कालेब की वीरता और यहूदा की विरासत का वर्णन (Note: The title is concise, within 100 characters, and captures the essence of the story—Caleb’s bravery and Judah’s inheritance—while removing symbols and quotes as requested.)
**यहोशू 15: कालेब की विरासत और यहूदा के गोत्र का विस्तृत वर्णन**
भूमि के विभाजन के दिनों में, जब इस्राएल के गोत्रों ने यरदन पार करके कनान देश में प्रवेश किया, तब यहोवा के सेवक यहोशू ने प्रभु की आज्ञा से भूमि का बंटवारा किया। यहूदा के गोत्र को उनका भाग मिला, जैसा कि यहोशू 15 अध्याय में वर्णित है।
### **यहूदा की सीमाएँ**
यहूदा के गोत्र की सीमाएँ विस्तृत और स्पष्ट थीं। दक्षिण में एदोम की सीमा से लेकर उत्तर में यबूस (यरूशलेम) तक, पूर्व में मृत सागर और पश्चिम में भूमध्य सागर तक उनकी भूमि फैली हुई थी। यह सीमा रेखा पहाड़ियों, घाटियों, नदियों और मरुस्थलों से होकर गुज़रती थी। यहूदा के पास ऊँचे दुर्गम पहाड़ भी थे, जहाँ शत्रु आसानी से प्रवेश नहीं कर सकते थे, और उपजाऊ मैदान भी, जहाँ फसलें लहलहाती थीं।
### **कालेब की वीरता और हेब्रोन की विजय**
यहूदा के गोत्र में कालेब बिन यपुन्ने का नाम प्रमुख था। वह वही कालेब था जिसने चालीस वर्ष पूर्व मूसा के साथ कनान देश की जासूसी की थी और विश्वास के साथ कहा था, *”हम निश्चय ही उस देश को जीत लेंगे!”* अब वह पचासी वर्ष का हो चुका था, परन्तु उसकी शक्ति और उत्साह युवावस्था जैसा ही था।
उसने यहोशू से कहा, *”तूने यहोवा के वचन के अनुसार मुझे यह भूमि दी है। अब मुझे हेब्रोन दिया जाए, जहाँ अनेकानेक और बलवान अनाकीम रहते हैं। मैं उन्हें परास्त करके उस नगर को ले लूँगा!”*
यहोशू ने कालेब को आशीर्वाद दिया, और कालेब ने अपने सैनिकों के साथ हेब्रोन पर चढ़ाई की। अनाकीम के दैत्याकार योद्धाओं ने उसका सामना किया, परन्तु यहोवा कालेब के साथ था। उसने उन सबको हराकर हेब्रोन को जीत लिया और वहाँ से शेशै, अहीमन और तल्माई नामक अनाकीम के तीन प्रसिद्ध वीरों को निकाल दिया।
### **दबीर का युद्ध और ओत्नीएल की वीरता**
हेब्रोन के बाद कालेब ने दबीर नगर पर ध्यान दिया, जिसे पहले किर्यत-सपेर कहा जाता था। उसने घोषणा की, *”जो कोई दबीर पर आक्रमण करके उसे जीत लेगा, मैं उसे अपनी पुत्री अक्सा का हाथ दूँगा!”*
ओत्नीएल बिन कनज, कालेब का भतीजा, एक साहसी युवक था। उसने यह चुनौती स्वीकार की और अपने सैनिकों के साथ दबीर पर चढ़ाई की। यहोवा ने उसकी सहायता की, और ओत्नीएल ने नगर को जीत लिया। कालेब ने अपना वचन पूरा करते हुए अक्सा का विवाह ओत्नीएल से कर दिया।
अक्सा ने अपने पिता से कहा, *”तूने मुझे दक्षिणी भूमि दी है, अब मुझे जल के सोते भी दो!”* तब कालेब ने उसे ऊपरी और निचले कुंडों वाली भूमि भी दे दी।
### **यहूदा के नगरों की सूची**
यहूदा के गोत्र को अनेक नगर प्राप्त हुए, जिनमें से कुछ प्रमुख थे:
– **दक्षिणी क्षेत्र:** बेर्शेबा, मोलादा, हसर-शुआल
– **पहाड़ी क्षेत्र:** यरूशलेम, हेब्रोन, यत्तीर, एष्टेमोआ
– **मैदानी क्षेत्र:** लाकीश, एग्लोन, माकेदा
– **समुद्र तटीय क्षेत्र:** अशदोद, गाजा, एक्रोन
इन सब नगरों में यहूदा के वंशज बस गए और उन्होंने उन स्थानों पर यहोवा की आराधना की।
### **यरूशलेम पर अधिकार न होना**
यद्यपि यहूदा ने यबूसियों के नगर यरूशलेम पर आक्रमण किया और उसके कुछ भाग पर अधिकार कर लिया, परन्तु पूरा नगर उनके वश में नहीं हुआ। यबूसी वहाँ निवास करते रहे, और आने वाले समय तक इस्राएलियों के साथ उनका संघर्ष चलता रहा।
### **निष्कर्ष**
इस प्रकार, यहूदा के गोत्र ने कालेब के नेतृत्व में अपनी विरासत को सुरक्षित किया। उन्होंने यहोवा पर भरोसा रखा और उसकी प्रतिज्ञाओं को पूरा होते देखा। कालेब का विश्वास और ओत्नीएल की वीरता इस्राएल के लिए एक उदाहरण बन गई कि जो यहोवा पर भरोसा रखता है, वह विजयी होता है।
*”क्योंकि यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती है कि जो उसकी ओर सच्चे मन से लगे हुए हैं, उनकी सहायता करे।”* (2 इतिहास 16:9)