सिय्योन की महिमा: सभी के लिए परमेश्वर का नगर (Note: The title is under 100 characters in Hindi, symbols and quotes removed as requested.)
**भजन संहिता 87 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**
**शीर्षक: “सिय्योन की महिमा”**
प्राचीन काल में, जब धरती पर राजाओं और राष्ट्रों का उत्थान-पतन हो रहा था, परमेश्वर ने एक पवित्र नगर को चुना—सिय्योन। यह वह स्थान था जहाँ स्वर्ग और पृथ्वी का मिलन होता था, जहाँ परमेश्वर की महिमा बादलों के बीच से प्रकट होती थी। भजन संहिता 87 में लिखा है, *”यहोवा अपने नींव डाली है पवित्र पहाड़ियों में। वह सिय्योन के द्वारों को सब दूसरे निवास स्थानों से अधिक प्रेम करता है।”*
एक दिन, सिय्योन के द्वार पर एक यात्री आया। उसका नाम एलियाकिम था, और वह मिस्र से आया हुआ एक विद्वान था। उसने दूर-दूर तक यहोवा के नाम की महिमा सुनी थी और जानना चाहता था कि क्यों सिय्योन को सभी नगरों में श्रेष्ठ कहा जाता है। जैसे ही वह नगर के भीतर पहुँचा, उसने देखा कि वहाँ के लोग गाते और नाचते हुए परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे। बच्चे हँस रहे थे, बूढ़े प्रार्थना में झुके हुए थे, और युवकों के हाथों में वाद्ययंत्र थे।
एलियाकिम ने एक वृद्ध याजक से पूछा, *”महात्मन, यह नगर इतना विशेष क्यों है? संसार में तो अनेक महान नगर हैं—बाबुल की भव्यता, मिस्र का ज्ञान, तर्शीश का धन। फिर यहोवा ने सिय्योन को ही क्यों चुना?”*
याजक ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, *”पुत्र, सिय्योन की महिमा इसकी ऊँची दीवारों या सोने-चाँदी में नहीं है, बल्कि इस बात में है कि यहाँ परमेश्वर स्वयं निवास करते हैं। देखो, यह वह स्थान है जहाँ से उद्धार की धारा बहती है। यहाँ जन्म लेने वाला हर व्यक्ति परमेश्वर की दृष्टि में महान है, चाहे वह मिस्र का हो, बाबुल का, फिलिस्तीन का या तर्शीश का।”*
एलियाकिम को आश्चर्य हुआ। *”क्या सच में? क्या परमेश्वर अन्यजातियों को भी अपना मानते हैं?”*
याजक ने उसे भजन संहिता 87 की पंक्तियाँ सुनाईं— *”रहब और बाबुल के लोगों के विषय में लिखा जाएगा, ‘ये भी यहाँ जन्मे हैं।’ फिलिस्तीन, तूर और कूश के लोग भी कहेंगे, ‘सिय्योन ही हमारी जन्मभूमि है।'”*
एलियाकिम की आँखों में आँसू आ गए। उसने कभी नहीं सोचा था कि परमेश्वर की दृष्टि में सभी राष्ट्र समान हैं। वह समझ गया कि सिय्योन की महानता इसकी भौतिक सम्पदा में नहीं, बल्कि इसकी आध्यात्मिक विरासत में है। यह वह नगर था जहाँ से मसीहा का आगमन होना था, जो सभी जातियों के लिए उद्धार लेकर आएगा।
उस दिन के बाद, एलियाकिम सिय्योन में ही रहने लगा। उसने लोगों को सिखाया कि परमेश्वर की दृष्टि में कोई पराया नहीं है। सिय्योन की महिमा सभी के लिए थी, और जो कोई भी यहोवा पर विश्वास करता, वह इस पवित्र नगर का नागरिक बन सकता था।
और इस प्रकार, सिय्योन की कहानी सदियों तक गूँजती रही—एक ऐसे नगर की कहानी जो न केवल यहूदियों, बल्कि समस्त मानवजाति के लिए आशा और उद्धार का प्रतीक बन गया।