पवित्र बाइबल

दाऊद और मपीबोशेत की दयालुता की कहानी

**दाऊद और मपीबोशेत की कहानी**

राजा दाऊद ने अपने महल के सुंदर कक्ष में बैठकर परमेश्वर के उन अनगिनत आशीषों के बारे में सोचा, जो उस पर बरसाए गए थे। उसका राज्य स्थिर था, शत्रु पराजित हो चुके थे, और इस्राएल में शांति थी। तभी उसके मन में एक विचार कौंधा—योनातान का पुत्र! क्या शाऊल के वंश का कोई अभी भी जीवित था? योनातान, उसका प्रिय मित्र, जिससे उसने परमेश्वर के सामने वाचा बाँधी थी कि वह उसके परिवार पर सदैव दया करेगा।

दाऊद ने तुरंत अपने सेवकों को बुलाया। “क्या शाऊल के घराने का कोई बचा हुआ है?” उसने पूछा, “मैं परमेश्वर के निमित्त उस पर दया करना चाहता हूँ।”

उस समय शाऊल के एक सेवक, सीबा नामक एक व्यक्ति, को राजा के सामने लाया गया। दाऊद ने उससे पूछा, “क्या शाऊल के वंश में कोई है जिसके साथ मैं परमेश्वर की कृपा दिखा सकूँ?”

सीबा ने सिर झुकाकर उत्तर दिया, “हाँ, महाराज! योनातान का एक पुत्र जीवित है, पर वह दोनों पैरों से लँगड़ा है।”

दाऊद का हृदय द्रवित हो उठा। “वह कहाँ है?” उसने उत्सुकता से पूछा।

“वह लोदबार में माकीर के घर रहता है,” सीबा ने बताया।

दाऊद ने तुरंत अपने दूतों को आज्ञा दी कि वे उस युवक को उसके सामने ले आएँ। कुछ दिनों बाद, मपीबोशेत—योनातान का पुत्र—राजमहल में पहुँचा। वह डरा हुआ था, क्योंकि उसे पता था कि नए राजा अक्सर पुराने राजवंश के सदस्यों को मरवा देते थे ताकि कोई विद्रोह न कर सके। उसके कपड़े साधारण थे, और वह अपने लँगड़े पैरों के कारण धीरे-धीरे चल रहा था।

जैसे ही मपीबोशेत दाऊद के सामने आया, वह भूमि पर झुक गया और उसने साष्टांग दंडवत किया। “दास आपकी सेवा में उपस्थित है, महाराज,” उसने काँपती आवाज़ में कहा।

दाऊद ने उसे देखा और उसकी आँखों में करुणा छलक उठी। “मपीबोशेत!” उसने पुकारा।

युवक ने डरते हुए सिर उठाया। “जी, महाराज?”

दाऊद ने मुस्कुराते हुए कहा, “डरो मत। मैं तुम पर वही दया दिखाना चाहता हूँ जो परमेश्वर ने मुझ पर दिखाई है। तुम्हारे पिता योनातान मेरे प्रिय मित्र थे, और मैंने उससे वाचा बाँधी थी कि मैं उसके परिवार का ख्याल रखूँगा। इसलिए आज से तुम्हारे पिता की सारी भूमि तुम्हें वापस मिलेगी। तुम सदैव मेरे साथ इस महल में भोजन करोगे, जैसे कोई राजकुमार करता है।”

मपीबोशेत की आँखों में आँसू आ गए। “महाराज, मैं तो एक मरने वाला कुत्ता हूँ, फिर भी आप मुझ पर इतनी कृपा कर रहे हैं?”

दाऊद ने सीबा को बुलाया और आज्ञा दी, “तुम्हारे स्वामी शाऊल की सारी भूमि और संपत्ति अब मपीबोशेत की है। तुम, तुम्हारे पुत्र और दास, इस भूमि की देखभाल करोगे और इसकी उपज से मपीबोशेत के परिवार का भरण-पोषण करोगे।”

सीबा ने सिर झुकाया, “जैसा महाराज आज्ञा दें।”

उस दिन से मपीबोशेत राजमहल में रहने लगा, जैसे दाऊद का अपना पुत्र। वह हमेशा राजा की मेज़ पर भोजन करता, और दाऊद ने उसे कभी भी अपने प्रेम और संरक्षण से वंचित नहीं होने दिया।

इस कहानी में हम देखते हैं कि कैसे दाऊद ने परमेश्वर की दया को अपने जीवन में प्रतिबिंबित किया। मपीबोशेत के पास कुछ भी नहीं था—वह लँगड़ा था, उसका परिवार नष्ट हो चुका था, और वह एक दूरदराज़ के स्थान पर छिपा हुआ जी रहा था। लेकिन दाऊद ने उसे ढूँढ़ निकाला और उसे गरिमा और सम्मान दिया। यही परमेश्वर हमारे साथ करता है—हम पाप में खोए हुए थे, लेकिन उसने हमें अपने पास बुलाया और अपने पुत्र यीशु के माध्यम से हमें राजकुमारों का सा दर्जा दिया।

इस प्रकार, दाऊद की यह दयालुता न केवल एक मानवीय कार्य था, बल्कि परमेश्वर के प्रेम का एक सशक्त उदाहरण भी था।

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