# **एलीशा और लोहे की कुल्हाड़ी (2 राजाओं 6:1-7)**
## **भविष्यवक्ताओं का समूह और नया स्थान**
यरदन नदी के तट पर, भविष्यवक्ताओं का एक समूह एलीशा के चारों ओर इकट्ठा हुआ। दिन भर की शिक्षा के बाद, उनमें से एक ने एलीशा से कहा, “हे हमारे स्वामी, जैसा कि आप देख रहे हैं, यह स्थान जहाँ हम आपके साथ बैठते हैं, हमारे लिए बहुत छोटा हो गया है। क्या हम यरदन नदी के पास जाकर वहाँ प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक-एक कुटिया बना सकते हैं?”
एलीशा ने सहमति में सिर हिलाया, “जाओ।”
तब एक भविष्यवक्ता ने विनम्रता से कहा, “कृपया आप भी अपने सेवकों के साथ चलें।”
एलीशा मुस्कुराए, “ठीक है, मैं तुम्हारे साथ चलूँगा।”
## **नदी किनारे काम शुरू**
वे सब यरदन नदी के तट पर पहुँचे। हर कोई उत्साह से लकड़ियाँ काटने लगा। हवा में कुल्हाड़ियों की आवाज़ गूँज रही थी, और पेड़ों के गिरने की धमक सुनाई दे रही थी। सूरज की रोशनी पानी पर चमक रही थी, और नदी की लहरें मानो उनके परिश्रम की सराहना कर रही थीं।
तभी अचानक एक भविष्यवक्ता की चीख सुनाई दी, “हाय! हे मेरे प्रभु!”
सभी काम रोककर उसकी ओर देखने लगे। वह व्यक्ति घबराया हुआ था, उसके हाथ खाली थे। उसने एलीशा से कहा, “मैंने एक लोहे की कुल्हाड़ी उधार ली थी, और अब वह नदी में गिर गई! हे मेरे स्वामी, वह तो मेरी नहीं थी, मैंने किसी और से उधार ली थी!”
## **एलीशा का चमत्कार**
एलीशा ने शांत भाव से उसकी बात सुनी। वे जानते थे कि यह कोई साधारण घटना नहीं थी। उन्होंने पूछा, “वह कहाँ गिरी?”
वह व्यक्ति नदी के किनारे ले गया और उस स्थान को दिखाया जहाँ कुल्हाड़ी पानी में डूब गई थी। एलीशा ने एक लकड़ी का टुकड़ा उठाया और उसे पानी में फेंक दिया। तभी एक अद्भुत घटना घटी—लोहे की कुल्हाड़ी पानी से ऊपर आकर तैरने लगी!
एलीशा ने कहा, “उसे उठा लो।”
वह व्यक्ति आश्चर्यचकित होकर कुल्हाड़ी को पकड़ लिया। उसकी आँखों में आँसू थे। उसने एलीशा के पैरों पर गिरकर कहा, “धन्य हैं आप, हे परमेश्वर के व्यक्ति! आपने मुझे न केवल एक कुल्हाड़ी बचाई, बल्कि मेरी इज्ज़त भी रख ली!”
## **परमेश्वर की महिमा**
सभी भविष्यवक्ताओं ने इस चमत्कार को देखा और परमेश्वर की स्तुति की। उन्हें फिर से याद आया कि एलीशा साधारण मनुष्य नहीं, बल्कि परमेश्वर की शक्ति से भरपूर हैं। वे समझ गए कि परमेश्वर छोटी से छोटी चीज़ों की भी चिंता करता है।
उस दिन के बाद, उन सभी का विश्वास और गहरा हो गया। वे जान गए कि जो परमेश्वर के काम में लगे हैं, उनकी हर आवश्यकता का ध्यान रखा जाएगा।
इस प्रकार, एलीशा ने न केवल एक कुल्हाड़ी बचाई, बल्कि लोगों के हृदयों में विश्वास की ज्योति जगाई।