पवित्र बाइबल

मुक्ति और चमत्कार: लाल सागर का विभाजन (96 characters)

**विदाई और विश्वास: एक नए सफर की शुरुआत**

मिस्र की धरती पर सुबह की पहली किरण फूटने लगी थी। आकाश में सुनहरे और लाल रंग के बादल छाए हुए थे, मानो स्वयं परमेश्वर ने आशीष के रंगों से आकाश को सजा दिया हो। इस्राएल के लोग, जो सदियों से दासता की जंजीरों में जकड़े हुए थे, अब आज़ादी की सांस ले रहे थे। परमेश्वर ने उनके लिए एक महान मार्ग तैयार किया था—वादा किए हुए देश कनान की ओर।

### **परमेश्वर का निर्देश**

मूसा ने लोगों को इकट्ठा किया। उनकी आँखों में विश्वास और उत्साह चमक रहा था। वे सभी यह जानते थे कि यह कोई साधारण यात्रा नहीं थी, बल्कि परमेश्वर की महान योजना का एक हिस्सा थी। मूसा ने उनसे कहा, “आज के दिन को सदा याद रखना। यह वह दिन है जब परमेश्वर ने तुम्हें अपने शक्तिशाली हाथ से मिस्र से निकाला। अब तुम फसह के पर्व को मनाओगे, क्योंकि यह परमेश्वर की विजय का प्रतीक है।”

लोगों ने अपने घरों में बिना खमीर की रोटी बनाई, जैसा कि परमेश्वर ने आज्ञा दी थी। उनके बच्चों ने पूछा, “यह सब क्यों कर रहे हो?” तब माता-पिता ने उन्हें बताया कि कैसे परमेश्वर ने मिस्रियों को दंड दिया, परन्तु इस्राएल के घरानों को बचाया। यह कहानी पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाई जानी थी, ताकि हर कोई परमेश्वर की महानता को जाने।

### **आग का स्तंभ और बादल का मार्गदर्शन**

जब इस्राएली रामसेस से निकले, तो परमेश्वर ने उनके आगे एक अद्भुत चिन्ह प्रगट किया। दिन में वह एक बड़े बादल के स्तंभ के रूप में उनका मार्गदर्शन करता था, जो उन्हें धूप से बचाता था। रात को वह आग के स्तंभ में बदल जाता, जिसकी रोशनी में वे सुरक्षित चल सकते थे। यह चिन्ह परमेश्वर की निरंतर उपस्थिति का प्रमाण था—वह कभी उन्हें अकेला नहीं छोड़ेगा।

लोग आश्चर्यचकित होकर इस दृश्य को देखते थे। बूढ़े याकूब के वंशज आँसू भरी आँखों से आकाश की ओर देखते और कहते, “सचमुच, यहोवा हमारे साथ है!” छोटे बच्चे अपनी माताओं से लिपटकर पूछते, “क्या यह आग हमें कभी जला देगी?” और माताएँ मुस्कुराकर जवाब देतीं, “नहीं, प्यारे, यह परमेश्वर की आग है, जो हमें सुरक्षा देती है।”

### **फिरौन का पश्चाताप और नया संकल्प**

जब फिरौन ने सुना कि इस्राएली भाग निकले हैं, तो उसका हृदय फिर से कठोर हो गया। वह बोला, “क्या हमने इन दासों को मुफ़्त में जाने दिया? हमारे पास अब कौन काम करेगा?” उसने अपने सैनिकों को तैयार किया और छः सौ रथों के साथ इस्राएलियों का पीछा करने निकला। मिस्र की सेना धूल उड़ाती, घोड़ों की टापों की आवाज़ से धरती काँप उठी।

इस्राएली जब लाल सागर के किनारे पहुँचे, तो उन्होंने पीछे मुड़कर मिस्रियों के रथों को देखा। भय से उनका हृदय डूब गया। वे चिल्लाने लगे, “क्या हमें मरने के लिए मिस्र से निकाल लाया गया?” किन्तु मूसा ने दृढ़ता से कहा, “डरो मत! खड़े रहो और यहोवा का उद्धार देखो। आज के बाद तुम फिर कभी मिस्रियों को नहीं देखोगे!”

### **लाल सागर का विभाजन**

तब परमेश्वर ने मूसा से कहा, “अपनी लाठी उठा और समुद्र के ऊपर हाथ बढ़ा।” मूसा ने ऐसा ही किया। और देखते ही देखते, परमेश्वर ने एक तेज़ पुरवाई चलाई, जिसने समुद्र के पानी को दो भागों में बाँट दिया। पानी दीवारों की तरह खड़ा हो गया, और सूखी ज़मीन दिखाई देने लगी।

इस्राएली विस्मय से भर गए। बूढ़े, जवान, बच्चे—सभी ने इस चमत्कार को अपनी आँखों से देखा। वे धीरे-धीरे समुद्र के बीच से चलने लगे। उनके दाएँ-बाएँ पानी की दीवारें थीं, मानो स्वयं परमेश्वर ने उनके लिए रास्ता बना दिया हो।

जब मिस्री सेना ने उनका पीछा किया, तो परमेश्वर ने उनके रथों के पहिये उखाड़ दिए। वे घबरा गए और चिल्लाने लगे, “भागो! यहोवा इस्राएलियों के लिए लड़ रहा है!” किन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मूसा ने फिर से हाथ बढ़ाया, और समुद्र ने अपना पानी मिला लिया। सारे मिस्री सेना उसमें डूब गए।

### **विजय का गीत**

जब इस्राएली सकुशल दूसरे किनारे पहुँचे, तो उन्होंने अपनी आँखों से देखा कि उनका शत्रु अब कभी नहीं उठेगा। मरियम ने एक ढोल लिया और स्त्रियों के साथ नृत्य करते हुए गीत गाया:

*”यहोवा के लिए गाओ, क्योंकि उसने महान कार्य किया है!
घोड़े और उसके सवार को उसने समुद्र में फेंक दिया!”*

सारे लोग आनन्द से भर गए। उन्होंने समझ लिया कि परमेश्वर न केवल शक्तिशाली है, बल्कि वह अपने वादों को पूरा करने वाला भी है। अब उनका सफर शुरू हो चुका था—एक सफर जो उन्हें परमेश्वर की महिमा और उनकी योजना की गहराईयों तक ले जाने वाला था।

**इस प्रकार, इस्राएल ने दासत्व की बेड़ियों से मुक्ति पाई और एक नए जीवन की ओर कदम बढ़ाया—परमेश्वर के हाथों में सुरक्षित और उनकी आशीषों से भरपूर।**

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