पवित्र बाइबल

दाऊद का परमेश्वर के सन्दूक को लाने का प्रयास

**1 इतिहास 13 की कहानी: परमेश्वर के सन्दूक को वापस लाने का प्रयास**

उस समय इज़राइल के सारे गोत्रों में एकता का अभाव था। राजा दाऊद ने यहूदा के हेब्रोन नगर में सात वर्षों तक शासन किया था, किन्तु अब परमेश्वर ने उसे सम्पूर्ण इज़राइल का राजा बनाया था। दाऊद का हृदय परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए उत्साह से भरा हुआ था। उसने सोचा, *”अब समय आ गया है कि हम परमेश्वर के सन्दूक को वापस ले आएँ, जो कई वर्षों से किरियत-यारीम में पड़ा हुआ है।”*

### **दाऊद की योजना**

एक दिन दाऊद ने इज़राइल के सभी प्रमुख नेताओं—हज़ारों के अधिपतियों, सैनिकों और याजकों—को एक साथ बुलाया। उसने उनसे कहा, *”यदि तुम सबको यह बात स्वीकार है, और यह हमारे परमेश्वर यहोवा की इच्छा है, तो हम अपने भाइयों को, जो अभी तक इज़राइल के सभी क्षेत्रों में बिखरे हुए हैं, सन्देश भेजें कि वे हमारे साथ आएँ। हम परमेश्वर के सन्दूक को किरियत-यारीम से वापस ले आएँगे, क्योंकि शाऊल के समय में हमने इसकी उपेक्षा की थी।”*

सभा में उपस्थित सभी लोगों ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया, क्योंकि यह बात सबके मन में थी।

### **सन्दूक को ले जाने की तैयारी**

दाऊद ने सम्पूर्ण इज़राइल को, मिस्र की सीमा से लेकर हमात तक, एकत्रित होने का आदेश दिया। हज़ारों लोग एक साथ किरियत-यारीम की ओर चल पड़े, जो यहूदा के पहाड़ों पर स्थित था। वहाँ अबीनाादब का घर था, जहाँ परमेश्वर का सन्दूक रखा हुआ था। सन्दूक को एक नई गाड़ी पर रखा गया, जिसे अबीनाादब के दो पुत्रों—उज्जा और अह्यो—ने खींचना शुरू किया।

इज़राइल के लोग आनन्द और उत्साह से भरे हुए थे। वे सारंगी, वीणा, झाँझ, मंजीरों और तुरहियों के स्वरों के साथ परमेश्वर की स्तुति करते हुए चल रहे थे। राजा दाऊद स्वयं भी लबादा उतारकर, सन के एपोद (याजकीय वस्त्र) को पहने, परमेश्वर के सामने पूरे उत्साह से नाच रहा था।

### **उज्जा की भूल और परमेश्वर का क्रोध**

किन्तु जब वे खीदोन के खलिहान के पास पहुँचे, तब बैलों ने अचानक ठोकर खाई और सन्दूक हिलने लगा। उज्जा ने डरकर सन्दूक को थाम लिया, क्योंकि वह गिरने वाला था। यहोवा की व्यवस्था के अनुसार, केवल लेवीय ही सन्दूक को छू सकते थे, और वह भी डंडों के द्वारा। किसी अन्य को सन्दूक को हाथ लगाने की अनुमति नहीं थी।

परमेश्वर का क्रोध उज्जा पर भड़क उठा, और उसी क्षण वह वहीं गिरकर मर गया। यह देखकर सबके आनन्द का उत्सव शोक में बदल गया। दाऊद भी डर गया और उसने कहा, *”मैं यहोवा के सन्दूक को अपने पास कैसे ले जा सकता हूँ?”*

### **सन्दूक को ओबेद-एदोम के घर छोड़ना**

दाऊद ने सन्दूक को आगे न ले जाने का निर्णय लिया। उसे गत के ओबेद-एदोम के घर में रखवा दिया गया। ओबेद-एदोम एक गित्ती (गत नगर का) था, किन्तु वह परमेश्वर का भक्त था। सन्दूक उसके घर तीन महीने तक रहा, और परमेश्वर ने ओबेद-एदोम और उसके सम्पूर्ण परिवार को आशीष दी।

जब दाऊद ने यह सुना, तो उसने फिर से सन्दूक को दाऊद नगर लाने का निश्चय किया, किन्तु इस बार वह व्यवस्था के अनुसार, लेवियों के द्वारा ही सन्दूक को उठवाएगा।

### **सीख**

इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि परमेश्वर की सेवा उसके निर्देशानुसार ही करनी चाहिए। हमारी भक्ति में उत्साह तो होना चाहिए, किन्तु साथ ही उसकी पवित्रता और आदेशों का पालन भी आवश्यक है। दाऊद ने अच्छी मंशा से सन्दूक को वापस लाने का प्रयास किया, किन्तु उसकी व्यवस्था की अवहेलना के कारण उज्जा की मृत्यु हो गई। परन्तु परमेश्वर की कृपा ओबेद-एदोम पर बनी रही, क्योंकि उसने उसके सन्दूक का आदर किया।

इस प्रकार, यह घटना हमें परमेश्वर की पवित्रता और उसकी आज्ञाकारिता का महत्व सिखाती है।

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