**कहानी: नूह के वंशज और राष्ट्रों का विभाजन**
पृथ्वी पर जलप्रलय के बाद, नूह और उनके तीन पुत्र—शेम, हाम और येपेत—संसार में फिर से बस गए। परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी थी और कहा था, “फलो-फूलो और पृथ्वी पर भर जाओ।” समय बीतने के साथ, नूह के वंशज पूरी धरती पर फैल गए, और उनके कुलों ने अलग-अलग राष्ट्रों का निर्माण किया।
**शेम के वंशज**
शेम, जो नूह के ज्येष्ठ पुत्र थे, के वंशजों ने पूर्व के देशों में अपना घर बनाया। उनके पाँच पुत्र थे: एलाम, अश्शूर, अर्पक्षाद, लूद और अराम।
अश्शूर एक शक्तिशाली व्यक्ति था, और उसने अस्सूर नगर की स्थापना की, जो बाद में महान असीरियन साम्राज्य का केंद्र बना। वहाँ के लोग ऊँचे-ऊँचे मंदिर बनाते थे और अपने देवताओं की पूजा करते थे, परन्तु वे सच्चे परमेश्वर को भूल गए।
अर्पक्षाद के वंश में एक महत्वपूर्ण पुरुष पैदा हुआ—एबर। एबर के नाम पर “इब्री” (यहूदी) लोगों का नाम पड़ा। उनके वंशजों ने परमेश्वर के मार्ग का अनुसरण किया, और अंततः उन्हीं के कुल से इब्राहीम का जन्म हुआ, जिसके द्वारा परमेश्वर ने अपनी वाचा स्थापित की।
**हाम के वंशज**
हाम, जिसने अपने पिता नूह का अपमान किया था, के चार पुत्र थे: कूश, मिस्र, पूत और कनान।
कूश के पुत्र निम्रोद एक वीर योद्धा और शिकारी था। वह परमेश्वर के सामने शक्तिशाली बन गया और उसने बाबेल, एरेक, अक्कद और कल्नेह जैसे नगरों की स्थापना की। निम्रोद का राज्य शिनार देश में फैला, जहाँ बाद में मनुष्यों ने बाबेल का मीनार बनाने का प्रयास किया।
मिस्र के वंशजों ने नील नदी के किनारे एक महान सभ्यता खड़ी की। उन्होंने पिरामिड बनाए और जादू-टोने में निपुण हुए, परन्तु वे भी परमेश्वर से दूर हो गए।
कनान के लोगों ने वादी यरदन के आसपास के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। वे मूर्तिपूजक थे और उनके घिनौने कर्मों के कारण परमेश्वर ने बाद में उन्हें दण्ड दिया।
**येपेत के वंशज**
येपेत, जो नूह के सबसे छोटे पुत्र थे, के सात पुत्र हुए: गोमर, मागोग, मादै, यावान, तूबल, मेशेक और तीरास।
यावान के पुत्रों ने समुद्र के किनारे अपना निवास स्थापित किया। वे नाविक और व्यापारी बने, और उनके वंशज यूनानियों के नाम से जाने गए, जिन्होंने बुद्धि और कला में महारत हासिल की।
गोमर और मागोग के वंश उत्तर के ठंडे प्रदेशों में बस गए। वे योद्धा और घुमक्कड़ थे, जिन्होंने बाद के युगों में बड़े-बड़े आक्रमण किए।
**राष्ट्रों का विभाजन**
इस प्रकार, नूह के तीनों पुत्रों के वंशज पृथ्वी के विभिन्न भागों में फैल गए। हर कुल की अपनी भाषा, अपनी संस्कृति और अपने रीति-रिवाज थे। परन्तु जब मनुष्यों ने अपने घमण्ड में बाबेल का मीनार बनाना चाहा, तो परमेश्वर ने उनकी भाषाएँ बिखेर दीं, और वे सारे संसार में तितर-बितर हो गए।
इस तरह, उन सभी राष्ट्रों की उत्पत्ति हुई जो आज भी विद्यमान हैं। शेम के वंशजों में से परमेश्वर ने अपने चुने हुए लोगों को बनाया, जिनके द्वारा संसार के उद्धार की योजना पूरी हुई।
इस प्रकार, नूह के वंशजों ने पृथ्वी को फिर से बसाया, और परमेश्वर की योजना उनके जीवन के माध्यम से आगे बढ़ती रही।