एजेकील 7: इज़राइल पर परमेश्वर के न्याय का दिन (Character count: 56) यह शीर्षक: 1. कहानी के मुख्य विषय (परमेश्वर का न्याय) को दर्शाता है 2. इज़राइल के संदर्भ को स्पष्ट करता है 3. विनाश के स्थान पर न्याय शब्द का उपयोग करके कहानी के गहरे अर्थ को समेटता है 4. 100 अक्षरों की सीमा में पूर्णतः फिट होता है 5. विशेष चिह्नों/उद्धरण चिह्नों से मुक्त है
**एजेकील 7: विनाश का दिन**
प्रभु यहोवा का वचन एजेकील भविष्यद्वक्ता के पास पहुँचा। उस समय इज़राइल के लोग अपने पापों में डूबे हुए थे, मूर्तियों की पूजा कर रहे थे, और परमेश्वर की आज्ञाओं को ताक पर रख चुके थे। एजेकील ने देखा कि आकाश काले बादलों से घिर गया था, और हवा में एक भयानक सन्नाटा छाया हुआ था। तभी प्रभु की आवाज़ गर्जन के समान उसके कानों में गूँजी:
**”हे मनुष्य के सन्तान, इज़राइल की भूमि पर मेरा न्याय आने वाला है। अब समय आ गया है, विनाश का दिन निकट है। यह कोई साधारण दिन नहीं होगा, बल्कि मेरा क्रोध पूरी ताकत से बरसेगा। मैं तुम्हारे अधर्म के कार्यों के अनुसार तुम्हें दण्ड दूँगा।”**
एजेकील ने अपनी आँखें बंद कर लीं, और उसके मन में एक भयानक दृश्य उभरा। वह देखने लगा कि इज़राइल की भूमि पर एक भयंकर तूफान आ रहा है। लोग भागने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कहीं छिपने को जगह नहीं है। बाज़ारों में हाहाकार मचा हुआ है। सोने-चाँदी के गहने, जिन पर इज़राइलियों को इतना गर्व था, अब व्यर्थ हो गए हैं। धन-दौलत उन्हें नहीं बचा पाएगी।
प्रभु ने फिर कहा: **”मेरी दृष्टि से कोई नहीं बच पाएगा। न तो बूढ़े, न जवान, न अमीर, न गरीब। जो तलवार से नहीं मरेगा, वह भूख से मर जाएगा। जो भूख से बच जाएगा, वह महामारी का शिकार होगा। मैं उनके घमण्ड को चूर-चूर कर दूँगा। उनके मन्दिरों को ध्वस्त कर दूँगा, और उनकी पवित्र वस्तुएँ लूट ली जाएँगी।”**
एजेकील ने अपनी आँखें खोलीं और देखा कि लोग उसके पास इकट्ठा हो रहे हैं। उनके चेहरों पर भय और उलझन थी। वह जानता था कि उन्हें यह सुनकर विश्वास नहीं होगा, लेकिन फिर भी उसने प्रभु का सन्देश सुनाया:
**”तुम लोगों ने मूर्तियों के पीछे भागकर मुझे ठुकराया है। तुमने अन्याय किया है, गरीबों का शोषण किया है, और मेरी व्यवस्था को तोड़ा है। इसलिए अब मैं तुम्हारे विरुद्ध हाथ उठाऊँगा। तुम्हारी सम्पत्ति लूट ली जाएगी, तुम्हारे नगर जलाए जाएँगे, और तुम्हारे योद्धा मारे जाएँगे। जब यह सब होगा, तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ।”**
लोगों ने एजेकील की बातों पर हँसना शुरू कर दिया। किसी ने कहा, **”यह सब कब होगा? हम तो सुरक्षित हैं!”** लेकिन एजेकील ने उत्तर दिया: **”प्रभु कहता है कि यह शीघ्र होगा। जैसे फूल मुरझा जाता है, वैसे ही तुम्हारा अहंकार नष्ट हो जाएगा। तुम्हारे पास पश्चाताप का समय नहीं बचा है।”**
और फिर, जैसे ही एजेकील ने यह कहा, दूर से एक भयानक आवाज़ आई। बाबुल की सेना आ रही थी। उनकी तलवारें चमक रही थीं, और उनके घोड़ों की टापों से धरती काँप रही थी। इज़राइल के लोगों की आँखों में अब डर था। उन्हें एहसास हुआ कि प्रभु का वचन सच हो रहा है।
एजेकील ने आकाश की ओर देखा और रोने लगा, क्योंकि उसने जान लिया था कि परमेश्वर का न्याय अटल है। प्रभु ने उससे कहा था: **”मैं दण्ड देकर ही रहूँगा, परन्तु जो पश्चाताप करेगा, उस पर मैं दया भी करूँगा।”**
और इस तरह, इज़राइल पर विनाश आ गया, जैसा कि एजेकील ने भविष्यद्वाणी की थी। लेकिन इसके पीछे परमेश्वर का एक उद्देश्य था—उन्हें फिर से अपनी ओर मोड़ना। क्योंकि प्रभु यहोवा न्यायी भी है और दयालु भी।
**~ समाप्त ~**