पवित्र बाइबल

यिर्मयाह 11: वाचा तोड़ने और विद्रोह की दर्दभरी कहानी

**यिर्मयाह 11: एक वाचा और विद्रोह की कहानी**

यहूदा के राज्य में एक अशांत समय था। यरूशलेम की गलियाँ पाप और अवज्ञा से भरी हुई थीं। लोगों ने परमेश्वर की वाचा को तोड़ दिया था और बाल देवताओं की पूजा करने लगे थे। ऐसे में, परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता यिर्मयाह को बुलाया और उनसे एक महत्वपूर्ण संदेश सुनाया।

### **परमेश्वर की वाचा की याद**

एक दिन, यिर्मयाह मंदिर के आँगन में खड़े थे। हवा में धूप की सुगंध थी, लेकिन उनके हृदय में बोझ था। परमेश्वर ने उनसे कहा, *”यिर्मयाह, मेरी वाचा की बातें यहूदा के लोगों को सुनाओ। उन्हें याद दिलाओ कि मैंने उनके पूर्वजों से क्या प्रतिज्ञा की थी।”*

यिर्मयाह ने लोगों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, *”हे इस्राएल के लोगो, सुनो! परमेश्वर ने तुम्हें मिस्र की दासता से छुड़ाया और तुम्हारे साथ एक वाचा बाँधी। उसने कहा था, ‘यदि तुम मेरी आज्ञा मानोगे, तो तुम मेरी प्रजा बनोगे और मैं तुम्हारा परमेश्वर बनूँगा। मैं तुम्हें इस देश में सुरक्षित रखूँगा, जो मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था।’ किन्तु तुमने इस वाचा को तोड़ दिया है!”*

### **लोगों का विद्रोह**

लोगों के चेहरे पर अविश्वास और उदासीनता थी। कुछ ने यिर्मयाह की बातों को हँसी में उड़ा दिया, तो कुछ ने क्रोधित होकर उनका विरोध किया। *”हमें कोई डर नहीं! हमारे पूर्वजों ने भी बाल देवताओं की पूजा की थी, और हम भी करेंगे!”*

यिर्मयाह का हृदय दुख से भर गया। उन्होंने चेतावनी दी, *”परमेश्वर कहता है, ‘मैंने तुम्हें बार-बार चेताया, किन्तु तुमने नहीं सुना। अब मैं इस देश पर विपत्ति लाऊँगा। जो शाप इस वाचा में लिखे हैं, वे तुम पर आएँगे।'”*

### **अनातोत के षड्यंत्र**

जब यिर्मयाह ने ये बातें कहीं, तो उनके अपने ही गाँव अनातोत के लोग उनके विरुद्ध हो गए। वे याजकों के वंशज थे, और उन्हें यिर्मयाह के संदेश से डर लगने लगा। एक रात, कुछ लोगों ने गुप्त सभा की और कहा, *”यह भविष्यद्वक्ता हमारे विरुद्ध बोलता है। हमें उसे मार डालना चाहिए!”*

उन्होंने यिर्मयाह के घर को घेर लिया और उन्हें मारने की योजना बनाई। किन्तु परमेश्वर ने यिर्मयाह को इस षड्यंत्र के बारे में बता दिया। यिर्मयाह ने प्रार्थना में परमेश्वर से पूछा, *”हे प्रभु, तू न्यायी है। इन लोगों के विरुद्ध तू क्या करेगा?”*

परमेश्वर ने उत्तर दिया, *”मैं अनातोत के इन लोगों को दंड दूँगा। उनके युवा युद्ध में मरेंगे, और उनके बच्चे अकाल से। क्योंकि उन्होंने तेरे प्राण लेने की योजना बनाई है।”*

### **यिर्मयाह की करुणा**

यद्यपि लोगों ने यिर्मयाह के विरुद्ध षड्यंत्र रचा, फिर भी उनका हृदय उनके लिए दुखी था। वे जानते थे कि परमेश्वर का न्याय निश्चित है, लेकिन वे चाहते थे कि लोग पश्चाताप करें। उन्होंने फिर से यरूशलेम की गलियों में चिल्लाकर कहा, *”हे यहूदा, तू अपने पापों से फिर! परमेश्वर तुझे क्षमा करने को तैयार है!”*

किन्तु लोगों के कान बंद थे। उन्होंने यिर्मयाह की चेतावनियों को अनसुना कर दिया।

### **परमेश्वर का निर्णय**

अंत में, परमेश्वर ने यिर्मयाह से कहा, *”इन लोगों ने मेरी वाचा को तोड़ दिया है, इसलिए मैं उन पर वह विपत्ति लाऊँगा जिससे वे बच नहीं सकते। वे दूसरे देशों में बंधक बनाए जाएँगे, और उनकी भूमि उजाड़ हो जाएगी।”*

यिर्मयाह ने देखा कि यहूदा का पतन निकट है। उनकी आँखों में आँसू थे, लेकिन वे जानते थे कि परमेश्वर का न्याय सही है। उन्होंने प्रार्थना की, *”हे धर्मी परमेश्वर, तेरी इच्छा पूरी हो।”*

**सबक:**
यिर्मयाह 11 हमें सिखाता है कि परमेश्वर की वाचा पवित्र है। उसकी अवहेलना करने का परिणाम विनाश है। किन्तु यदि हम पश्चाताप करें, तो परमेश्वर हमें क्षमा करने के लिए तैयार है।

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