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यिर्मयाह 43: अवज्ञा का दंड और मिस्र की तबाही

**यिर्मयाह 43: अवज्ञा और दंड की कहानी**

बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर के सेनापति नबूजरदान ने यहूदा के शहरों को तहस-नहस कर दिया था। यरूशलेम ध्वस्त हो चुका था, मंदिर जलकर राख बन गया था, और अधिकांश लोगों को बंदी बनाकर बाबुल ले जाया गया था। केवल कुछ गरीब और असहाय लोग ही यहूदा की भूमि पर छोड़ दिए गए थे। उन लोगों के ऊपर गिदाल्याह को राज्यपाल नियुक्त किया गया, लेकिन ईश्वर-विरोधी षड्यंत्रकारियों ने उसकी हत्या कर दी। इसके बाद, बचे हुए लोग भयभीत हो गए और उन्होंने मिस्र जाने का निर्णय लिया, ताकि बाबुलियों के प्रतिशोध से बच सकें।

उस समय, परमेश्वर का भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह उनके बीच में था। लोगों ने उसके पास आकर विनती की, “हमारी प्रार्थना सुनिए! हमारे लिए परमेश्वर से पूछिए कि हम क्या करें और कहाँ जाएँ?” यिर्मयाह ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह परमेश्वर की इच्छा जानकर उन्हें बताएगा।

दस दिनों तक यिर्मयाह ने प्रार्थना की। अंत में, परमेश्वर ने उससे कहा, “इन लोगों से कहो कि यदि तुम यहूदा की भूमि पर रहोगे, तो मैं तुम्हें बचाऊँगा और तुम्हारी रक्षा करूँगा। बाबुल के राजा से मत डरो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ। लेकिन यदि तुम मिस्र जाने पर जोर दोगे, तो तुम्हारे डरने वाली सभी विपत्तियाँ वहाँ भी तुम्हारा पीछा करेंगी। तुम युद्ध, अकाल और महामारी से मरोगे, और कोई भी बचा नहीं रहेगा।”

लेकिन जब यिर्मयाह ने परमेश्वर का यह संदेश लोगों को सुनाया, तो वे क्रोधित हो गए। उन्होंने कहा, “तुम झूठ बोल रहे हो! परमेश्वर ने हमें ऐसा नहीं कहा। हम मिस्र जाएँगे, जहाँ हमें कोई युद्ध नहीं देखना पड़ेगा, कोई अकाल नहीं होगा!”

उन्होंने यिर्मयाह की बात नहीं मानी और अपने नेता योहानान और अजर्याह के नेतृत्व में सभी पुरुषों, स्त्रियों, बच्चों और राजकुमारी हिजकिय्याह की पुत्रियों को लेकर मिस्र की ओर चल पड़े। वे यिर्मयाह और उसके सहयोगी बारूक को भी जबरदस्ती अपने साथ ले गए।

वे यहूदा की सीमा पार करते हुए ताहपनहेस नामक मिस्र के शहर में पहुँचे। वहाँ परमेश्वर ने फिर से यिर्मयाह से बात की और उसे एक चेतावनी दी। यिर्मयाह ने लोगों को इकट्ठा किया और कहा, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा कहता है: देखो, मैं बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को इस स्थान पर लाऊँगा। वह अपना सिंहासन यहीं रखेगा और मिस्र पर विजय प्राप्त करेगा। जो लोग मिस्र में शरण लेने आए हैं, वे युद्ध में मारे जाएँगे या बंदी बना लिए जाएँगे। मिस्र के देवता उन्हें नहीं बचा पाएँगे, क्योंकि मैं यहूदा के लोगों को उनकी अवज्ञा के लिए दंड दूँगा।”

यिर्मयाह ने ताहपनहेस में एक बड़ा पत्थर लेकर उसे फिरौन के महल के सामने रख दिया और घोषणा की, “जैसे मैंने इस पत्थर को यहाँ रखा है, वैसे ही नबूकदनेस्सर अपना सिंहासन यहाँ स्थापित करेगा। वह मिस्र को जलाकर राख कर देगा और मूर्तिपूजकों के मंदिरों को नष्ट कर देगा।”

लेकिन लोगों ने फिर भी नहीं सुना। वे मिस्र की मूर्तियों के सामने झुकने लगे और अपने पूर्वजों के परमेश्वर को भूल गए। अंत में, जैसा यिर्मयाह ने भविष्यवाणी की थी, बाबुल की सेना ने मिस्र पर आक्रमण किया और उन सभी को नष्ट कर दिया जो अवज्ञा करके वहाँ भाग गए थे।

इस प्रकार, यिर्मयाह के शब्द सच हुए, और परमेश्वर का न्याय उन लोगों पर आया जिन्होंने उसकी आज्ञा को ठुकरा दिया था।

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