पवित्र बाइबल

प्रेरित पौलुस की राजा अग्रिप्पा के सामने गवाही

**प्रेरित पौलुस और राजा अग्रिप्पा के सामने गवाही**

रोमी सूबेदार फेस्तुस के दरबार में हलचल थी। यहूदिया के यहूदी नेता पौलुस के विरुद्ध अनेक गंभीर आरोप लगा रहे थे, परन्तु फेस्तुस को समझ नहीं आ रहा था कि इस मामले में क्या निर्णय ले। तभी उसे सूचना मिली कि राजा अग्रिप्पा और उसकी बहन बेरिनीके यहाँ आने वाले हैं। फेस्तुस ने सोचा कि शायद राजा अग्रिप्पा इस मामले में उचित सलाह दे सकते हैं।

अगले दिन, महल का बड़ा कक्ष सजाया गया। सेनापति, प्रमुख यहूदी नेतागण और शहर के गणमान्य लोग वहाँ एकत्र हुए। राजा अग्रिप्पा सिंहासन पर विराजमान हुए, उनके पास बेरिनीके बैठी थीं। फेस्तुस ने पौलुस को बुलवाया और सबके सामने उसकी गवाही सुनने का निर्णय लिया।

जब पौलुस को लाया गया, तो उसकी आँखों में दृढ़ विश्वास झलक रहा था। उसने हाथ उठाकर सबका अभिवादन किया और बोलना शुरू किया:

**”महाराज अग्रिप्पा, मैं अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों का उत्तर देने के लिए आपके सामने खड़ा हूँ। आप यहूदी रीति-रिवाजों और विवादों से भलीभाँति परिचित हैं, इसलिए मैं आपसे विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूँ कि मेरी बात धैर्यपूर्वक सुनें।”**

पौलुस ने अपना जीवन-वृत्तान्त सुनाना शुरू किया: **”मेरा बचपन से ही यहूदी धर्म में कठोर शिक्षण हुआ। मैं फरीसी समुदाय का सदस्य था, और हमारा विश्वास था कि परमेश्वर ने मरे हुओं के जी उठने की प्रतिज्ञा की है। मैंने अपने जीवन का हर पल परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करने में बिताया।”**

फिर उसने अपने अतीत की ओर इशारा किया: **”लेकिन मैंने नासरत के यीशु के नाम को मिटाने का प्रयास किया। मैंने अनेक मसीही विश्वासियों को बंदी बनाया, उन्हें सताया, और यहाँ तक कि उनकी हत्या के लिए मतदान भी किया। मैं यरूशलेम से दमिश्क तक उनके विरुद्ध कार्यवाही करने गया था।”**

तभी पौलुस ने अपने जीवन के उस महत्वपूर्ण पल का वर्णन किया जब उसका जीवन बदल गया: **”महाराज, दोपहर के समय, मैंने रास्ते में एक प्रकाश देखा जो सूर्य से भी अधिक तेज था। वह आकाश से चमका और मेरे और मेरे साथियों के चारों ओर फैल गया। हम सभी भूमि पर गिर पड़े। तब मैंने एक स्वर सुना—’हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?’ मैंने पूछा, ‘हे प्रभु, आप कौन हैं?’ और प्रभु ने उत्तर दिया, ‘मैं यीशु हूँ, जिसे तू सताता है।'”**

पौलुस की आवाज़ भावुक हो उठी: **”प्रभु ने मुझे उठाया और कहा कि वह मुझे अपनी सेवा के लिए चुन चुका है। मुझे यहूदियों और अन्यजातियों के सामने गवाही देनी है कि वही मसीह है, जिसने मृत्यु को जीत लिया है। उसी दिन से, मैंने प्रभु यीशु की आज्ञा मानी और लोगों को पश्चाताप और परमेश्वर की ओर फिरने का सन्देश दिया।”**

राजा अग्रिप्पा गहरी सोच में डूब गए। पौलुस ने साहसपूर्वक पूछा: **”महाराज, क्या आप भविष्यद्वक्ताओं पर विश्वास करते हैं? मैं जानता हूँ कि आप करते हैं।”**

अग्रिप्पा ने मुस्कुराते हुए कहा, **”तू मुझे थोड़े ही समय में मसीही बनाना चाहता है!”**

पौलुस ने विनम्रता से उत्तर दिया: **”चाहे थोड़ा समय हो या अधिक, मेरी प्रार्थना है कि न केवल आप, बल्कि यहाँ उपस्थित सभी लोग मसीह में विश्वास करें।”**

फेस्तुस ने ऊँची आवाज़ में कहा, **”पौलुस, तू पागल हो गया है! बहुत अधिक पढ़ाई ने तेरा दिमाग खराब कर दिया है!”**

परन्तु पौलुस ने शांति से उत्तर दिया: **”महानुभाव फेस्तुस, मैं पागल नहीं हूँ। मैं सत्य और विवेक की बात कर रहा हूँ।”**

जब सभा समाप्त हुई, तो राजा अग्रिप्पा, बेरिनीके और फेस्तुस ने आपस में विचार-विमर्श किया। अग्रिप्पा ने कहा, **”यह मनुष्य कुछ भी ऐसा नहीं करता जिससे मृत्यु या बंधन का दण्ड मिलना चाहिए। यदि उसने कैसर से अपील न की होती, तो इसे छोड़ा जा सकता था।”**

इस प्रकार, पौलुस की गवाही ने सभी के हृदयों को छू लिया, और परमेश्वर का वचन उनके सामने प्रकट हुआ।

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