पवित्र बाइबल

एफिसियों 1: परमेश्वर की महिमा और मसीह में आशीष

# **एफिसियों 1 की कहानी: परमेश्वर की महिमा योजना**

प्राचीन समय में, जब रोमी साम्राज्य का विस्तार पूरे संसार में था, एफिसुस नगर एक समृद्ध और प्रभावशाली नगर था। यहाँ पर बहुत से लोग विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करते थे, परन्तु कुछ लोगों के हृदय में सच्चे परमेश्वर की ज्योति जगमगा रही थी। उन्हीं दिनों, प्रेरित पौलुस ने एफिसुस की मण्डली को एक पत्र लिखा, जिसमें उसने परमेश्वर की अद्भुत योजना और उनकी महिमा के विषय में गहरी शिक्षा दी।

## **आशीषों से भरपूर**

पौलुस ने अपने पत्र की शुरुआत इन शब्दों से की:

*”परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता का धन्यवाद हो, जिसने हमें मसीह में स्वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आशीष दी है।”* (एफिसियों 1:3)

ये शब्द सुनकर एफिसुस के विश्वासियों के हृदय आनन्द से भर गए। पौलुस ने समझाया कि परमेश्वर ने संसार की रचना से पहले ही मसीह में हमें चुन लिया था, ताकि हम उसकी दृष्टि में पवित्र और निर्दोष बनें। यह कोई छोटी बात नहीं थी—परमेश्वर ने अपनी असीम महिमा के अनुसार हमें अपने पुत्र यीशु के द्वारा ग्रहण किया था।

## **दत्तक पुत्र होने का गौरव**

पौलुस ने आगे लिखा:

*”उसने हमें अपनी इच्छा के भेद के अनुसार, जो उसने अपनी सुखद योजना में पहले से ठान ली थी, मसीह के द्वारा अपने लिए पुत्र होने के लिये ठहराया।”* (एफिसियों 1:5)

यह सुनकर मण्डली के सदस्यों की आँखों में आँसू आ गए। क्या वास्तव में परमेश्वर ने उन्हें अपना पुत्र बनाने का निर्णय लिया था? हाँ! यह उसकी अटल कृपा थी, जिसके कारण वे अब केवल मनुष्य नहीं, बल्कि परमेश्वर के राज्य के वारिस बन गए थे।

## **मसीह में छुटकारा और क्षमा**

पौलुस ने उन्हें याद दिलाया कि मसीह के लहू के द्वारा उनके पापों की पूरी क्षमा हुई है।

*”हम उसी में उसके लहू के द्वारा छुटकारे, अर्थात् पापों की क्षमा प्राप्त करते हैं, जो उसकी उस कृपा के धन के अनुसार है, जिसे उसने हम पर बहुतायत से की।”* (एफिसियों 1:7)

एक बूढ़े व्यक्ति ने, जिसने अपने जीवन में बहुत पाप किए थे, हाथ जोड़कर प्रार्थना की: *”हे प्रभु, तेरी कृपा अति अद्भुत है! मैं तेरे सामने अपराधी था, परन्तु तूने मुझे क्षमा कर दिया!”*

## **सब कुछ मसीह में एकत्रित होगा**

पौलुस ने उन्हें बताया कि परमेश्वर की योजना केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के लिए है।

*”उसने हमें अपनी इच्छा का भेद बताया, जो उसकी सुखद योजना के अनुसार है, कि समयों के पूर्ण होने पर स्वर्ग और पृथ्वी की सभी वस्तुओं का सिरा मसीह में एकत्रित किया जाएगा।”* (एफिसियों 1:9-10)

यह सुनकर एक युवक ने कहा: *”अर्थात् एक दिन सब कुछ मसीह के अधीन होगा! कितनी महान योजना है!”*

## **आत्मा की मुहर**

पौलुस ने उन्हें आश्वासन दिया कि जब उन्होंने सुसमाचार सुना और विश्वास किया, तो परमेश्वर ने उन्हें पवित्र आत्मा से मुहर लगा दी।

*”उसी में तुम पर भी, जब तुमने सत्य का वचन सुना, जो तुम्हारे उद्धार का सुसमाचार है, और जिस पर तुमने विश्वास किया, प्रतिज्ञा किए हुए पवित्र आत्मा की मुहर लगी।”* (एफिसियों 1:13)

एक स्त्री ने, जिसका जीवन पहले अंधकारमय था, आनन्द से कहा: *”अब मुझे निश्चितता है कि मैं परमेश्वर की हूँ!”*

## **प्रार्थना और ज्ञान की माँग**

अंत में, पौलुस ने उनके लिए प्रार्थना की कि परमेश्वर उन्हें ज्ञान और प्रकाश दे, ताकि वे समझ सकें कि उनकी बुलाहट कितनी महान है।

*”मैं तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करता हूँ कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर, जो महिमा का पिता है, तुम्हें अपनी पहचान का ज्ञान और प्रकाश दे।”* (एफिसियों 1:17)

एफिसुस के विश्वासियों ने इस पत्र को सुनकर अपने हृदयों में नई आशा और उत्साह का अनुभव किया। उन्होंने जान लिया कि वे केवल मनुष्य नहीं, बल्कि परमेश्वर के पुत्र हैं, जिन्हें अनन्त महिमा के लिए बुलाया गया है।

और इस प्रकार, एफिसियों की मण्डली ने परमेश्वर की महान योजना को समझकर उसकी स्तुति करना आरम्भ किया, क्योंकि उनके जीवन का उद्देश्य अब मसीह में पूर्ण हो चुका था।

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