**एजेकील 19: एक विस्तृत कथा**
प्राचीन इज़राइल के दिनों में, जब यहूदा के लोग परमेश्वर की आज्ञाओं को भूलकर मूर्तिपूजा और अधर्म में लिप्त हो गए थे, तब भविष्यद्वक्ता एजेकील को परमेश्वर ने एक गहरी और प्रतीकात्मक कहानी सुनाने की आज्ञा दी। यह कहानी इज़राइल के राजाओं और उनके पतन के बारे में थी, जो एक शोकगीत के रूप में प्रस्तुत की गई।
### **एक शोकगीत: दो युवा सिंहों की कथा**
एजेकील ने यहूदा के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “हे इज़राइल, तू अपने प्रधानों के लिए एक शोकगीत गा! यह कहना कि तेरी माता क्या थी? एक सिंहनी, जो सिंहों के बीच बैठकर अपने बच्चों को पालती थी।”
उस सिंहनी ने अपने बच्चों में से एक को पाल-पोसकर बड़ा किया, और वह एक ताकतवर युवा सिंह बन गया। वह शिकार करना सीख गया और उसने मनुष्यों को भी खाना शुरू कर दिया। उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई, और वह अपनी शक्ति के मद में चूर हो गया। किन्तु जब उसने अत्याचार बढ़ाया, तब राष्ट्रों ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया। उसे बंदी बनाकर मिस्र की ओर ले जाया गया, जहाँ वह बेड़ियों में जकड़ा रहा। (यह यहूदा के राजा यहोयाकीम का संकेत था, जिसे बाबुल के हमले के बाद मिस्र ले जाया गया था।)
जब सिंहनी ने देखा कि उसका पहला पुत्र बंदी बना लिया गया, तो उसने अपना ध्यान दूसरे पुत्र पर लगाया। यह दूसरा युवा सिंह और भी अधिक शक्तिशाली था। वह जंगल में घूमता, गर्जना करता, और अपने बल से दूसरे जानवरों पर राज करता। उसने यहूदा के नगरों को अपने नियंत्रण में ले लिया और अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने लगा। किन्तु उसका अहंकार उसके पतन का कारण बना। बाबुल के सैनिकों ने उसे घेर लिया, उसे पकड़कर बेबीलोन ले गए, जहाँ उसकी आवाज़ फिर कभी इज़राइल के पहाड़ों पर नहीं सुनाई दी। (यह यहूदा के अंतिम राजा सिदकियाह का प्रतीक था, जिसे बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने बंदी बनाकर अंधा कर दिया था।)
### **एक दाखलता का दुखद अंत**
फिर एजेकील ने एक नया दृष्टांत सुनाया: “तेरी माता एक दाखलता के समान थी, जो जलधाराओं के पास लगाई गई थी। उसमें फल लगे, और वह हरी-भरी हो गई, क्योंकि उसे पर्याप्त जल मिलता था।”
किन्तु जब उसकी शाखाएँ मजबूत हुईं, तो उन्हें राजदंड बनाने के लिए तोड़ दिया गया। अब वह दाखलता सूख गई, और आग ने उसे जलाकर राख कर दिया। उसकी मजबूत शाखाएँ, जो राजाओं के राजदंड बनी थीं, अब टूट चुकी थीं। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि इज़राइल ने परमेश्वर की अवज्ञा की थी।
### **परमेश्वर का न्याय और आशा**
एजेकील ने यहूदा के लोगों को समझाया कि यह शोकगीत उनके राजाओं के पतन और राष्ट्र के विनाश की भविष्यवाणी है। परमेश्वर ने उन्हें बार-बार चेतावनी दी थी, किन्तु उन्होंने नहीं सुनी। अब उन्हें न्याय का सामना करना पड़ेगा।
किन्तु इस न्याय के पीछे परमेश्वर की एक गहरी योजना थी। वह अपने लोगों को शुद्ध करना चाहता था, ताकि भविष्य में वे फिर से उसकी ओर लौट आएँ। जिस प्रकार एक सूखी दाखलता में से नई कोपलें फूट सकती हैं, उसी प्रकार परमेश्वर एक दिन इज़राइल को पुनर्जीवित करेगा।
इस प्रकार, एजेकील का यह शोकगीत न केवल न्याय की चेतावनी था, बल्कि एक दिन आने वाले पुनर्स्थापन की आशा भी थी।