पवित्र बाइबल

धर्मी राजा योताम की यहोवा के साथ चलने की कहानी

**यहोवा के साथ चलने वाले राजा योताम की कहानी**

यहूदा के राजा उज्जिय्याह के पुत्र योताम ने पच्चीस वर्ष की आयु में राज्य करना आरंभ किया। वह यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम यरूशा था, जो सादोक की पुत्री थी। योताम ने वह सब किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था, अपने पिता उज्जिय्याह के सब कामों के अनुसार चला। परन्तु उसके पिता की भाँति वह यहोवा के मन्दिर में प्रवेश नहीं करता था, क्योंकि उज्जिय्याह को कोढ़ हो गया था और यहोवा के मन्दिर में प्रवेश करने के कारण ही वह दण्डित हुआ था। योताम ने इससे सीख ली और वह सावधानी से यहोवा की आज्ञाओं का पालन करता रहा।

### **योताम का निर्माण कार्य और सैन्य सफलता**

योताम ने यरूशलेम की शहरपनाह को मजबूत किया और उसके अंदर योपा नामक फाटक के पास एक नया भाग बनवाया। उसने ओफेल की पहाड़ी पर भी कई मजबूत इमारतें खड़ी कीं। इसके अलावा, उसने यहूदा के पहाड़ी प्रदेशों में अनेक नगर बसाए और जंगलों में गढ़ों तथा बुर्जों का निर्माण करवाया।

योताम ने अम्मोनियों के विरुद्ध भी युद्ध किया और उन पर विजय प्राप्त की। अम्मोनियों ने उस वर्ष सौ किक्कार चाँदी, दस हज़ार कोर गेहूँ और दस हज़ार कोर जौ का कर दिया। योताम ने दूसरे और तीसरे वर्ष भी उनसे यही कर वसूल किया। इस प्रकार, योताम शक्तिशाली होता गया, क्योंकि उसने अपने मार्गों को यहोवा के सामने सीधा रखा।

### **योताम की आत्मिक विरासत**

योताम के सभी काम, उसके युद्ध और उसकी योजनाएँ, यहोवा की इच्छा के अनुसार थीं। वह न तो घमण्डी हुआ और न ही उसने परमेश्वर की आज्ञाओं को तोड़ा। उसने यहोवा के मन्दिर के ऊपरी फाटक का भी निर्माण करवाया और यरूशलेम में अन्य सुधार किए। उसके दिनों में यहूदा समृद्ध और सुरक्षित रहा।

परन्तु, यहूदा के लोग अभी भी पूरी तरह से परमेश्वर की ओर नहीं लौटे थे। वे अभी भी ऊँचे स्थानों पर बलिदान चढ़ाते और धूप जलाते रहते थे। योताम ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, परन्तु लोगों के हृदय कठोर बने रहे। फिर भी, योताम स्वयं यहोवा की सेवा में दृढ़ रहा और उसने अपने पिता के पापों को दोहराया नहीं।

### **योताम की मृत्यु और उत्तराधिकार**

जब योताम का समय पूरा हुआ, तो वह अपने पूर्वजों के साथ सो गया और उसे दाऊद के नगर में मिट्टी दी गई। उसका पुत्र आहाज उसके स्थान पर राजा हुआ। योताम का जीवन एक उदाहरण बन गया कि जो कोई यहोवा के मार्गों पर चलता है, वह सफल होता है और परमेश्वर उसे आशीष देता है।

इस प्रकार, योताम का शासनकाल यहूदा के इतिहास में एक उज्ज्वल अध्याय बन गया, जहाँ एक धर्मी राजा ने परमेश्वर के नियमों का पालन किया और अपने राज्य को समृद्धि की ओर ले गया।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *