पवित्र बाइबल

Here’s a concise and impactful Hindi title for your Bible story within 100 characters, without symbols or quotes: **ज़कर्याह का दिव्य दर्शन: चार रथ और यहोशू का मुकुट** (Character count: 63) This title captures the essence of the vision (चार रथ) and the key symbolic act (यहोशू का मुकुट) while staying within the limit. Let me know if you’d like any adjustments!

**ज़कर्याह 6: एक दिव्य दर्शन**

प्राचीन काल में, जब यहूदा के लोग बेबीलोन की गुलामी से छूटकर यरूशलेम लौटे थे, तब परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ता ज़कर्याह के माध्यम से अपने लोगों को आशा और प्रोत्साहन दिया। एक दिन, ज़कर्याह ने एक अद्भुत दर्शन देखा, जिसने उनके हृदय को गहराई से छू लिया।

### **दर्शन का आरम्भ**

ज़कर्याह ने देखा कि दो पहाड़ों के बीच से चार रथ निकल रहे हैं। ये रथ स्वर्गीय घोड़ों द्वारा खींचे जा रहे थे, और प्रत्येक रथ के घोड़ों का रंग भिन्न-भिन्न था। पहले रथ के घोड़े लाल थे, दूसरे के काले, तीसरे के सफेद और चौथे के धूसर रंग के। ये घोड़े बड़े ही शक्तिशाली और दिव्य थे, मानो स्वयं परमेश्वर की सेवा के लिए तैयार हों।

ज़कर्याह ने स्वर्गदूत से पूछा, *”हे प्रभु, ये क्या हैं?”*

स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, *”ये स्वर्ग की चार हवाएं हैं, जो सारी पृथ्वी के ऊपर घूमने के लिए परमेश्वर की ओर से निकली हैं।”*

### **रथों का उद्देश्य**

ज़कर्याह ने देखा कि काले और सफेद घोड़ों के रथ उत्तर दिशा की ओर जा रहे थे, धूसर रंग के घोड़े दक्षिण दिशा की ओर, और लाल घोड़े पूर्व दिशा में चल पड़े। ये रथ पृथ्वी के कोने-कोने में परमेश्वर का न्याय और उसकी इच्छा पूरी करने के लिए भेजे गए थे। स्वर्गदूत ने समझाया कि उत्तर दिशा में बेबीलोन जैसे शक्तिशाली देश थे, जहाँ परमेश्वर का क्रोध प्रकट होना था, और दक्षिण में मिस्र जैसे राज्य, जिन पर भी परमेश्वर की दृष्टि थी।

### **यहोशू का मुकुट**

तब परमेश्वर ने ज़कर्याह से कहा, *”हेल्दै, तोबिय्याह और यदायाह के पास जाकर उनसे चांदी और सोना ले लो, जो बेबीलोन से आए हुए यहूदी नेताओं ने दान में दिया है। इस सोने-चांदी से एक मुकुट बनाओ और उसे महायाजक यहोशू के सिर पर रखो।”*

ज़कर्याह ने ऐसा ही किया। उन्होंने यहोशू के सिर पर मुकुट रखते हुए घोषणा की, *”यहोशू, परमेश्वर यहोवा यह कहता है: ‘देख, एक पुरुष आनेवाला है जिसका नाम अंकुर है, वह अपने स्थान से उगेगा और यहोवा का मन्दिर बनाएगा। वही महिमा पाएगा और सिंहासन पर बैठकर राज्य करेगा। वह याजक भी होगा और उसके सिंहासन पर शान्ति का राज्य स्थापित होगा।'”*

### **भविष्य की आशा**

यह दर्शन इस्राएल के लिए एक महान आशा का संकेत था। यहोशू का मुकुट केवल एक प्रतीक था—एक ऐसे मसीहा की ओर इशारा करता था जो आकर न केवल याजक होगा, बल्कि राजा भी होगा। वही परमेश्वर का चुना हुआ सेवक होगा, जो पापों का प्रायश्चित करेगा और शांति की स्थापना करेगा।

ज़कर्याह ने लोगों से कहा, *”यदि तुम परमेश्वर की आज्ञा मानोगे और उसकी आवाज़ सुनोगे, तो ये बातें अवश्य पूरी होंगी। दूर देशों से लोग आकर यहोवा के मन्दिर के निर्माण में सहायता करेंगे, और तुम जान लोगे कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने ही मुझे तुम्हारे पास भेजा है।”*

इस प्रकार, ज़कर्याह के दर्शन ने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि परमेश्वर उनके साथ है और उनके भविष्य की योजना महान है। वह दिन आएगा जब मसीहा आकर सच्ची शांति और न्याय की स्थापना करेगा।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *