**भजन संहिता 23: एक विस्तृत कथा**
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक चरवाहा रहता था। उसका नाम दाऊद था। दाऊद अपनी भेड़ों से बहुत प्यार करता था और उनकी देखभाल बड़े ही ध्यान से करता था। एक दिन, जब वह हरे-भरे मैदानों में अपनी भेड़ों को चरा रहा था, तो उसने महसूस किया कि जिस प्रकार वह अपनी भेड़ों का मार्गदर्शन करता है, उसी प्रकार परमेश्वर भी उसका और सभी विश्वासियों का मार्गदर्शक है। यह सोचकर उसने एक सुंदर भजन लिखा, जो आज भजन संहिता 23 के नाम से जाना जाता है।
### **1. “यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ अभाव न होगा”**
दाऊद ने देखा कि जिस प्रकार वह अपनी भेड़ों को हरी घास और ताज़े पानी की ओर ले जाता है, वैसे ही परमेश्वर भी उसकी हर ज़रूरत को पूरा करता है। भेड़ें जब उसके पीछे-पीछे चलती थीं, तो उन्हें कभी भूख या प्यास नहीं सताती थी। वह उनके लिए सबसे अच्छा चारा और शांत जलधाराएँ ढूँढ़ लाता था। ठीक उसी तरह, दाऊद ने महसूस किया कि परमेश्वर उसके जीवन में सब कुछ प्रदान करता है—शारीरिक आवश्यकताएँ, आत्मिक तृप्ति, और मन की शांति।
### **2. “वह मुझे हरी हरी चरागाहों में बैठाता है, वह मुझे शान्त जल के सोतों के पास ले जाता है”**
एक बार दाऊद की भेड़ें एक सूखे और बंजर इलाके में आ गईं। वहाँ न तो हरी घास थी और न ही पीने के लिए पानी। भेड़ें बेचैन होने लगीं। तब दाऊद ने उन्हें एक नए रास्ते पर ले चला, जहाँ हरियाली फैली हुई थी और एक मीठे पानी की नदी बह रही थी। भेड़ें वहाँ पहुँचकर खुश हो गईं और उन्हें तृप्ति मिली। दाऊद ने सोचा, “जैसे मैंने अपनी भेड़ों को जीवनदायी स्थानों पर ले जाया, वैसे ही परमेश्वर मेरी आत्मा को ताज़गी देता है। वह मुझे उन स्थानों पर ले जाता है जहाँ मेरी आत्मा को शांति और पोषण मिलता है।”
### **3. “वह मेरी आत्मा को फिर जीवित करता है”**
एक दिन, दाऊद की एक भेड़ बीमार पड़ गई और मरने के कगार पर आ गई। दाऊद ने उसे अपनी गोद में उठाया, उसके घावों पर मरहम लगाया और धीरे-धीरे उसे पुनः स्वस्थ होने दिया। कुछ दिनों बाद वह भेड़ फिर से ठीक हो गई और झुंड के साथ चलने लगी। इस घटना ने दाऊद को याद दिलाया कि परमेश्वर भी उसकी आत्मा को नया जीवन देता है। जब वह थक जाता है या निराश होता है, तो परमेश्वर उसे नई शक्ति प्रदान करता है।
### **4. “वह अपने नाम के लिये मुझे धर्म के मार्गों पर ले चलता है”**
एक बार दाऊद अपनी भेड़ों को एक संकरे और खतरनाक रास्ते से ले जा रहा था। एक तरफ ऊँची चट्टानें थीं और दूसरी तरफ गहरी खाई। भेड़ें डर गईं, लेकिन दाऊद ने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। वह स्वयं आगे-आगे चलकर उन्हें सुरक्षित मार्ग दिखाता रहा। अंत में, वे सभी सकुशल दूसरी ओर पहुँच गए। दाऊद ने सोचा, “जैसे मैं अपनी भेड़ों को सही रास्ते पर ले जाता हूँ, वैसे ही परमेश्वर मुझे धर्म और सच्चाई के पथ पर चलाता है, ताकि मैं उसकी महिमा के लिए जीवन जी सकूँ।”
### **5. “यदि मैं मृत्यु के छाया की तराई में भी चलूँ, तो भी किसी बुरी बात से न डरूँगा”**
एक रात, दाऊद अपनी भेड़ों को लेकर एक अंधेरी घाटी से गुज़र रहा था। चारों ओर खतरनाक जानवरों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। भेड़ें डर गईं, लेकिन दाऊद ने अपनी लाठी और डंडे से उनकी रक्षा की। वह जानता था कि उसकी मौजूदगी भेड़ों के लिए सुरक्षा का प्रतीक है। इसी तरह, दाऊद ने महसूस किया कि चाहे जीवन में कितनी भी अंधेरी घाटी क्यों न आए, परमेश्वर की छड़ और लाठी (उसका वचन और आत्मिक सुरक्षा) उसे सांत्वना देती है। वह कभी अकेला नहीं होता।
### **6. “तू मेरे लिये मेरे शत्रुओं के सामने मेज़ बिछाता है”**
एक बार दाऊद के झुंड पर एक भेड़िए ने हमला कर दिया। दाऊद ने बहादुरी से उसका सामना किया और अपनी भेड़ों को बचा लिया। फिर उसने एक सुरक्षित स्थान पर जाकर भेड़ों के लिए भोजन तैयार किया। उसने देखा कि जब शत्रु उसके आसपास होते हैं, तब भी परमेश्वर उसकी रक्षा करता है और उसके लिए आशीषें तैयार करता है।
### **7. “निश्चय ही भलाई और करूणा मेरे जीवन भर मेरे पीछे पीछे लगी रहेगी”**
दाऊद ने अपने जीवन में अनुभव किया कि परमेश्वर की भलाई और दया हमेशा उसके साथ रही। चाहे वह संकट के दिन हों या आनंद के, परमेश्वर उस पर दया करता रहा। अंत में, दाऊद ने विश्वास के साथ कहा, **”मैं यहोवा के भवन में युग युग तक निवास करूँगा!”**
इस प्रकार, भजन संहिता 23 हमें सिखाता है कि परमेश्वर हमारा सच्चा चरवाहा है। वह हमारी हर ज़रूरत को पूरा करता है, हमें शांति और सुरक्षा प्रदान करता है, और हमें अनंतकाल तक अपने साथ रखने का वादा करता है। जैसे दाऊद ने अपनी भेड़ों की देखभाल की, वैसे ही परमेश्वर हमारा मार्गदर्शन करता है और हमें कभी नहीं छोड़ता।