पवित्र बाइबल

निर्गमन 35: सभा का आह्वान और स्वेच्छा से दान

### **निर्गमन 35: सभा का आह्वान और स्वेच्छा से दान**

उस समय, जब इस्राएल के लोग सीनै पर्वत के निकट डेरे डाले हुए थे, मूसा ने सारी मण्डली को एकत्रित किया और उनसे कहा:

“यहोवा ने ये आज्ञाएँ दी हैं जिनका पालन तुम्हें अवश्य करना चाहिए। छः दिन तो तुम काम करना, परन्तु सातवाँ दिन तुम्हारे लिए पवित्र विश्रामदिन होगा—यहोवा के लिए एक विश्राम का दिन। जो कोई इस दिन काम करेगा, वह निश्चय ही मार डाला जाएगा। सब्त के दिन न तो घर में आग जलाना और न ही किसी प्रकार का श्रम करना।”

मूसा ने आगे कहा, “यहोवा ने तुम्हें एक आज्ञा दी है। तुम में से जिसका मन उदार हो, वह यहोवा के लिए भेंट ले आए—सोना, चाँदी, पीतल; नीले, बैंजनी और लाल कपड़े; मलमल, बकरी के बाल, लाल रंग से रंगे मेढ़ों के चमड़े, साहूल के चमड़े; काँटेदार लकड़ी; दीपक के लिए जैतून का तेल; और अभिषेक के तेल तथा सुगन्धित धूप के लिए सुगन्धित द्रव्य।”

उसने यह भी कहा, “जिनके हृदय में कला का ज्ञान है, वे यहोवा के निवास के निर्माण के लिए आएँ—मिलापवाले तम्बू, उसकी छत, उसके कड़े, उसके शहतीर, उसकी चौखटें, उसके खम्भे, उसके नीव के पत्थर; पवित्र स्थान के लिए पर्दे और आवरण; अभिषेक किए हुए याजक के वस्त्र; और पवित्र स्थान में सेवा करने के लिए हारून और उसके पुत्रों के वस्त्र।”

### **लोगों की उदारता**

मूसा के ये वचन सुनकर, सारी मण्डली के हृदय प्रभु के प्रेम से भर गए। पुरुष और स्त्रियाँ—सभी ने स्वेच्छा से भेंट लाकर यहोवा के घर के निर्माण के लिए दान दिया। कुछ ने नीले, बैंजनी और लाल कपड़े लाए, तो कुछ ने मलमल और बकरी के बाल। धनी लोगों ने सोने-चाँदी के आभूषण लाए, तो गरीबों ने जो कुछ उनके पास था—लकड़ी, तेल या रंगे हुए चमड़े।

कुछ स्त्रियाँ, जिनके हाथ कुशल थे, ने अपने करघों पर बुने हुए सुन्दर कपड़े लाए। अन्य ने बकरियों के मुलायम बालों से बने मोटे कपड़े दान किए। जिनके पास बहुमूल्य रत्न थे, वे उन्हें लाए, ताकि एपोद और छाती के ढाल के लिए जड़ाई की जा सके।

### **कलाकारों का बुलावा**

तब मूसा ने इस्राएल के उन सभी कुशल कारीगरों को बुलाया, जिनके हृदय में परमेश्वर ने कला की समझ दी थी। बसलेल, ऊरी के पुत्र, यहूदा के गोत्र से, जिसे यहोवा ने बुद्धि और कौशल से भर दिया था, वह सोने, चाँदी और पीतल के काम में निपुण था। अहोलियाब, अहीसामाक का पुत्र, दान के गोत्र से, वह नक्काशी करने और कपड़े बुनने में माहिर था।

यहोवा ने इन कारीगरों को विशेष ज्ञान दिया था, ताकि वे पवित्र निवास के हर विवरण को यथोचित बना सकें। उन्होंने लकड़ी को काटा, धातु को गलाया, कपड़ों को बुना, और हर वस्तु को परमेश्वर के निर्देशानुसार सजाया।

### **परिश्रम और भक्ति**

दिन-रात कारीगरों ने परिश्रम किया। सोने को पिघलाकर उससे दीपवृक्ष बनाया गया। चाँदी के सिक्कों को गलाकर नीव के पत्थरों के लिए खाँचे बनाए गए। पीतल से वेदी के सींग और उसके सभी बर्तन तैयार किए गए।

स्त्रियाँ अपने करघों पर बैठकर बारीक मलमल और रंग-बिरंगे कपड़े बुनती रहीं। कुछ ने साहूल के चमड़ों को साफ किया, तो कुछ ने सुगन्धित तेलों को मिलाया। बच्चे भी छोटे-मोटे कामों में हाथ बँटाते, जैसे धागों को लाना या पत्थरों को साफ करना।

### **मूसा की प्रशंसा**

जब मूसा ने देखा कि लोग कितनी उदारता और लगन से यहोवा के घर के लिए भेंट ला रहे हैं, तो उसका हृदय आनन्द से भर गया। उसने यहोवा की स्तुति की और कहा:

“देखो, इस्राएल के लोगों ने जो कुछ तेरी आज्ञा थी, उसे पूरा करने के लिए अपने हृदय से दान दिया है! तूने उनके मन को उदार बनाया है, और अब वे तेरे पवित्र कार्य में सहभागी हो रहे हैं।”

### **भेंटों की बहुलता**

कुछ ही दिनों में, भेंट इतनी अधिक हो गई कि कारीगरों ने मूसा के पास संदेश भेजा: “लोग जरूरत से अधिक ला रहे हैं! यहोवा के निर्देशानुसार जितनी सामग्री चाहिए, उससे कहीं अधिक इकट्ठा हो गई है।”

तब मूसा ने घोषणा करवाई: “कोई अब भेंट न लाए! जो कुछ इकट्ठा हो चुका है, वही पर्याप्त है।”

इस प्रकार, लोगों ने भेंट लाना बन्द कर दिया, क्योंकि जो कुछ मिलापवाले तम्बू के निर्माण के लिए आवश्यक था, वह पहले ही प्राप्त हो चुका था।

### **निष्कर्ष**

इस्राएल के लोगों ने अपने हृदय की उदारता से यहोवा के निवास के निर्माण के लिए भेंट दी। उनकी भक्ति और परिश्रम ने दिखाया कि वे सच्चे मन से परमेश्वर की सेवा करना चाहते थे। और इस प्रकार, मिलापवाले तम्बू का कार्य आरम्भ हुआ, जो इस्राएल और यहोवा के बीच एक पवित्र स्थान होगा।

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