**यशायाह 13: एक भविष्यवाणी का विस्तृत वर्णन**
बहुत पहले, परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता यशायाह को एक गंभीर दर्शन मिला। यह दर्शन बाबुल नगर के विनाश के विषय में था, जो एक दिन परमेश्वर के न्याय का प्रतीक बनने वाला था। यशायाह ने अपनी आँखें बंद कीं और उस दृश्य को देखा जो परमेश्वर ने उनके सामने प्रकट किया—एक भयंकर और महान दिन, जब स्वयं प्रभु अपनी सामर्थ्य प्रकट करेगा।
### **परमेश्वर की सेना का आगमन**
यशायाह ने देखा कि आकाश में एक विशाल सेना इकट्ठी हो रही थी। ये परमेश्वर के नियुक्त योद्धा थे, जिन्हें उसने दूर के देशों से बुलाया था। वे पहाड़ों की चोटियों से उतरते हुए आ रहे थे, उनके चेहरे क्रोध से भरे हुए थे और उनके हाथों में विनाश के हथियार थे। परमेश्वर ने उन्हें आज्ञा दी थी कि वे बाबुल को नष्ट कर दें, क्योंकि उसका अहंकार और पाप आकाश तक पहुँच चुका था।
यशायाह ने सुना कि परमेश्वर कह रहा था, *”मैं संसार के विरुद्ध अपना क्रोध प्रकट करूँगा। दुष्टों को उनके पापों का फल मिलेगा, और मैं अहंकारियों का घमंड तोड़ दूँगा।”*
### **प्रलय का दिन**
भविष्यद्वक्ता ने देखा कि बाबुल के निवासी भय से काँप रहे थे। सूर्य का प्रकाश मद्धिम पड़ गया था, और चंद्रमा लाल हो चुका था, मानो रक्त से सना हुआ हो। तारे आकाश से गिर रहे थे, और पृथ्वी हिलने लगी थी, जैसे किसी ने उसे अपने स्थान से हिला दिया हो। लोगों के हृदय डर से पिघल गए थे। वे छिपने के लिए गुफाओं और चट्टानों के नीचे भाग रहे थे, परन्तु कहीं भी सुरक्षा नहीं थी।
यशायाह ने परमेश्वर की वाणी सुनी, *”मैं पृथ्वी को उसके पापों के कारण दंड दूँगा। मैं दुष्टों का अंत कर दूँगा और अहंकारियों के गर्व को नष्ट कर दूँगा।”*
### **बाबुल का विनाश**
भविष्यद्वक्ता की दृष्टि में, बाबुल—जो एक समय में सोने का प्याला और सुख-विलास का प्रतीक था—अब एक उजाड़ नगर बन चुका था। उसके महल जलकर राख हो गए थे, उसके बाज़ार सुनसान पड़े थे, और उसकी प्रसिद्ध दीवारें ध्वस्त हो चुकी थीं। वहाँ के निवासी या तो मारे गए थे या बंदी बना लिए गए थे। उसकी भव्यता और वैभव धूल में मिल गए थे।
यशायाह ने देखा कि बाबुल के पतन के बाद, वहाँ केवल जंगली पशु रहेंगे। उसके भव्य उद्यानों में अब ऊदबिलाव और गीदड़ बसेरा करेंगे। उसके राजमहलों में अब केवल हवा सीटी बजाएगी। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि बाबुल ने परमेश्वर का विरोध किया था और उसने निर्दोषों का रक्त बहाया था।
### **परमेश्वर का न्याय और आशा**
यशायाह ने समझा कि परमेश्वर का न्याय निष्पक्ष है। वह दुष्टों को दंड देता है, परन्तु वह अपने लोगों को बचाता भी है। बाबुल का विनाश एक चेतावनी थी कि कोई भी राष्ट्र या व्यक्ति परमेश्वर के सामने अहंकार न करे।
अंत में, यशायाह ने परमेश्वर की वाणी सुनी, *”मैं संसार को न्याय दूँगा, और जो मेरी ओर मुड़ेंगे, उन पर दया करूँगा।”*
इस दर्शन के बाद, यशायाह ने लोगों को चेतावनी दी और उन्हें सच्चे परमेश्वर की ओर लौटने का आह्वान किया, ताकि वे उस दिन के भयानक न्याय से बच सकें।
**समाप्त।**