**एक धनी और आरामपसंद लोगों की कहानी: आमोस 6**
उन दिनों में, जब इस्राएल के उत्तरी राज्य में समृद्धि और शांति थी, लोगों ने अपने हृदयों में परमेश्वर को भुला दिया था। राजधानी शोमरोन (समरिया) में बड़े-बड़े महल बने हुए थे, और धनी लोग विलासिता में डूबे हुए थे। उनके घर हाथीदाँत से सजे हुए थे, उनके पास महंगे सोफे थे जिन पर वे आराम से लेटते थे, और उनकी दावतें राजाओं जैसी थीं। वे मनमाने ढंग से जीवन जी रहे थे, मस्ती में डूबे हुए, बिना यह सोचे कि परमेश्वर उनके कार्यों को देख रहा है।
लेकिन उनकी इस आरामतलबी के बीच, गरीबों और असहायों की पुकार परमेश्वर के सामने पहुँच रही थी। धनी लोग न्याय को ताक पर रखकर मजे कर रहे थे, जबकि कमजोरों का शोषण हो रहा था। वे अपनी सुरक्षा के लिए सेनाओं पर भरोसा करते थे और यह मानकर चल रहे थे कि कोई उन्हें हरा नहीं सकता। उन्होंने परमेश्वर की चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया था।
तब परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ता आमोस को भेजा, जो एक साधारण चरवाहा था, लेकिन उसके हृदय में परमेश्वर का वचन जल रहा था। आमोस ने शोमरोन के धनियों और नेताओं से कहा:
**”हे सिय्योन के निश्चिंत रहने वालो, हे शोमरोन के पर्वत पर भरोसा रखने वालो! क्या तुम सच में सुरक्षित हो? क्या तुम्हारी शक्ति तुम्हें बचा पाएगी? तुम आराम से पलंगों पर लेटे हो, महंगे भोजन करते हो, और गाने गाकर अपना मन बहलाते हो। तुम दाखमधु के प्यालों से खेलते हो और उत्तम तेलों से अपने शरीर को सुगंधित करते हो, परन्तु तुम यूसुफ के घर के पतन के विषय में चिंतित नहीं हो!”**
आमोस की आवाज में क्रोध और दुःख था। उसने चेतावनी दी: **”इसलिए अब तुम बंदी बनाए जाओगे, और तुम्हारी यह विलासिता समाप्त हो जाएगी। तुम्हारे दावतों के स्थान पर विलाप होगा, और तुम्हारे गानों के स्थान पर कराहट सुनाई देगी। दुश्मन तुम्हारे दरवाजे पर खड़ा होगा, और तुम्हारा घमंड धूल में मिल जाएगा।”**
परमेश्वर ने उन्हें दिखाया कि वह उनकी असंवेदनशीलता से कितना नाराज था। जब देश में अन्याय फैला हुआ था, तब वे केवल अपने सुख की चिंता कर रहे थे। परमेश्वर ने कहा: **”मैं इस्राएल के घराने से प्रेम करता हूँ, परन्तु उनके पापों ने मुझे विवश कर दिया है। मैं उन्हें दण्ड दूँगा, क्योंकि उन्होंने मेरी आज्ञाओं को तुच्छ जाना है।”**
आमोस की भविष्यवाणी सच हुई। असीरियों की सेना ने शोमरोन पर आक्रमण किया, और वह शहर नष्ट हो गया। जो लोग सोचते थे कि वे सुरक्षित हैं, वे बंदी बना लिए गए। उनकी विलासिता और अहंकार राख में बदल गया।
इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि धन और सुख हमें परमेश्वर से दूर नहीं करना चाहिए। जब हम गरीबों और पीड़ितों की उपेक्षा करते हैं, तो परमेश्वर हमारे पापों का न्याय करता है। सच्ची सुरक्षा केवल उसी में है, न कि भौतिक संपत्ति में।