पवित्र बाइबल

इब्राहीम और सारा का आनंद इसहाक का जन्म उत्पत्ति 21 (कुल अक्षर: 60)

# **इब्राहीम और सारा का आनंद: इसहाक का जन्म**

(उत्पत्ति 21)

## **1. परमेश्वर का वादा पूरा होता है**

समय बीतता गया, और जैसा यहोवा ने वादा किया था, वैसा ही हुआ। सारा ने अपनी वृद्धावस्था में भी परमेश्वर के अद्भुत कार्य को अनुभव किया। वह नब्बे वर्ष की थी, और इब्राहीम सौ वर्ष के हो चुके थे, तब सारा गर्भवती हुई। जब नियत समय आया, तो उसने एक पुत्र को जन्म दिया।

उस दिन, इब्राहीम के तंबू में आनंद की लहर दौड़ गई। सारा ने अपने गोद में उस नन्हें बालक को लिया, और उसकी आँखों में आँसू आ गए। “परमेश्वर ने मुझे हँसाया है!” वह बोली, “जो कोई भी यह सुनेंगे, वे मेरे साथ हँसेंगे।” इसलिए उन्होंने उस बालक का नाम “इसहाक” (अर्थात ‘हँसी’) रखा, क्योंकि परमेश्वर ने उनके जीवन में हँसी भर दी थी।

## **2. इसहाक का विवाह समारोह**

जब इसहाक आठ दिन का हुआ, तो इब्राहीम ने परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार उसका खतना किया। यह एक पवित्र संस्कार था, जो परमेश्वर और इब्राहीम के बीच वाचा का प्रतीक था। इब्राहीम का हृदय गर्व और कृतज्ञता से भर उठा, क्योंकि परमेश्वर ने उसके साथ अपना वादा निभाया था।

कुछ समय बाद, जब इसहाक बड़ा हुआ, तो इब्राहीम ने एक भव्य भोज का आयोजन किया। उसने अपने सभा नौकरों, मित्रों और पड़ोसियों को आमंत्रित किया। मेहमानों ने देखा कि कैसे इब्राहीम और सारा का परिवार आशीषित हुआ है। वे सभी इसहाक को देखकर आश्चर्यचकित थे, क्योंकि सारा की आयु अब मातृत्व के लिए असंभव सी लगती थी। फिर भी, परमेश्वर की सामर्थ्य ने सब कुछ संभव कर दिखाया था।

## **3. हाजिरा और इश्माएल का संकट**

लेकिन इस आनंद के बीच, एक परेशानी खड़ी हो गई। हाजिरा का पुत्र इश्माएल, जो अब किशोर हो चुका था, इसहाक के साथ खेल रहा था। सारा ने देखा कि इश्माएल इसहाक का मज़ाक उड़ा रहा है। यह उसके लिए असहनीय था। वह इब्राहीम के पास गई और कड़क स्वर में बोली, “इस दासी और उसके पुत्र को दूर भगाओ! इश्माएल इसहाक के साथ वारिस नहीं बनेगा!”

इब्राहीम के हृदय में पीड़ा हुई। इश्माएल भी तो उसका पुत्र था। वह उसे कैसे दूर भेज सकता था? लेकिन परमेश्वर ने इब्राहीम से कहा, “इस लड़के और तेरी दासी के विषय में चिंता मत कर। सारा जो कुछ कह रही है, उसकी बात मान। क्योंकि इसहाक के द्वारा ही तेरा वंश चलेगा। परन्तु मैं इश्माएल को भी एक बड़ी जाति बनाऊँगा, क्योंकि वह भी तेरा वंशज है।”

## **4. हाजिरा और इश्माएल का निर्वासन**

अगली सुबह, इब्राहीम ने हाजिरा और इश्माएल को बुलाया। उसने उन्हें कुछ रोटी और पानी की मशक दी, फिर उन्हें विदा किया। हाजिरा का मन टूट गया, लेकिन वह चुपचाप बेरशेबा के जंगल की ओर चल पड़ी।

कुछ दिनों बाद, पानी समाप्त हो गया। इश्माएल की प्यास से जीभ सूखने लगी। हाजिरा ने उसे एक झाड़ी के नीचे लिटा दिया, फिर थोड़ी दूर जाकर रोने लगी। “मैं अपने बेटे की मृत्यु को नहीं देख सकती!” वह विलाप करती रही।

तभी परमेश्वर का दूत उसके पास आया और बोला, “हाजिरा, डरो मत। परमेश्वर ने लड़के की पुकार सुन ली है। उठो, उसे संभालो, क्योंकि मैं उसे एक महान जाति का पिता बनाऊँगा।”

फिर परमेश्वर ने उसकी आँखें खोलीं, और हाजिरा ने एक कुआँ देखा। वह तुरंत उससे पानी भरकर इश्माएल को पिलाने लगी। परमेश्वर ने उन दोनों की रक्षा की, और इश्माएल बड़ा होकर एक निपुण धनुर्धर बना। वह पारान के जंगल में बस गया, और उसकी माँ ने उसके लिए मिस्र देश में एक स्त्री ढूँढ़ ली।

## **5. इब्राहीम और अबीमेलेक की वाचा**

इधर, इब्राहीम के पास गरार के राजा अबीमेलेक और उसके सेनापति फीकोल आए। अबीमेलेक ने कहा, “परमेश्वर तेरे साथ है, और जो कुछ तू करता है, उसमें वह तेरा साथ देता है। इसलिए अब हमारे बीच शपथ लो कि तू मेरे साथ, मेरे पुत्रों और पोत्रों के साथ विश्वासघात नहीं करेगा। जैसा प्रेम मैंने तेरे साथ किया, वैसा ही तू भी मेरे साथ करना।”

इब्राहीम ने सहमति दी, लेकिन एक शिकायत भी की। “तुम्हारे कुछ सेवकों ने मेरे कुँए पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया है।” अबीमेलेक ने कहा, “मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता। तूने आज तक मुझे यह बात नहीं बताई।”

तब इब्राहीम ने भेड़-बकरियाँ और गाय-बैल अबीमेलेक को दिए, और दोनों ने एक वाचा बाँधी। इब्राहीम ने सात मेमनियाँ अलग निकालकर रख दीं। अबीमेलेक ने पूछा, “यह क्यों?”

इब्राहीम ने उत्तर दिया, “ये सात मेमनियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि यह कुआँ मैंने खोदा है।” इसलिए उस जगह का नाम “बेरशेबा” (शपथ का कुआँ) पड़ा, क्योंकि वहाँ उन दोनों ने शपथ खाई थी।

## **6. इब्राहीम की आराधना**

वहाँ इब्राहीम ने एक तम्बू लगाया और यहोवा के नाम पर एक वृक्ष लगाकर प्रार्थना की। वह सदैव परमेश्वर की आराधना करता रहा, क्योंकि उसे विश्वास था कि परमेश्वर उसके साथ है।

इस प्रकार, इब्राहीम का जीवन आशीषों से भर गया। इसहाक बढ़ता गया, और परमेश्वर की कृपा उस पर बनी रही। वह इब्राहीम और सारा के लिए आनंद और गर्व का स्रोत बन गया, क्योंकि परमेश्वर ने अपना वचन सच कर दिखाया था।

**~ समाप्त ~**

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