पवित्र बाइबल

परमेश्वर का न्याय और धर्मियों की विजय

**कहानी: परमेश्वर का न्याय और अनुग्रह**

एक समय की बात है, जब यहूदा के एक छोटे से गाँव में लोग अत्याचार और अन्याय से पीड़ित थे। दुष्ट लोगों का बोलबाला था, और धर्मी लोग दबाए जा रहे थे। गाँव के बुजुर्गों ने देखा कि अहंकारी लोग सिर उठाकर चलते थे, मानो कोई उन्हें रोक नहीं सकता। वे गरीबों का शोषण करते, झूठे मुकदमे लगाते, और अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते थे। लोगों का विश्वास डगमगाने लगा था, और वे सोचने लगे कि क्या परमेश्वर ने उन्हें छोड़ दिया है।

तब एक दिन, गाँव के एक बूढ़े और धर्मी व्यक्ति नेम्याह ने, जो परमेश्वर की सेवा में अपना जीवन बिता चुका था, एक सपना देखा। उसने देखा कि स्वर्ग के सिंहासन से एक प्रकाश उतरा, और उसमें से एक दिव्य स्वर सुनाई दिया: **”मैं ही न्याय करता हूँ, मैं ही समय आने पर सबका निपटारा करूँगा।”** नेम्याह जाग उठा और उसने यह बात गाँव वालों को बताई।

कुछ दिनों बाद, गाँव में एक भयानक तूफ़ान आया। आकाश काले बादलों से घिर गया, और बिजली चमकने लगी। लोग डर गए, लेकिन नेम्याह ने उन्हें शांत रहने को कहा। तभी एक ज़ोरदार आवाज़ आकाश से सुनाई दी: **”अहंकारियों के सींग मैं काट दूँगा, किन्तु धर्मियों के सींग ऊँचे उठाऊँगा!”**

उसी रात, गाँव के सबसे अहंकारी और दुष्ट व्यक्ति, जिसने गरीबों की ज़मीनें हड़प ली थीं, का महल बिजली गिरने से जलकर राख हो गया। वह व्यक्ति, जो कभी अपने आपको अजेय समझता था, अब भयभीत होकर भाग खड़ा हुआ। दूसरी ओर, वे सभी गरीब और दीन-हीन लोग, जिन्हें उसने सताया था, अचानक अपने खोए हुए अधिकार वापस पाने लगे। न्याय धीरे-धीरे होने लगा, मानो परमेश्वर का हाथ सब कुछ संभाल रहा हो।

नेम्याह ने लोगों को इकट्ठा किया और भजन संहिता 75 का वचन सुनाया:

**”परमेश्वर ने कहा है: ‘जब मैं ठीक समय आएगा, तब न्याय करूँगा। जब धरती डगमगाए और उसके निवासी, मैं ही उसकी नींव को स्थिर रखता हूँ। मैं अहंकारियों से कहता हूँ कि अहंकार न करो, और दुष्टों से कहता हूँ कि सींग न उठाओ। न तो पूर्व से, न पश्चिम से, न ही जंगल से न्याय आता है, क्योंकि न्याय करनेवाला परमेश्वर ही है!'”**

लोगों ने समझ लिया कि परमेश्वर का समय सही होता है। वह चुप नहीं है, बल्कि वह सही वक्त पर हस्तक्षेप करता है। उस दिन के बाद, गाँव में फिर से शांति और धर्म का बोलबाला हुआ। लोगों ने सीखा कि अहंकार और दुष्टता का अंत होता है, लेकिन परमेश्वर पर भरोसा रखनेवालों को वह कभी नहीं छोड़ता।

**शिक्षा:** भजन 75 हमें सिखाता है कि परमेश्वर ही न्यायी है। हमें धैर्य रखना चाहिए और उसके समय का इंतज़ार करना चाहिए, क्योंकि वह दुष्टों को दण्ड देगा और धर्मियों को उन्नत करेगा।

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