पवित्र बाइबल

पाप से मुक्ति: लैव्यव्यवस्था 5 की प्रायश्चित कहानी

**पाप और प्रायश्चित की कहानी: लैव्यव्यवस्था 5 के आधार पर**

एक समय की बात है, जब इस्राएल के लोग सीनै के जंगल में यहोवा के निर्देशों के अनुसार जीवन व्यतीत कर रहे थे। उन दिनों, मूसा यहोवा की व्यवस्था को लोगों तक पहुँचाता था, ताकि वे पवित्र जीवन जी सकें। लैव्यव्यवस्था की पुस्तक में यहोवा ने पाप और प्रायश्चित के बारे में विस्तार से बताया था, ताकि लोग अपने अपराधों से मुक्त होकर उसके सामने खड़े हो सकें।

### **एक साधारण व्यक्ति की गलती**

उन्हीं दिनों में एक व्यक्ति था जिसका नाम एलीशाफ था। वह यहूदा के गोत्र से था और एक सीधा-सादा किसान था। एक दिन, जब वह अपने खेत में काम कर रहा था, तो उसने देखा कि उसका पड़ोसी, जो लेवीयों में से था, अपनी भेड़ों को चरा रहा था। एलीशाफ ने उससे कहा, “तुम्हारी एक भेड़ मेरे खेत में आ गई है। मैं उसे वापस तुम्हारे पास भेज देता हूँ।” परंतु, काम के बोझ के कारण वह भूल गया और भेड़ को वापस नहीं लौटाया।

कुछ दिनों बाद, जब एलीशाफ को अपनी भूल याद आई, तो उसका हृदय भारी हो गया। वह जानता था कि यहोवा की व्यवस्था के अनुसार, किसी की वस्तु को रख लेना और उसे स्वीकार न करना पाप है, भले ही वह अनजाने में हुआ हो। उसने सोचा, “मैंने अपने पड़ोसी के साथ अन्याय किया है। यहोवा के सामने मैं दोषी हूँ।”

### **याजक के पास जाना**

एलीशाफ ने निर्णय लिया कि वह अपने पाप को छुपाएगा नहीं, बल्कि यहोवा के सामने इसे स्वीकार करेगा। वह मिलापवाले तम्बू में गया, जहाँ याजक हारून के पुत्र पवित्र स्थान में सेवा करते थे। उसने याजक से कहा, “मैंने अनजाने में पाप किया है। मैंने अपने पड़ोसी की भेड़ को रख लिया और उसे लौटाना भूल गया। मैं यहोवा के सामने अपना दोष स्वीकार करता हूँ और प्रायश्चित करना चाहता हूँ।”

याजक ने उसकी बात सुनी और लैव्यव्यवस्था 5 के नियमों के अनुसार उसे बताया, “यहोवा ने हमें सिखाया है कि यदि कोई व्यक्ति अनजाने में पाप करे, तो उसे अपना अपराध स्वीकार करना चाहिए और एक बलिदान चढ़ाना चाहिए। तुम्हें एक निर्दोष मेमना या बकरी यहोवा के लिए लाना होगा, ताकि तुम्हारे पाप का प्रायश्चित हो सके।”

### **बलिदान और क्षमा**

एलीशाफ ने अपने झुंड से एक निर्दोष मेमना लिया और उसे मिलापवाले तम्बू में ले गया। याजक ने उस मेमने को यहोवा के सामने बलिदान के रूप में चढ़ाया। मेमने का लहू वेदी पर छिड़का गया, और उसका मांस यहोवा की आग में समर्पित किया गया। याजक ने एलीशाफ से कहा, “यहोवा ने तुम्हारे पाप को क्षमा कर दिया है। अब तुम शुद्ध हो।”

एलीशाफ का हृदय हल्का हो गया। उसने अपने पड़ोसी के पास जाकर उसकी भेड़ लौटाई और उससे क्षमा माँगी। पड़ोसी ने उसे आशीर्वाद दिया, और एलीशाफ ने सीखा कि यहोवा की व्यवस्था मनुष्य को पाप से मुक्ति दिलाने के लिए है।

### **शिक्षा**

इस कहानी से हम सीखते हैं कि यहोवा पवित्र है और वह चाहता है कि उसके लोग भी पवित्र जीवन जिएँ। यदि हमसे कोई पाप हो जाए, चाहे वह जानबूझकर हो या अनजाने में, हमें उसे छुपाना नहीं चाहिए, बल्कि यहोवा के सामने उसे स्वीकार करके क्षमा माँगनी चाहिए। प्रभु यीशु मसीह, जो हमारे लिए सिद्ध बलिदान बने, उनके कारण आज हमारे पापों की पूरी क्षमा है।

“यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।” (1 यूहन्ना 1:9)

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