पवित्र बाइबल

एलिय्याह और विधवा: विश्वास का चमत्कार

**एक विस्तृत कहानी: 1 राजाओं 17**

**अध्याय 1: एलिय्याह की भविष्यवाणी और छिपने की आज्ञा**

इस्राएल के राजा आहाब के दिनों में, जब उसने बाल देवता की पूजा को बढ़ावा दिया और यहोवा की आज्ञाओं को तुच्छ जाना, तब परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता एलिय्याह तिशबी नामक गाँव से उठ खड़ा हुआ। वह एक दृढ़ और निडर व्यक्ति था, जिसके हृदय में यहोवा के प्रति अटूट विश्वास था। एक दिन, वह बिना किसी डर के राजा आहाब के सामने प्रकट हुआ और उसने घोषणा की, “यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर, जिसकी मैं सेवा करता हूँ, उसकी शपथ! इन वर्षों में न तो ओस पड़ेगी और न वर्षा होगी, केवल मेरे वचन के अनुसार।”

यह सुनकर आहाब क्रोध से भर गया, क्योंकि उसने समझ लिया कि एलिय्याह का यह वचन इस्राएल पर एक भयानक अकाल लाएगा। परन्तु एलिय्याह को यहोवा ने पहले ही आज्ञा दी थी कि वह यरदन नदी के पूर्व की ओर, करीत नामक एक सुनसान नाले में जाकर छिप जाए। वहाँ उसे यह आश्वासन दिया गया कि नाले का पानी उसे पिलाया जाएगा और कौवे उसके लिए भोजन लाएँगे।

**अध्याय 2: नाले में विश्वास की परीक्षा**

एलिय्याह ने यहोवा की आज्ञा का पालन किया और करीत के नाले में जाकर रहने लगा। वहाँ उसने देखा कि सुबह-शाम कौवे रोटी और मांस लाकर उसके पास छोड़ जाते। नाले का पानी भी धीरे-धीरे बहता रहा, जिससे उसकी प्यास बुझती। यह एक अद्भुत चमत्कार था, क्योंकि आसपास के सारे देश में सूखा पड़ने लगा था। पेड़ सूख गए, नदियाँ सूख गईं, और लोग भोजन और पानी के लिए तरसने लगे। परन्तु एलिय्याह सुरक्षित था, क्योंकि यहोवा उसकी देखभाल कर रहा था।

दिन बीतते गए, और अकाल और भी भयानक होता गया। अंत में, नाले का पानी भी सूख गया, क्योंकि वर्षा न होने के कारण पूरे देश में जल का अभाव हो गया। तब यहोवा ने एलिय्याह से कहा, “उठ, सारपत में जा, जो सीदोन के अधीन है। वहाँ मैंने एक विधवा स्त्री को आज्ञा दी है कि वह तुझे भोजन दे।”

**अध्याय 3: सारपत की विधवा और आशीष**

एलिय्याह ने सारपत की यात्रा की। जब वह नगर के फाटक पर पहुँचा, तो उसने एक विधवा स्त्री को लकड़ियाँ बीनते देखा। उसने उससे पानी माँगा, और जब वह लेने जा रही थी, तो उसने कहा, “मेरे लिए एक टुकड़ा रोटी भी ले आना।”

स्त्री ने दुखी होकर उत्तर दिया, “हे प्रभु, मेरे पास केवल एक मुट्ठी आटा और थोड़ा सा तेल है। मैं लकड़ियाँ जमा कर रही हूँ ताकि अपने और अपने पुत्र के लिए अंतिम रोटी बना सकूँ। उसके बाद हम मर जाएँगे, क्योंकि हमारे पास और कुछ नहीं बचा।”

एलिय्याह ने उससे कहा, “डर मत। पहले मेरे लिए एक छोटी सी रोटी बना लो, फिर अपने और अपने पुत्र के लिए बनाना। क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है: ‘तेरे घर का आटा न खत्म होगा और तेरी तेल की कुप्पी न सूखेगी, जब तक कि यहोवा देश में वर्षा न कर दे।'”

विधवा ने विश्वास किया और एलिय्याह की बात मानी। उसने पहले उसके लिए रोटी बनाई, और फिर अपने और अपने पुत्र के लिए। अद्भुत बात यह हुई कि जैसे-जैसे दिन बीतते गए, आटा और तेल कभी खत्म नहीं हुआ। यहोवा का वचन सच हुआ, और उस स्त्री का परिवार अकाल के दिनों में भी भरपूर रहा।

**अध्याय 4: विधवा के पुत्र का जी उठना**

कुछ समय बाद, विधवा स्त्री का पुत्र बीमार पड़ गया और उसकी साँसें रुकने लगीं। वह बिलखते हुए एलिय्याह के पास गई और कहने लगी, “हे परमेश्वर के व्यक्ति, क्या तुम मेरे पापों को याद दिलाने आए हो? क्या तुम मेरे पुत्र को मारने आए हो?”

एलिय्याह ने उससे कहा, “बालक को मुझे दे दो।” उसने उसे अपनी गोद में लिया और ऊपरी कमरे में ले जाकर यहोवा से प्रार्थना की। वह बिछौने पर लेट गया और बालक के ऊपर अपने शरीर को तीन बार फैलाया, और यह कहकर प्रार्थना की, “हे यहोवा, मेरे परमेश्वर, क्या तू इस विधवा के पुत्र को, जिसके साथ मैं रह रहा हूँ, फिर से जीवित नहीं करेगा?”

यहोवा ने एलिय्याह की विनती सुनी, और बालक के शरीर में फिर से जान आ गई। वह जी उठा! एलिय्याह ने उसे उठाकर उसकी माँ को सौंप दिया और कहा, “देख, तेरा पुत्र जीवित है।”

विधवा ने एलिय्याह से कहा, “अब मैं जान गई हूँ कि तू सचमुच परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता है, और यहोवा का वचन तेरे मुँह में सच्चा है।”

इस प्रकार, एलिय्याह ने न केवल अकाल के समय में परमेश्वर की सामर्थ्य को प्रकट किया, बल्कि एक मृत बालक को जीवित करके उसने यह दिखाया कि यहोवा ही जीवन और मृत्यु का स्वामी है। और इस्राएल में फैले अंधकार के बीच, परमेश्वर का प्रकाश अभी भी चमक रहा था।

**समाप्त।**

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