पवित्र बाइबल

नेहम्याह और यरूशलेम की दीवारों का पुनर्निर्माण

**नेहम्याह की यात्रा और यरूशलेम की दीवारों की मरम्मत**

राजा अर्तक्षत्र के शासनकाल के बीसवें वर्ष में, निसान महीने का समय था। राजा के दरबार में सुगंधित तेलों की खुशबू फैली हुई थी, और उसके हाथ में सुनहरे प्याले में शराब थी। नेहम्याह, जो राजा के लिए मदिरापाल का काम करता था, उस दिन भी राजा के सामने खड़ा था। लेकिन उसका मन बहुत दुखी था, क्योंकि उसे अपने भाइयों से यरूशलेम के बारे में दुखद समाचार मिले थे। शहर की दीवारें टूटी हुई थीं, और उसके फाटक जलकर राख हो चुके थे। यहूदा के लोग संकट में थे, और उन पर दुश्मनों का आतंक छाया हुआ था।

राजा ने नेहम्याह के चेहरे पर उदासी देखी और पूछा, “तेरे चेहरे पर दुख क्यों है? तू तो बीमार नहीं लगता, फिर भी तेरा मन व्याकुल है।” नेहम्याह बहुत डर गया, क्योंकि राजा के सामने दुखी दिखना उचित नहीं था। लेकिन उसने हिम्मत करके कहा, “महाराज, आपकी आयु लंबी हो! मैं कैसे प्रसन्न रहूँ जब मेरे पूर्वजों का शहर यरूशलेम उजड़ा हुआ है और उसके फाटक आग से नष्ट हो गए हैं?”

राजा ने पूछा, “तो तू क्या चाहता है?” नेहम्याह ने मन में परमेश्वर से प्रार्थना की और राजा से कहा, “यदि महाराज को अच्छा लगे और आपका दास आपकी दृष्टि में अनुग्रह पाए, तो मुझे यहूदा भेज दीजिए, ताकि मैं अपने पूर्वजों के नगर को फिर से बना सकूँ।”

राजा ने, जिसकी रानी भी उसके पास बैठी थी, नेहम्याह की प्रार्थना स्वीकार कर ली। उसने पूछा, “तेरी यात्रा कब तक की होगी? तू कब लौटेगा?” नेहम्याह ने समय निर्धारित किया, और राजा ने उसे जाने की अनुमति दे दी।

नेहम्याह ने राजा से और भी विनती की: “यदि महाराज को अच्छा लगे, तो मुझे फारस के पार के प्रांतों के हाकिमों के नाम पत्र दिए जाएँ, ताकि वे मुझे यरूशलेम तक सुरक्षित पहुँचा दें। और आसपास के जंगल के लिए अासफ के, राजा के वनरक्षक, के नाम एक पत्र दिया जाए, ताकि मुझे नगर की दीवारों के लिए लकड़ी मिल सके।” राजा ने उसकी सभी बातें मान लीं, क्योंकि परमेश्वर का हाथ नेहम्याह पर था।

नेहम्याह नदी पार करके फारस के प्रांतों के हाकिमों के पास पहुँचा और राजा के पत्र उन्हें दिए। लेकिन होरोनी सनबल्लत और अम्मोनी दास तोबिय्याह ने सुना कि कोई यहूदियों का भला चाहने वाला आया है, तो वे बहुत नाराज हुए। उन्हें यहूदियों की उन्नति पसंद नहीं थी।

नेहम्याह यरूशलेम पहुँचा और तीन दिन तक वहाँ रहा। फिर एक रात, वह अपने कुछ साथियों के साथ चुपचाप निकला। उसने कोई किसी को नहीं बताया कि परमेश्वर ने उसके मन में यरूशलेम के लिए क्या योजना रखी थी। वह एक गधे पर सवार होकर नगर की टूटी हुई दीवारों के बीच से गुजरा, और जले हुए फाटकों के अवशेषों को देखकर उसका हृदय दुख से भर गया।

अगले दिन, उसने यहूदियों के अगुओं, याजकों और कुलीनों को इकट्ठा किया और कहा, “तुम देख रहे हो कि हम कितनी मुसीबत में हैं। यरूशलेम उजाड़ पड़ा है, और इसके फाटक जलकर खाक हो गए हैं। आओ, हम यहाँ की दीवारों को फिर से बनाएँ, ताकि हम फिर से अपमानित न हों।”

उसने उन्हें बताया कि परमेश्वर का हाथ उस पर कैसे था और राजा ने उसकी सहायता कैसे की थी। सब लोगों ने उत्साह से कहा, “आओ, हम निर्माण करें!” और इस प्रकार, उन्होंने इस पवित्र कार्य के लिए तैयार होने का निश्चय किया।

लेकिन जब सनबल्लत, तोबिय्याह और अरबों ने सुना कि यहूदी दीवारों की मरम्मत कर रहे हैं, तो वे क्रोधित हो गए और यरूशलेम के विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगे। परन्तु नेहम्याह ने उनकी परवाह न करते हुए परमेश्वर पर भरोसा रखा और कहा, “स्वर्ग का परमेश्वर हमें सफलता देगा। हम उसके दास हैं, और हम निर्माण करेंगे!”

इस प्रकार, नेहम्याह के नेतृत्व में यरूशलेम की दीवारों की मरम्मत का कार्य आरंभ हुआ, और परमेश्वर की कृपा उनके साथ थी।

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