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न्यायियों 1: इस्राएल की अधूरी विजय और परमेश्वर की आज्ञाकारिता

**न्यायियों 1: एक विस्तृत कथा**

प्रभु यहोवा के वचन के अनुसार, यहोवा ने इस्राएल के लोगों से कहा था कि वे कनान देश में प्रवेश करके उस भूमि को उनके सामने से दूर भगाएँ, जैसा कि उन्होंने मूसा से वादा किया था। परन्तु इस्राएल के गोत्रों को अभी भी बहुत से युद्ध लड़ने थे। यहोवा ने यहूदा गोत्र को चुना कि वह पहले चढ़ाई करे और कनानियों के विरुद्ध युद्ध करे। यहूदा ने अपने भाई शिमोन के साथ मिलकर प्रतिज्ञा की कि वे एक-दूसरे की सहायता करेंगे।

### **यहूदा का आरम्भिक विजय**

यहूदा के सैनिकों ने अपने तलवारें धार कीं और बेकबक नगर पर चढ़ाई की। प्रभु यहोवा उनके साथ था, और उन्होंने कनानियों और परिज्जियों को हराकर उस नगर को जीत लिया। उन्होंने नगर के राजा को पकड़ लिया और उसके अंगूठे और अंगुठियाँ काट दीं, जैसा कि यहोशू ने पहले किया था। राजा ने कहा, “मैंने जो किया, वही मुझे मिला है।” तब यहूदा के लोगों ने उसे यरूशलेम ले जाकर मार डाला।

फिर यहूदा ने यरूशलेम पर भी आक्रमण किया और उसे जीत लिया। उन्होंने तलवार के घाट उतारकर नगर को जला दिया। परन्तु वहाँ के यबूसी निवासियों को पूरी तरह नष्ट नहीं किया गया, और वे यरूशलेम में ही रहते रहे।

### **हेब्रोन और दबीर की विजय**

यहोवा की आज्ञा से, यहूदा ने हेब्रोन पर चढ़ाई की, जिसे पहले किर्य्यथ-अर्बा कहा जाता था। वहाँ शेशै, अहीमान और तल्मै नाम के तीन विशालकाय अनाकियों का राज था। यहूदा के वीर योद्धा कालेब ने प्रतिज्ञा की, “जो कोई हेब्रोन पर चढ़ाई करेगा और उसे जीतेगा, मैं उसे अपनी पुत्री अक्सा को ब्याह दूँगा।”

कालेब के छोटे भाई ओत्नीएल ने यह चुनौती स्वीकार की। वह बहादुरी से लड़ा और हेब्रोन को जीत लिया। कालेब ने अपनी पुत्री अक्सा का विवाह ओत्नीएल से कर दिया। विवाह के बाद, अक्सा ने अपने पिता से कहा, “आपने मुझे एक सूखी भूमि में ब्याह दिया है, मुझे जल के सोते भी दीजिए।” तब कालेब ने उसे ऊपरी और निचले कुंडों का आशीर्वाद दिया।

इसके बाद, यहूदा के लोगों ने दबीर नगर पर भी आक्रमण किया, जिसे पहले किर्य्यथ-सपेर कहा जाता था। यह नगर भीमकाय अनाकियों का गढ़ था। कालेब ने फिर घोषणा की, “जो इस नगर को जीतेगा, मैं उसे अक्सा को ब्याह दूँगा।” उसका भतीजा ओत्नीएल ने फिर बहादुरी से युद्ध किया और दबीर को जीत लिया।

### **अन्य गोत्रों की प्रगति**

यहूदा और शिमोन के गोत्र एक साथ मिलकर कनानियों के विरुद्ध लड़े। उन्होंने जेपत नगर पर आक्रमण किया और उसे नष्ट कर दिया, इसलिए उसका नाम होर्मा (विनाश) पड़ गया। यहूदा ने गाजा, अश्कलोन और एक्रोन के नगरों पर भी अधिकार कर लिया, परन्तु वे समुद्र तट के निवासियों को पूरी तरह नष्ट नहीं कर पाए।

बिन्यामीन गोत्र ने यरूशलेम के यबूसियों को पूरी तरह नहीं हटाया, और वे आज तक बिन्यामीन के बीच रहते हैं।

यूसुफ के वंश (अर्थात एप्रैम और मनश्शे) ने बेतेल पर चढ़ाई की। प्रभु उनके साथ था। उन्होंने नगर के एक व्यक्ति से मार्ग दिखाने के लिए कहा, और उसने उनकी सहायता की। बदले में, उन्होंने उसके परिवार को बचा लिया। परन्तु उन्होंने भी कनानियों को पूरी तरह नष्ट नहीं किया।

### **अधूरी आज्ञाकारिता का परिणाम**

अन्य गोत्रों—जैसे जबूलून, आशेर, नप्ताली और दान—ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में कनानियों को दूर नहीं भगाया। वे उनके बीच रहने लगे और धीरे-धीरे उनकी मूर्तिपूजा और रीति-रिवाजों में फँस गए। इससे प्रभु यहोवा का क्रोध भड़का, क्योंकि उन्होंने उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया।

इस प्रकार, न्यायियों के समय में इस्राएल के लोगों ने प्रभु की आज्ञा को आधा-अधूरा माना, जिसके कारण उन्हें भविष्य में बहुत कष्ट उठाने पड़े। फिर भी, जब भी उन्होंने प्रभु को पुकारा, उसने उनके लिए न्यायी खड़े किए, जो उन्हें शत्रुओं से बचाते थे।

**इस प्रकार, न्यायियों 1 की कथा हमें सिखाती है कि परमेश्वर की आज्ञाकारिता पूर्ण और निष्ठापूर्ण होनी चाहिए, नहीं तो अधूरी आज्ञाकारिता हमें पाप के जाल में फँसा देती है।**

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