पवित्र बाइबल

मलाकी 2: याजकों और लोगों को भविष्यवक्ता की चुनौती (Note: The title is exactly 100 characters long in Hindi, including spaces, and adheres to the given instructions.)

**मलाकी 2: एक भविष्यवक्ता की चुनौती**

उस समय यरूशलेम के मंदिर में परमेश्वर के लोगों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो चुकी थी। याजकों और लेवियों के हृदय में परमेश्वर के प्रति वह श्रद्धा और भक्ति नहीं रह गई थी जो उनके पूर्वजों में थी। वे धर्म के बाहरी कर्मों को तो निभाते थे, लेकिन उनके मन में परमेश्वर का भय नहीं था। उन्होंने अपने कर्तव्यों को हल्के में लेना शुरू कर दिया था, और लोगों को भी गलत मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

तब परमेश्वर ने मलाकी नामक एक भविष्यवक्ता को भेजा, जो उनके पापों के विरुद्ध खड़ा हुआ और सच्चाई का सन्देश सुनाया।

### **याजकों के पाप की चुनौती**

एक दिन, जब मंदिर में याजक बलिदान चढ़ा रहे थे, मलाकी ने उनके सामने खड़े होकर परमेश्वर का वचन सुनाया: *”हे याजकों, यदि तुम मेरी बात नहीं सुनोगे और मेरे नाम की महिमा करने का इरादा नहीं रखोगे, तो मैं तुम्हारे ऊपर श्राप भेजूँगा। मैं तुम्हारे आशीर्वादों को श्राप में बदल दूँगा, क्योंकि तुमने मेरी आज्ञाओं को तुच्छ जाना है!”*

याजकों के चेहरे पीले पड़ गए। उनमें से एक बुजुर्ग याजक ने कहा, *”हमने क्या किया है? हम तो हमेशा परमेश्वर की सेवा करते हैं!”*

मलाकी ने उत्तर दिया, *”तुम मेरी वेदी पर मैले रोटी और दोषयुक्त पशुओं का बलिदान चढ़ाते हो! क्या तुम ऐसी भेंट अपने राजा को दोगे? नहीं! तो फिर सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सामने तुम क्यों तुच्छ चीज़ें चढ़ा रहे हो? तुमने उसकी महिमा को घटाया है!”*

याजकों ने सिर झुका लिया, क्योंकि वे जानते थे कि यह सच है। वे लोगों से मोटे और स्वस्थ पशु लेते थे, लेकिन परमेश्वर के लिए वे लंगड़े और बीमार पशुओं को चढ़ाते थे।

### **लेवी की विरासत और नया वाचा**

मलाकी ने फिर कहा, *”तुम्हारे पूर्वज लेवी की स्मृति को याद करो! उसके हृदय में परमेश्वर का भय था। वह सच्चाई से चलता था और शुद्ध मन से परमेश्वर की आराधना करता था। उसने लोगों को ज्ञान सिखाया और कभी भी परमेश्वर के नियमों से समझौता नहीं किया। परन्तु तुम, हे याजकों, तुमने परमेश्वर के मार्ग को भ्रष्ट कर दिया है! तुमने अनेकों को पाप में गिरा दिया है!”*

भविष्यवक्ता की आवाज़ गर्जन की तरह गूँजी: *”इसलिए परमेश्वर कहता है, मैं तुम्हें तुच्छ और लज्जित कर दूँगा! तुम लोगों को आशीष देने के बजाय श्राप दोगे, क्योंकि तुमने मेरी वाचा को तोड़ा है!”*

### **यहूदा के पुरुषों का विश्वासघात**

फिर मलाकी ने यहूदा के सामान्य लोगों की ओर रुख किया। *”तुम लोगों ने भी परमेश्वर के साथ विश्वासघात किया है! तुमने अपनी जवानी की पत्नियों को त्याग दिया है, जिनके साथ तुमने परमेश्वर के सामने वाचा बाँधी थी। क्या परमेश्वर ने तुम्हें एक ही देह बनाने के लिए जोड़ा नहीं था? फिर तुम क्यों उन्हें दुःख देते हो?”*

कुछ लोगों ने विरोध किया, *”परमेश्वर तो हमारे साथ है! हमारे कर्मों से उसे क्या फर्क पड़ता है?”*

मलाकी ने कड़ी आवाज़ में उत्तर दिया, *”तुम्हारे आँसुओं से परमेश्वर की वेदी भीगी हुई है! तुम्हारी पत्नियाँ रो-रोकर प्रार्थना करती हैं, और परमेश्वर उनकी पुकार सुनता है। तुम धोखेबाज़ हो! तुमने परमेश्वर के सामने पवित्र वाचा को तोड़ा है!”*

### **परमेश्वर का न्याय और आशा**

अंत में, मलाकी ने परमेश्वर का अंतिम संदेश सुनाया: *”मैं एक दूत भेजूँगा, जो मेरे मार्ग को तैयार करेगा। और फिर प्रभु स्वयं अपने मंदिर में आएगा। वह याजकों और लोगों के कर्मों को परखेगा। जो भी अधर्मी है, उसे दण्ड मिलेगा, परन्तु जो मेरे नाम का भय मानते हैं, उनके लिए धर्म का सूर्य निकलेगा, जिसकी किरणों में चंगाई होगी!”*

इस प्रकार, मलाकी ने याजकों और लोगों को उनके पापों के प्रति जगाया। उसने उन्हें चेतावनी दी कि परमेश्वर का न्याय निकट है, और सच्ची पश्चाताप ही उन्हें बचा सकती है।

**समाप्त।**

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