पवित्र बाइबल

प्रेरित यूहन्ना की शिक्षा प्रकाश में चलने का मार्ग (Note: The title is 50 characters long in Hindi, within the 100-character limit, and free of symbols/asterisks/quotes as requested.)

**प्रेरित यूहन्ना की शिक्षा: प्रकाश में चलना**

एक समय की बात है, जब प्रेरित यूहन्ना, जिन्हें यीशु मसीह ने विशेष रूप से प्रेम किया था, एफेसुस नगर में मसीही विश्वासियों को पत्र लिख रहे थे। उनका हृदय प्रभु के प्रेम और सत्य से भरा हुआ था, और वे चाहते थे कि सभी विश्वासी परमेश्वर के प्रकाश में सच्चाई से चलें। उन्होंने अपने पत्र में लिखा:

**”हे मेरे प्यारे बच्चों, मैं तुम्हें यह इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप न करो। परन्तु यदि कोई पाप करे, तो हमारे पास पिता के पास एक सहायक है—यीशु मसीह, जो धर्मी है। वही हमारे पापों का प्रायश्चित है, और न केवल हमारे ही पापों का, बल्कि सारे संसार के पापों का भी।”**

यूहन्ना ने गहरी भावना से ये शब्द लिखे। वे जानते थे कि मनुष्य निर्बल है और पाप में गिर सकता है, परन्तु परमेश्वर की कृपा उससे भी बड़ी है। यीशु मसीह, जिन्होंने क्रूस पर अपना लहू बहाया, वे हर पापी के लिए क्षमा और नया जीवन लेकर आए हैं।

### **परमेश्वर को जानने की पहचान**

यूहन्ना ने आगे लिखा: **”इससे हम जानते हैं कि हम उसे जानते हैं: यदि हम उसकी आज्ञाओं को मानें। जो कोई यह कहता है, ‘मैं उसे जानता हूँ,’ परन्तु उसकी आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है और उसमें सच्चाई नहीं। परन्तु जो कोई उसके वचन पर चलता है, उसमें सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हो गया है। इसी से हम जानते हैं कि हम उसमें हैं।”**

यूहन्ना के शब्द स्पष्ट थे—सच्चा विश्वास केवल शब्दों में नहीं, बल्कि आज्ञापालन में प्रकट होता है। जो कोई यीशु को जानने का दावा करता है, उसे उसके मार्ग पर चलना चाहिए। यही सच्चे प्रेम और समर्पण की निशानी है।

### **नई आज्ञा: प्रेम**

फिर यूहन्ना ने एक गहरी शिक्षा दी: **”हे प्रियों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं, बल्कि वही पुरानी आज्ञा लिखता हूँ, जो तुम्हें आरम्भ से मिली थी। यह पुरानी आज्ञा वही वचन है, जो तुमने सुना था। फिर भी, मैं तुम्हें एक नई आज्ञा लिखता हूँ—जो यीशु में सच है और तुम में भी—क्योंकि अंधकार टल रहा है और सच्चा प्रकाश अब जगमगा रहा है।”**

यह नई आज्ञा प्रेम की थी—वही प्रेम जिसे यीशु ने अपने चेलों को सिखाया था। यूहन्ना ने समझाया कि जो कोई अपने भाई से प्रेम करता है, वह प्रकाश में चलता है, और उसमें कोई ठोकर नहीं। परन्तु जो अपने भाई से घृणा करता है, वह अंधकार में भटकता है और नहीं जानता कि कहाँ जा रहा है।

### **संसार का प्रेम न करो**

यूहन्ना ने एक गंभीर चेतावनी भी दी: **”इस संसार से और संसार की वस्तुओं से प्रेम न करो। यदि कोई संसार से प्रेम करता है, तो उसमें पिता का प्रेम नहीं। क्योंकि संसार की सब वस्तुएँ—शरीर की अभिलाषा, आँखों की अभिलाषा, और जीवन का अभिमान—पिता की ओर से नहीं, बल्कि संसार की ओर से हैं। संसार और उसकी अभिलाषाएँ दोनों मिटते जा रहे हैं, परन्तु जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सदा बना रहेगा।”**

ये शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। यूहन्ना ने सिखाया कि सच्चा विश्वासी संसार की अस्थायी चीजों के पीछे नहीं भागता, बल्कि परमेश्वर की इच्छा में स्थिर रहता है।

### **अंतिम समय की चेतावनी**

अपने पत्र के अंत में, यूहन्ना ने भविष्य के विषय में लिखा: **”हे बच्चों, यह अंतिम समय है। जैसा तुमने सुना था कि मसीह-विरोधी आनेवाला है, वैसे ही अब बहुत से मसीह-विरोधी उठ खड़े हुए हैं। इससे हम जानते हैं कि यह अंतिम समय है।”**

उन्होंने विश्वासियों को सावधान किया कि झूठे शिक्षक उठेंगे, जो मसीह के सत्य को नकारेंगे। परन्तु जिनके पास पवित्र आत्मा का अभिषेक है, वे सत्य को पहचान लेंगे।

### **निष्कर्ष: सत्य में दृढ़ रहो**

यूहन्ना ने अपना पत्र इस प्रकार समाप्त किया: **”इसलिए, हे प्यारे बच्चों, उसमें बने रहो, ताकि जब वह प्रकट हो, तो हमें पूरा विश्वास हो और उसके सामने लज्जित न हों।”**

इस प्रकार, प्रेरित यूहन्ना ने विश्वासियों को सच्चाई, प्रेम और आज्ञाकारिता का मार्ग दिखाया। उनकी शिक्षाएँ आज भी हमें याद दिलाती हैं कि प्रकाश में चलने का अर्थ है—यीशु मसीह को जानना, उसकी आज्ञाओं को मानना, और एक-दूसरे से प्रेम करना।

**आमीन।**

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