि में भटकते हुए**
कुछ लोग बंजर और सुनसान मरुभूमि में भटक रहे थे। वे एक निर्जल और निराश्रय स्थान में फंसे हुए थे, जहाँ कोई रास्ता नहीं दिखाई देता था। उनकी आत्मा प्यास और भूख से व्याकुल हो गई थी, और वे हताशा से भर गए। तब उन्होंने अपनी विपत्ति में यहोवा को पुकारा। प्रभु ने उनकी विनती सुनी और उन्हें सीधे मार्ग पर चलाकर एक बस्ती तक पहुँचाया, जहाँ उनकी सभी आवश्यकताएँ पूरी हुईं। उन्होंने परमेश्वर की स्तुति की, क्योंकि उसने उनकी प्यास बुझाई और उनकी भूख शांत की।
### **2. अंधकार में बंद कैदी**
कुछ अन्य लोग अंधियारी कोठरियों में बंद थे। वे अपने ही पापों और अवज्ञा के कारण लोहे की जंजीरों से जकड़े हुए थे। उन्होंने परमेश्वर के वचनों को ठुकराया था और उसकी सलाह को तुच्छ समझा था, इसलिए वे दुःख और यातना में पड़ गए। जब उनकी सारी आशा समाप्त हो गई, तब उन्होंने प्रभु की दया के लिए रो-रोकर प्रार्थना की। तब परमेश्वर ने उनके कष्ट देखे और उनकी बेड़ियाँ तोड़ डालीं। उसने उन्हें गहरे अंधकार से निकालकर उजाले में लाया। उन्होंने यहोवा के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की, क्योंकि उसने उन्हें शैतान के बंधनों से स्वतंत्र कर दिया था।
### **3. समुद्र की भयंकर लहरों में फँसे मल्लाह**
कुछ लोग समुद्र में जहाज़ चला रहे थे, तभी एक भयानक तूफ़ान उठ खड़ा हुआ। ऊँची-ऊँची लहरें जहाज़ को डुबोने को आतुर थीं, और वे नाविक अपनी जान बचाने के लिए व्याकुल हो गए। वे इधर-उधर लड़खड़ाते हुए, समुद्र के कोप के सामने निर्बल प्रतीत हो रहे थे। तब उन्होंने यहोवा की दया के लिए चिल्लाकर प्रार्थना की। प्रभु ने तूफ़ान को शांत कर दिया, और लहरें धीरे-धीरे थम गईं। उसने उन्हें सुरक्षित तट तक पहुँचाया, और वे उसकी महिमा गाने लगे, क्योंकि उसने उन्हें नाश होने से बचा लिया था।
### **4. बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने वाला परमेश्वर**
एक समय की बात है, कुछ लोग एक बंजर और सूखी भूमि में रहते थे। वहाँ न तो फसल उगती थी और न ही पानी की कोई धारा बहती थी। लोग भूख और प्यास से तड़प रहे थे। परन्तु जब उन्होंने यहोवा से प्रार्थना की, तो उसने बंजर भूमि को हरे-भरे मैदानों में बदल दिया। उसने नदियों को सूखी धरती पर बहा दिया और उपजाऊ खेतों में अन्न उगाया। लोगों ने आनन्दित होकर परमेश्वर की स्तुति की, क्योंकि उसने उनकी आवश्यकताओं को पूरा किया और उन्हें समृद्धि दी।
### **5. संकट से उबारने वाला प्रभु**
भजन संहिता 107 हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर अपने प्रेम में सदैव स्थिर रहता है। चाहे कोई मरुभूमि में भटक रहा हो, अंधकार में कैद हो, समुद्र की लहरों से घिरा हो, या बंजर भूमि में जीवन की आशा खो चुका हो—यदि वह पश्चाताप करके परमेश्वर की ओर मुड़ता है, तो वह उसे अवश्य बचाता है। उसकी करुणा अनन्त है, और उसके आश्चर्यकर्म अनगिनत हैं।
इस्राएल के लोगों ने यह अनुभव किया और सारे संसार को यह बताया कि **”यहोवा की करुणा सदैव बनी रहती है!”** जो कोई भी उसकी स्तुति करता है और उसके कामों को प्रकट करता है, वही बुद्धिमान है।
**इस प्रकार, भजन संहिता 107 हमें याद दिलाती है कि परमेश्वर हमारी हर पुकार सुनता है और हमें हर संकट से छुड़ाता है। उसकी महिमा सदैव बनी रहे!**