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यिर्मयाह और राजा की न्याय कहानी

# **यिर्मयाह 22: राजा और न्याय की कहानी**

यहूदा के राज्य में एक समय की बात है, जब यरूशलेम नगर अपने वैभव के शिखर पर था। राजा का महल सोने और कीमती पत्थरों से सजा हुआ था, और उसके दरबार में हर दिन धन और शक्ति की चर्चा होती थी। लेकिन उसी नगर में एक भविष्यद्वक्ता था, जिसका नाम यिर्मयाह था। वह यहोवा की आवाज़ था, और उसके हृदय में लोगों के पापों के कारण एक गहरी पीड़ा थी।

एक दिन, यिर्मयाह को यहोवा का वचन मिला। वह राजा के महल की ओर चल पड़ा, उसके कदमों में वही दृढ़ता थी जो परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता में होती है। महल के द्वार पर पहुँचकर उसने राजा से मिलने की इच्छा जताई। जब राजा ने उसे अपने सामने आने दिया, तो यिर्मयाह ने साहसपूर्वक यहोवा का संदेश सुनाया।

## **राजा के लिए चेतावनी**

“यहूदा के राजा, तू जो दाऊद के सिंहासन पर बैठा है, यहोवा की वाणी सुन!” यिर्मयाह ने कहा, उसकी आवाज़ में गंभीरता थी। “यहोवा तुझसे यह कहता है: ‘तू न्याय और धर्म का पालन कर, और अत्याचार से दीन-हीनों को बचा। परदेशी, अनाथ और विधवा के साथ अन्याय मत कर, और निर्दोष का खून मत बहा। यदि तू इन बातों को मानेगा, तो इस महल में दाऊद के वंश के राजा सदैव बैठते रहेंगे।'”

राजा ने यिर्मयाह की ओर घूरकर देखा, उसके चेहरे पर अहंकार था। “क्या मैंने महल नहीं बनवाया? क्या मैंने यरूशलेम को शक्तिशाली नहीं बनाया? मेरे पास सोना और सेना है, मुझे किसी की डराने की ज़रूरत नहीं!” राजा ने उत्तर दिया।

यिर्मयाह ने दुखी होकर कहा, “परमेश्वर तेरे बाहरी वैभव को नहीं, बल्कि तेरे हृदय की सच्चाई को देखता है। तूने अपने लिए विशाल महल बनवाए, लेकिन तेरे लोग भूखे और प्यासे हैं। तूने अपने हाथों को निर्दोषों के खून से रंग लिया है। इसलिए यहोवा यह कहता है: ‘यदि तू मेरी बात नहीं मानेगा, तो यह महल उजाड़ हो जाएगा।'”

## **परमेश्वर का न्याय**

यिर्मयाह ने आगे कहा, “यहोवा की शपथ! यदि तू नहीं बदलेगा, तो इस महल के पत्थर भी चिल्लाकर तेरे विरुद्ध गवाही देंगे। तेरे पिता योशिय्याह ने न्याय और धर्म से राज किया था, इसलिए उसकी स्मृति आशीषित है। लेकिन तू उसके मार्ग पर नहीं चला। इसलिए तेरे अंत के दिन दुखद होंगे।”

राजा क्रोध से भर गया। “तू कौन होता है मुझे डराने वाला? मेरे पास सैनिक हैं, मेरे पास सोना है! मैं तुझे कैद करवा दूँगा!” उसने गरजकर कहा।

यिर्मयाह ने शांत भाव से उत्तर दिया, “तू अपने बल पर भरोसा करता है, लेकिन यहोवा कहता है: ‘जो लोग तुझसे प्रेम करते हैं, वे भी तुझे धोखा देंगे। तेरे शत्रु तुझे बंदी बनाकर ले जाएँगे, और तू अपनी मातृभूमि को फिर कभी नहीं देख पाएगा।'”

## **भविष्य की भयावहता**

यिर्मयाह ने भविष्य की एक झलक दिखाई: “लोग पूछेंगे, ‘यहूदा का राजा कहाँ गया?’ और उत्तर मिलेगा, ‘वह बंधुआई में चला गया, क्योंकि उसने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी।’ तेरे महल के दरवाज़े आग से जल जाएँगे, और तेरे सिंहासन का गौरव धूल में मिल जाएगा।”

राजा ने यिर्मयाह को महल से निकलवा दिया, लेकिन भविष्यद्वक्ता की बातें उसके मन में गूँजती रहीं। कुछ वर्षों बाद, जैसा यिर्मयाह ने भविष्यवाणी की थी, बेबीलोन की सेना ने यरूशलेम पर आक्रमण कर दिया। राजा को बंदी बना लिया गया, महल नष्ट हो गया, और यहूदा के लोग परदेश में ले जाए गए।

## **सीख**

यिर्मयाह की यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर न्याय और दया चाहता है, न कि धन और बाहरी दिखावा। जो लोग उसकी आज्ञाओं को नहीं मानते, उनका अंत दुखद होता है। लेकिन जो नम्र होकर उसकी बात सुनते हैं, वे सदैव उसकी सुरक्षा में रहते हैं।

“क्या तू राजा होकर भी न्याय नहीं करता? क्या तू धन के मोह में परमेश्वर को भूल गया?” यिर्मयाह का यह प्रश्न आज भी हमारे हृदयों को झकझोरता है।

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