पवित्र बाइबल

गलातियों 6: भाईचारे का बोझ और आत्मिक फल

**गलातियों 6: एक विस्तृत कथा**

उस दिन, सूरज धीरे-धीरे पूर्वी आकाश में चढ़ रहा था, और गलातिया की घाटियों में ओस की बूँदें घास पर जगमगा रही थीं। प्रार्थना और उपदेश के लिए इकट्ठा हुए विश्वासियों के बीच पौलुस खड़ा था, उसकी आँखों में प्रेम और दृढ़ता चमक रही थी। उसने गहरी साँस ली और परमेश्वर के वचन को साझा करने के लिए अपना मन तैयार किया।

**भाईचारे का बोझ**

“हे प्रिय भाइयों और बहनों,” पौलुस ने आरंभ किया, उसकी आवाज़ में मधुरता और सच्चाई थी, “यदि कोई व्यक्ति किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, उसे नम्रता से सुधारो। पर ध्यान रखो कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।”

भीड़ में खड़े एक युवक ने सिर झुकाया। उसका नाम दमित्रि था, जो हाल ही में एक गंभीर पाप में फँस गया था। उसके चेहरे पर शर्म और पश्चाताप था। पौलुस ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराया। “हमें एक-दूसरे का बोझ उठाना चाहिए,” उसने कहा। “इसी तरह हम मसीह की व्यवस्था को पूरा करते हैं।”

कुछ लोगों ने दमित्रि के पास जाकर उसे गले लगाया। उनकी आँखों में न्याय नहीं, बल्कि करुणा थी। दमित्रि ने रोते हुए कहा, “धन्यवाद, भाइयो। मैंने अपने जीवन को फिर से मसीह के हाथों में सौंप दिया है।”

**बोने और काटने का सिद्धांत**

पौलुस ने आगे कहा, “मूर्ख मत बनो, भाइयों। परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता। जो कुछ मनुष्य बोएगा, वही काटेगा।”

भीड़ में एक धनी व्यापारी, लूकियुस, खड़ा था। वह अक्सर अपने धन पर घमंड करता था और गरीबों की उपेक्षा करता था। पौलुस के शब्द उसके हृदय में तीर की तरह लगे। उसने पूछा, “तो क्या इसका अर्थ यह है कि यदि मैं अपने धन का उपयोग स्वार्थ के लिए करता हूँ, तो मुझे इसका फल मिलेगा?”

पौलुस ने सिर हिलाया। “हाँ, लूकियुस। यदि तुम अपने शरीर के लिए बोओगे, तो विनाश काटोगे। पर यदि आत्मा के लिए बोओगे, तो अनन्त जीवन पाओगे।”

लूकियुस ने अपने हृदय में पश्चाताप किया। उसने प्रतिज्ञा की कि वह अब से अपने धन का उपयोग दूसरों की सेवा में करेगा।

**अच्छा करने से न थकें**

“हम भलाई करते रहें, और थकें नहीं,” पौलुस ने जोर देकर कहा। “क्योंकि यदि हम हार न मानें, तो उचित समय आने पर हम फल पाएँगे।”

एक बूढ़ी विधवा, मरियम, जो हर रविवार गिरजाघर में आती थी, ने धीरे से कहा, “लेकिन मैं इतनी कमजोर हूँ। मैं और क्या कर सकती हूँ?”

पौलुस ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराया। “मरियम, तुम्हारी प्रार्थनाएँ और दूसरों के लिए तुम्हारा प्रेम बहुत बड़ा काम है। परमेश्वर तुम्हारे छोटे-से-छोटे कार्य को भी नहीं भूलता।”

**अंतिम शिक्षा**

अपने उपदेश के अंत में, पौलुस ने सबसे कहा, “मैं अपने शरीर पर मसीह के कलंक को लिए फिरता हूँ। दुनिया की व्यवस्थाएँ अब मेरे लिए मर चुकी हैं। केवल नया जन्म ही मायने रखता है।”

भीड़ में शांति छा गई। हर किसी के हृदय में पौलुस के शब्द गूँज रहे थे। उसने आशीर्वाद दिया और कहा, “हमारे प्रभु यीशु मसीह की अनुग्रह तुम सबके साथ रहे। आमीन।”

सभा समाप्त हुई, लेकिन उस दिन का प्रभाव गलातिया के विश्वासियों के जीवन में लंबे समय तक रहा। उन्होंने एक-दूसरे का बोझ उठाना सीखा, भलाई करने में नहीं थके, और मसीह की सेवा में अपने जीवन को समर्पित कर दिया।

**समाप्त**

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