पवित्र बाइबल

यरदन पार करने का चमत्कार और यादगार पत्थर (Note: The title is within 100 characters, symbols and quotes are removed, and it captures the essence of the story.)

# **यहोशू 4: पत्थरों की यादगार**

## **भूमिका**

यरदन नदी का प्रवाह तेजी से बह रहा था, और उसकी धाराएँ उफनती हुई प्रतीत हो रही थीं। यह वह समय था जब इस्राएल के लोगों को वादा किए हुए देश में प्रवेश करना था। परमेश्वर ने यहोशू को आज्ञा दी थी कि वह इस्राएलियों को यरदन पार कराए, और अब वह दिन आ चुका था। यहोशू ने लोगों को इकट्ठा किया और कहा, “परमेश्वर आज हमारे बीच अद्भुत कार्य करने वाला है। तैयार रहो, क्योंकि हम इस पवित्र भूमि में प्रवेश करने वाले हैं।”

## **यरदन नदी का चमत्कार**

याजकों ने वाचा का सन्दूक उठाया और यरदन नदी के किनारे पहुँचे। जैसे ही उनके पैर पानी में डूबे, ऊपर से आने वाला पानी रुक गया और एक विशाल दीवार की तरह खड़ा हो गया। नीचे का पानी बहकर समुद्र की ओर चला गया, और नदी का तल सूखा हुआ दिखाई देने लगा। इस्राएल के सभी लोग सूखी भूमि पर चलते हुए यरदन पार करने लगे। यह वही चमत्कार था जो कई साल पहले लाल समुद्र के समय हुआ था। परमेश्वर ने अपनी शक्ति फिर से प्रकट की थी।

## **यादगार के पत्थर**

जब सारे लोग पार हो चुके, तब यहोशू ने बारह पुरुषों को बुलाया, जो इस्राएल के बारह गोत्रों में से एक-एक थे। उसने उनसे कहा, “यरदन नदी के बीच से, जहाँ याजकों के पैर खड़े थे, बारह पत्थर उठाकर लाओ। हम इन्हें अपने डेरे के पास रखेंगे, ताकि भविष्य में जब बच्चे पूछें कि ये पत्थर क्यों रखे गए हैं, तो हम उन्हें बता सकें कि किस प्रकार परमेश्वर ने हमें यरदन पार कराया।”

उन बारह पुरुषों ने वैसा ही किया। वे नदी के बीच में गए और बड़े-बड़े पत्थर उठाकर लाए। यहोशू ने उन पत्थरों को गिलगाल में स्थापित किया, जहाँ इस्राएली डेरा डाले हुए थे।

## **याजकों की वापसी**

जब सभी लोग पार हो गए, तब यहोशू ने याजकों से कहा, “अब वाचा का सन्दूक लेकर नदी से बाहर आओ।” जैसे ही याजकों के पैर सूखी भूमि पर पड़े, यरदन नदी का पानी फिर से बहने लगा और अपने पूर्ववर्ती प्रवाह में लौट आया। इस्राएलियों ने यह देखकर परमेश्वर की महिमा की और उसकी स्तुति करने लगे।

## **पत्थरों का महत्व**

उस दिन यहोशू ने लोगों को समझाया, “ये पत्थर हमारे और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक चिन्ह हैं। जब कोई भविष्य में पूछेगा, ‘ये पत्थर क्यों रखे गए हैं?’ तो तुम उन्हें बताना कि इस्राएल यरदन नदी के सूखे तल पर चलकर पार हुआ था। परमेश्वर ने हमारे सामने नदी के जल को रोक दिया, जैसे उसने लाल समुद्र में किया था। यह इसलिए हुआ कि सारी पृथ्वी जान ले कि यहोवा की शक्ति महान है, और हम सदैव उसकी आराधना करें।”

## **निष्कर्ष**

इस प्रकार, इस्राएलियों ने गिलगाल में उन पत्थरों को एक साक्षी के रूप में स्थापित किया। वे पत्थर न केवल एक स्मारक थे, बल्कि परमेश्वर के प्रति विश्वास और आज्ञाकारिता का प्रतीक भी थे। आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाने के लिए कि परमेश्वर अपने वचन के प्रति सच्चा है और वह अपने लोगों के साथ हमेशा खड़ा रहता है।

**इस्राएल के इतिहास में यह दिन सदैव याद किया जाता रहा, क्योंकि इस दिन परमेश्वर ने अपनी महान शक्ति प्रकट की और अपने लोगों को विजय दिलाई।**

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