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विश्वास का नया मार्ग मलिकिसिदक और यीशु की महिमा

**विश्वास का नया मार्ग: मलिकिसिदक और यीशु की महिमा**

प्राचीन काल में, जब परमेश्वर ने इब्राहीम से वाचा बाँधी थी, तब एक रहस्यमय व्यक्ति प्रकट हुआ—मलिकिसिदक। वह सालेम नगर का राजा था और परमप्रधान परमेश्वर का पुरोहित भी। उसका न तो कोई पिता था, न माता, न वंशावली, न जन्म, न मृत्यु। वह परमेश्वर के पुत्र के समान अनंतकाल तक पुरोहित बना रहा।

जब इब्राहीम ने राजाओं को पराजित करके लौटाया, तो मलिकिसिदक ने उसे रोटी और दाखमधु देकर आशीर्वाद दिया। इब्राहीम ने उसे अपनी लूट का दशमांश भेंट किया, यह दिखाते हुए कि मलिकिसिदक उससे भी महान था। यह घटना भविष्य की एक छाया थी—एक ऐसे पुरोहित की जो व्यवस्था से ऊपर होगा।

समय बीतता गया। लेवी के वंश के पुरोहितों ने याजकीय सेवा की, पर उनकी सेवा भी अपूर्ण थी। वे मृत्यु के कारण सदा नहीं रह सकते थे, और उनकी बलिदान व्यवस्था पापों को पूरी तरह दूर नहीं कर सकती थी। परन्तु जब यीशु मसीह आए, तो सब कुछ बदल गया।

यीशु, यहूदा के गोत्र से थे, जो लेवी की पुरोहिताई से अलग था। फिर भी, वे मलिकिसिदक की रीति पर अनंतकाल के पुरोहित बने। उन्हें न किसी मनुष्य ने नियुक्त किया, न ही उन्हें पशुओं का बलिदान चढ़ाने की आवश्यकता थी। उन्होंने स्वयं को एक सिद्ध बलिदान के रूप में चढ़ाया—एक बार और सदा के लिए।

जब यीशु ने क्रूस पर अपना लहू बहाया, तो उन्होंने न केवल पापों का प्रायश्चित किया, बल्कि एक नई और जीवित रीति भी खोल दी। अब विश्वासी सीधे परमेश्वर के सिंहासन तक पहुँच सकते थे, क्योंकि यीशु सदैव उनके लिए बिचारी करते हैं। वह पुरानी व्यवस्था की सीमाओं से परे है—वह अनंतकाल का पुरोहित है, जिसकी सेवकाई कभी समाप्त नहीं होगी।

इसलिए, हे विश्वासियो, दृढ़ बने रहो! तुम्हारा उद्धारकर्ता केवल एक नबी या शिक्षक नहीं है—वह स्वर्ग का महापुरोहित है, जिसने तुम्हें अनंत जीवन का मार्ग दिखाया है। उस पर भरोसा रखो, क्योंकि उसकी पुरोहिताई सर्वोच्च और अटल है।

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