**ईश्वर की महिमा: एक विस्तृत कहानी (यशायाह 45 पर आधारित)**
प्राचीन काल में, जब बेबीलोन की शक्ति अपने चरम पर थी और इस्राएल के लोग परदेश में बंधुआई की जंजीरों में जकड़े हुए थे, तब ईश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता यशायाह के माध्यम से एक अद्भुत वचन दिया। यह वचन न केवल उस समय के लोगों के लिए आशा का संदेश था, बल्कि समस्त मानवजाति के लिए ईश्वर की सर्वोच्च सत्ता का प्रमाण भी था।
### **कुस्रू: ईश्वर का चुना हुआ सेवक**
बेबीलोन के विशाल महलों में राजा कुस्रू शक्ति और यश की खोज में लीन था। वह एक पराक्रमी योद्धा था, जिसने अनेक राष्ट्रों को जीतकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया था। किन्तु उसे ज्ञात नहीं था कि स्वर्ग का सच्चा राजा, इस्राएल का परमेश्वर, उसके जीवन को एक महान उद्देश्य के लिए नियुक्त कर रहा था।
एक रात, जब कुस्रू अपने शयनकक्ष में विश्राम कर रहा था, उसने एक अद्भुत स्वप्न देखा। उसने स्वप्न में एक प्रकाशमान पुरुष को देखा, जिसके हाथ में एक स्वर्णिम कुंजी थी। वह पुरुष बोला, *”हे कुस्रू, मैं यहोवा हूँ, जो स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता है। मैंने तुझे इसलिए चुना है कि तू मेरे लोगों को बंधुआई से मुक्त करे। तू उनके लिए मुक्तिदाता बनेगा, हालाँकि तू मुझे नहीं जानता।”*
कुस्रू नींद से जाग गया, उसका हृदय भय और आश्चर्य से भर उठा। उसने अपने मंत्रियों और ज्योतिषियों को बुलवाया, किन्तु कोई भी उस स्वप्न का अर्थ नहीं समझ पाया। तभी एक वृद्ध यहूदी बंदी, जो राजमहल में सेवक के रूप में कार्य करता था, ने साहस करके कहा, *”हे महाराज, यह इस्राएल के परमेश्वर का संदेश है। वही सच्चा ईश्वर है, जिसने संसार की रचना की और जो अपने वचन के अनुसार सब कुछ पूरा करता है।”*
### **ईश्वर की योजना का प्रकटीकरण**
कुस्रू ने उस यहूदी बंदी से इस्राएल के परमेश्वर के विषय में और जानने की इच्छा प्रकट की। उस बूढ़े ने उसे यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक दिखाई, जहाँ लिखा था:
*”यहोवा अपने अभिषिक्त कुस्रू के विषय में यों कहता है: मैंने उसका दाहिना हाथ पकड़कर उसके सामने जातियों को दबा दिया… मैं तेरे आगे-आगे चलकर ऊबड़-खाबड़ स्थानों को समतल करूँगा… यह सब इसलिए कि तू जान ले कि मैं यहोवा हूँ, जिसने तुझे बुलाया।”* (यशायाह 45:1-3)
कुस्रू अचंभित रह गया। उसने पूछा, *”कैसे हो सकता है कि तुम्हारे ईश्वर ने मेरा नाम सैकड़ों वर्ष पहले ही जान लिया था?”* बूढ़े ने उत्तर दिया, *”क्योंकि वही अदृश्य को देखता है और भविष्य को जानता है। वही सृष्टिकर्ता है, और कोई उसके तुल्य नहीं।”*
### **बंधुआई की समाप्ति**
कुस्रू का हृदय परिवर्तित हो गया। उसने इस्राएल के सभी बंदियों को एकत्रित किया और घोषणा की: *”यहोवा, स्वर्ग के ईश्वर ने मुझे सारे पृथ्वी के राज्य दिए हैं, और उसी ने मुझे आज्ञा दी है कि मैं यरूशलेम में उसके लिए एक मंदिर बनवाऊँ। इसलिए जो कोई तुम में से उसके लोगों में से है, वह यरूशलेम को जाकर यहोवा के मंदिर का निर्माण करे!”* (एज्रा 1:1-3)
लोगों ने आनन्दित होकर ईश्वर की स्तुति की। वे अपने साथ बहुमूल्य उपहार और यरूशलेम के मंदिर के लिए सामग्री लेकर चल पड़े। ईश्वर ने अपना वचन पूरा किया था—उसने एक ऐसे राजा का उपयोग किया, जो उसे नहीं जानता था, ताकि सब देखें कि वही सच्चा परमेश्वर है।
### **ईश्वर की सर्वोच्चता**
यशायाह के वचन पूरे हुए: *”मैं यहोवा हूँ, और कोई दूसरा नहीं। मैंने ज्योति सृजी और अंधकार रचा, मैं शांति देता हूँ और विपत्ति उत्पन्न करता हूँ। मैं यहोवा ही ये सब कुछ करता हूँ।”* (यशायाह 45:6-7)
इस कहानी से हम सीखते हैं कि ईश्वर की योजनाएँ अद्भुत हैं। वह राजाओं और राष्ट्रों को अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उपयोग करता है। उसकी महिमा सर्वोपरि है, और वह अपने वचन को सदैव पूरा करता है।
**अन्त में, यशायाह का वचन हमें याद दिलाता है:**
*”मुड़कर मेरी ओर देखो और उद्धार पाओ, हे पृथ्वी की सभी जातियों के लोग! क्योंकि मैं ही ईश्वर हूँ, और कोई दूसरा नहीं!”* (यशायाह 45:22)
ईश्वर की इस अद्भुत योजना में हम सबका स्थान है। हमें केवल उस पर विश्वास करना है और उसकी महिमा का गुणगान करना है।