**कहानी: रूबेन और गाद के लोगों की याचना (गिनती 32)**
यह वह समय था जब इस्राएल के लोग मोआब के मैदान में डेरा डाले हुए थे। वे लंबे चालीस वर्षों के भटकने के बाद अंत में प्रतिज्ञा की हुई भूमि के द्वार पर पहुँच चुके थे। यर्दन नदी के पार, उनके सामने कनान की उपजाऊ भूमि फैली हुई थी, जिसे परमेश्वर ने उनके पूर्वजों—अब्राहम, इसहाक और याकूब—को देने की प्रतिज्ञा की थी। परन्तु इस्राएल के दो गोत्रों—रूबेन और गाद—के मन में एक अलग ही इच्छा जाग उठी।
रूबेन और गाद के पास बहुत सारी भेड़-बकरियाँ और पशुधन थे। जब उन्होंने यर्दन नदी के पूर्वी किनारे की भूमि—याजेर और गिलाद के प्रदेश—को देखा, तो वह उन्हें अत्यंत उपजाऊ और चरागाहों के लिए उत्तम लगी। उन्होंने सोचा, “यह भूमि हमारे पशुओं के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। यदि हम यहाँ बस जाएँ, तो हमारे झुंडों के लिए पर्याप्त चारा और पानी मिलेगा।”
तब रूबेन और गाद के प्रधानों ने मूसा और एलीआजर याजक के पास जाकर कहा, “हमारे पशुओं के लिए यहाँ अच्छे चरागाह हैं। यदि आप हमें अनुमति दें, तो हम यर्दन के इस पार ही बस जाएँ। हमें प्रतिज्ञा की हुई भूमि में जाने की आवश्यकता नहीं है।”
मूसा ने उनकी बात सुनी, और उनका चेहरा क्रोध से तमतमा उठा। उसने उनसे कहा, “क्या तुम्हारे भाई युद्ध में जाकर लड़ेंगे, जबकि तुम यहीं बैठे रहोगे? तुम लोगों का यह विचार तुम्हारे पितरों के पापों जैसा है! जब हम कादेश-बर्ने से प्रतिज्ञा की हुई भूमि को देखने गए थे, तब जासूसों ने लोगों का मन डरा दिया था, और इस्राएल ने परमेश्वर पर भरोसा नहीं किया था। उस पीढ़ी को इसी कारण जंगल में मर जाना पड़ा! क्या तुम फिर से इस्राएल को हतोत्साहित करना चाहते हो?”
मूसा का स्वर कठोर था, क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर ने स्पष्ट आज्ञा दी थी कि सभी गोत्रों को मिलकर कनान को जीतना होगा। यदि ये दो गोत्र यर्दन के इस पार ही रुक जाते, तो बाकी लोगों का मनोबल टूट सकता था।
रूबेन और गाद के लोगों ने मूसा से विनती की, “हम यहाँ अपने पशुओं के लिए बाड़े और अपने बच्चों के लिए नगर बनाएँगे, परन्तु हम स्वयं हथियारबंद होकर इस्राएल के साथ युद्ध में जाएँगे। हम तब तक नहीं लौटेंगे, जब तक कि हमारे भाइयों को भी उनकी भूमि नहीं मिल जाती। हम उनके साथ खड़े रहेंगे।”
मूसा ने उनकी बात सुनी और कहा, “यदि तुम वास्तव में ऐसा करोगे, यदि तुम युद्ध में परमेश्वर के सामने हथियार उठाओगे, और यर्दन पार करके शत्रुओं से लड़ोगे, तो जब देश शांति से विराजमान हो जाएगा, तब तुम इस भूमि में लौट सकते हो। परन्तु यदि तुम अपना वचन नहीं निभाओगे, तो जान लो कि तुम परमेश्वर के सामने पाप करोगे, और तुम्हारा पाप तुम्हें अवश्य पकड़ लेगा।”
रूबेन और गाद के लोगों ने उत्तर दिया, “हम वैसा ही करेंगे, जैसा हमने कहा है। हम आपके आज्ञानुसार चलेंगे।”
तब मूसा ने एलीआजर याजक और यहोशू तथा इस्राएल के सभी प्रधानों को बुलाकर कहा, “रूबेन और गाद के लोग अपने पशुओं और परिवारों के लिए यहाँ बस जाएँगे, परन्तु वे हमारे साथ युद्ध में जाएँगे। यदि वे अपना वादा पूरा करें, तो यह भूमि उन्हें दी जाएगी।”
सबने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया। रूबेन और गाद के लोगों ने याजेर और गिलाद के प्रदेश में अपने नगर बनाए और पशुओं के लिए बाड़े तैयार किए। फिर उन्होंने अपने सैनिकों को तैयार किया और इस्राएल की सेना के साथ यर्दन पार करके कनान की विजय में भाग लिया।
वर्षों बाद, जब इस्राएल ने प्रतिज्ञा की हुई भूमि को जीत लिया, तब यहोशू ने रूबेन और गाद के सैनिकों को आशीर्वाद देकर वापस भेजा। वे अपने परिवारों के पास लौट आए और यर्दन के पूर्वी किनारे पर बस गए।
इस प्रकार, रूबेन और गाद के लोगों ने अपना वादा पूरा किया, और परमेश्वर ने उन्हें उनकी इच्छा के अनुसार भूमि दी। परन्तु यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर के लोगों को एकता बनाए रखनी चाहिए और अपने भाइयों के साथ खड़े रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।