पवित्र बाइबल

शाऊल और शमूएल की ईश्वरीय भेंट

**शाऊल और शमूएल की मुलाकात**

उन दिनों में, जब इस्राएल पर न्यायियों का शासन था और लोग परमेश्वर के सामने अपने मन की इच्छा से चलते थे, बिन्यामीन के गोत्र में एक धनी और प्रतिष्ठित व्यक्ति रहता था, जिसका नाम किश था। वह बिन्यामीनियों में से अबीएल का पुत्र था, और उसके पास बहुत सी सम्पत्ति थी। किश के एक पुत्र था, जिसका नाम शाऊल था। वह युवा और सुन्दर था, और इस्राएल में उससे अधिक सुन्दर कोई नहीं था। वह कंधे से ऊँचा भी था, जिससे वह लोगों में सरदार के योग्य दिखाई देता था।

एक दिन, किश की गदहे बहकर खो गए। किश ने अपने पुत्र शाऊल से कहा, “देखो, गदहे खो गए हैं। तू एक सेवक को साथ लेकर उन्हें ढूँढ़ने निकल।” शाऊल ने अपने पिता की आज्ञा मानी और अपने सेवक के साथ गदहों की खोज में निकल पड़ा। वे एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश से होते हुए शालीशा और शालीम तक गए, पर गदहे कहीं नहीं मिले। फिर वे बिन्यामीन के यूसुफ के क्षेत्र में गए, पर वहाँ भी उन्हें सफलता नहीं मिली।

अब शाऊल ने अपने सेवक से कहा, “चलो, हम लौट चलते हैं। नहीं तो मेरे पिता गदहों की चिन्ता छोड़कर हमारे लिए चिन्तित होने लगेंगे।” किन्तु सेवक ने उत्तर दिया, “देखो, इस नगर में एक परमेश्वर का पुरुष रहता है, जो बहुत आदरणीय है। जो कुछ वह कहता है, वह अवश्य पूरा होता है। चलो, हम उसके पास जाएँ। शायद वह हमें बता दे कि हम किस मार्ग पर चलें।”

शाऊल ने कहा, “अच्छा, चलो। पर हम उसके पास क्या लेकर जाएँ? हमारी थैलियों में रोटी खत्म हो गई है, और उस पुरुष को देने के लिए हमारे पास कोई उपहार भी नहीं है।” सेवक ने उत्तर दिया, “देखो, मेरे पास चाँदी का एक चौथाई शेकेल है। मैं उसे परमेश्वर के उस पुरुष को दे दूँगा, और वह हमारा मार्गदर्शन करेगा।”

इस्राएल में पहले जब लोग परमेश्वर से पूछने जाते थे, तो कहते थे, “चलो, दर्शी के पास चलें,” क्योंकि जिसे आज हम नबी कहते हैं, उसे पहले दर्शी कहा जाता था। शाऊल ने अपने सेवक से कहा, “ठीक है, चलो।” और वे उस नगर में चले गए जहाँ परमेश्वर का पुरुष रहता था।

जब वे नगर में प्रवेश कर रहे थे, तो उन्हें कुछ कुंवारी लड़कियाँ मिलीं जो पानी भरने जा रही थीं। शाऊल ने उनसे पूछा, “क्या दर्शी यहाँ है?” लड़कियों ने उत्तर दिया, “हाँ, वह आगे है। जल्दी करो, क्योंकि आज वह नगर में बलि चढ़ाने के लिए ऊँचे स्थान पर जा रहा है। जब तक तुम वहाँ पहुँचोगे, तब तक वह भोजन करने बैठ जाएगा, क्योंकि लोग उसके बिना भोजन नहीं करते। उसे पहले आशीष देनी होती है, तब लोग भोजन करते हैं। इसलिए अब चलो, तुम उसे अभी पा लोगे।”

शाऊल और उसका सेवक नगर में गए, और जैसे ही वे नगर के बीच पहुँचे, शमूएल उनकी ओर आता दिखाई दिया, क्योंकि वह ऊँचे स्थान पर जाने वाला था। परमेश्वर ने पहले ही शमूएल को बता दिया था, “कल इसी समय मैं तुम्हारे पास बिन्यामीन के देश से एक पुरुष भेजूँगा। तू उसका अभिषेक करना, क्योंकि वही मेरी प्रजा इस्राएल का हाकिम होगा। वह मेरी प्रजा को पलिश्तियों के हाथ से बचाएगा, क्योंकि मैंने अपनी प्रजा की दुःखभरी पुकार सुन ली है।”

जब शमूएल ने शाऊल को देखा, तो परमेश्वर ने उसके हृदय में कहा, “यही वह पुरुष है, जिसके विषय में मैंने तुझसे कहा था। यही मेरी प्रजा पर शासन करेगा।” शाऊल ने शमूएल के पास आकर पूछा, “कृपया बताइए, दर्शी का घर कहाँ है?”

शमूएल ने उत्तर दिया, “मैं ही दर्शी हूँ। मेरे आगे चलो। आज तुम मेरे साथ ऊँचे स्थान पर भोजन करोगे। कल सुबह मैं तुम्हें विदा करूँगा और तुम्हारे मन की सारी बातें तुझे बता दूँगा। जो गदहे तीन दिन से खोए हैं, उनकी चिन्ता मत करो, वे मिल गए हैं। इस्राएल की सारी इच्छा तो तुझ पर और तेरे पिता के घराने पर टिकी है।”

शाऊल ने आश्चर्य से कहा, “मैं तो बिन्यामीन का एक छोटा-सा गोत्र हूँ, और मेरा परिवार बिन्यामीन के सभी परिवारों में सबसे छोटा है। फिर तू मुझसे ऐसी बातें क्यों कह रहा है?”

शमूएल ने शाऊल और उसके सेवक को ऊँचे स्थान पर ले जाया और उन्हें भोजन के लिए विशेष स्थान दिया, जहाँ लगभग तीस व्यक्ति आमन्त्रित थे। शमूएल ने रसोइए से कहा, “जो टुकड़ा मैंने तुझे देकर कहा था कि उसे अलग रख देना, उसे ले आ।” रसोइए ने वह टुकड़ा लाकर शाऊल के सामने परोस दिया। यह वही चुना हुआ भाग था जो शमूएल ने पहले ही आज्ञा दी थी।

शमूएल ने शाऊल से कहा, “देखो, यह तेरे लिए रखा गया था। इसे खा, क्योंकि यह विशेष अवसर के लिए तेरे लिए सुरक्षित रखा गया था।” उस दिन शाऊल ने शमूएल के साथ भोजन किया।

फिर वे ऊँचे स्थान से नगर में उतरे, और शमूएल ने शाऊल से छत पर बातें कीं। भोर होने पर शमूएल ने शाऊल को बुलाया और कहा, “उठ, मैं तुझे विदा करता हूँ।” शाऊल उठा, और वे दोनों नगर से बाहर गए। जब वे नगर की सीमा पर पहुँचे, तो शमूएल ने शाऊल से कहा, “अपने सेवक को आगे जाने दे। तू थोड़ी देर ठहर, मैं तुझे परमेश्वर का वचन सुनाऊँगा।”

और इस प्रकार, शमूएल ने शाऊल को परमेश्वर की योजना के बारे में बताया, जो उसके जीवन में पूरी होने वाली थी।

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