**धैर्य और प्रार्थना की शक्ति: याकूब 5 की कहानी**
एक समय की बात है, जब प्रार्थना और धैर्य का महत्व समझाने के लिए प्रेरित याकूब ने मसीही विश्वासियों को एक पत्र लिखा। उस पत्र में उसने धनवानों के घमंड और गरीबों के दुखों के बारे में बताया, और फिर उसने सभी को धैर्य रखने और प्रार्थना में बने रहने की सीख दी।
### **धनवानों के विरुद्ध चेतावनी**
याकूब ने लिखा, “सुनो, हे धनवानों! तुम्हारे धन और विलासिता के कारण तुमने अपने हृदय को कठोर बना लिया है। तुमने मजदूरों की मजदूरी रोककर उनके आँसू बहाए हैं, और अब उनकी पुकार परमेश्वर के कानों तक पहुँच चुकी है। सावधान रहो, क्योंकि तुमने अपने लिए आने वाले दिनों में दुख इकट्ठा किया है। तुम्हारा सोना और चाँदी जंग खा रहा है, और वही जंग तुम्हारे विरुद्ध गवाही देगा।”
याकूब के ये शब्द कड़े थे, परन्तु सत्य थे। उसने समझाया कि धन ही जीवन नहीं है, बल्कि परमेश्वर के प्रति नम्रता और दूसरों के प्रति न्याय ही सच्ची भक्ति है।
### **धैर्य का महत्व**
फिर याकूब ने विश्वासियों को धैर्य का पाठ पढ़ाया। उसने कहा, “हे भाइयो, प्रभु के आने तक धैर्य रखो। जैसे एक किसान बीज बोने के बाद बरसात की प्रतीक्षा करता है, वैसे ही तुम भी धीरज धरो। प्रभु का आगमन निकट है!”
उसने अय्यूब का उदाहरण दिया, जिसने अत्यधिक कष्ट सहने के बावजूद परमेश्वर पर भरोसा नहीं छोड़ा। अंत में, परमेश्वर ने उसके धैर्य को आशीष दी और उसकी हानि से भी अधिक उसे बहाल किया। याकूब ने कहा, “परमेश्वर दयालु और करुणामय है। वह तुम्हारी प्रतीक्षा को व्यर्थ नहीं जाने देगा।”
### **प्रार्थना की शक्ति**
याकूब ने आगे लिखा, “यदि कोई तुम में दुखी है, तो प्रार्थना करे। यदि कोई प्रसन्न है, तो भजन गाए। यदि कोई बीमार है, तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाए, और वे उसके लिए प्रार्थना करें और प्रभु के नाम से तेल लगाकर उसका अभिषेक करें। विश्वास की प्रार्थना रोगी को चंगा करेगी, और प्रभु उसे उठाएगा। यदि उसने पाप किए हों, तो वे उसे क्षमा किए जाएँगे।”
याकूब ने एक महत्वपूर्ण सत्य बताया: “एक धर्मी व्यक्ति की प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है।” उसने एलिय्याह का उदाहरण दिया, जो हमारे ही जैसा मनुष्य था, परन्तु उसने प्रार्थना की कि आकाश बरसना बंद करे, और तीन साल तक वर्षा नहीं हुई। फिर उसने फिर से प्रार्थना की, और आकाश ने वर्षा दी। इससे सिद्ध होता है कि प्रार्थना कितनी प्रभावशाली है।
### **भटके हुओं को वापस लाना**
अंत में, याकूब ने कहा, “यदि कोई भाई सत्य के मार्ग से भटक जाए, और कोई उसे वापस ले आए, तो जान लो कि उसने एक प्राण को मृत्यु से बचाया और अनेक पापों को ढक दिया।”
इस प्रकार, याकूब का पत्र सभी मसीहियों के लिए एक मार्गदर्शक बना। उसने सिखाया कि धन का घमंड घातक है, धैर्य आशीष लाता है, और प्रार्थना में अद्भुत शक्ति होती है। जो कोई इन बातों को मानकर चलेगा, वह प्रभु की दृष्टि में धन्य होगा।
**समाप्त।**