# यहोशू 5: इस्राएल का गिलगाल में पहुँचना और खतना
यरदन नदी के पार जाने के बाद, इस्राएली गिलगाल नामक स्थान पर डेरा डाले हुए थे। वह स्थान यरीहो के मैदान के पूर्व में स्थित था। उस समय यहोशू ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हुए एक महत्वपूर्ण कार्य किया।
## **पत्थरों की स्मृति और खतने की आवश्यकता**
जब सारे इस्राएली यरदन पार कर चुके, तब यहोवा ने यहोशू से कहा, “तू पत्थरों को ले और उन्हें गिलगाल में रख, जिससे वे इस्राएल के लिए एक स्मारक बनें।” यहोशू ने ऐसा ही किया। उसने बारह पत्थरों को यरदन नदी के बीच से उठाया, जहाँ याजकों के पाँव खड़े थे, और उन्हें गिलगाल में स्थापित किया। ये पत्थर इस्राएल के बारह गोत्रों का प्रतीक थे और यह स्मरण दिलाते थे कि कैसे परमेश्वर ने उन्हें सूखे पाँवों से यरदन पार कराया था।
लेकिन इस्राएल के सामने एक और महत्वपूर्ण कार्य बाकी था। जंगल में भटकने के चालीस वर्षों के दौरान, नई पीढ़ी के बहुत से पुरुषों का खतना नहीं हुआ था। मिस्र से निकलने वाली पीढ़ी के सभी लोग, जिन्होंने परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन किया था, मर चुके थे। अब उनके बच्चे, जो जंगल में पैदा हुए थे, वादा किए हुए देश में प्रवेश करने वाले थे। परमेश्वर ने यहोशू से कहा, “अब तू फिर से इन लोगों का खतना कर, क्योंकि मिस्र से निकलने वालों का अपमान आज तक दूर नहीं हुआ है।”
## **गिलगाल में खतना**
यहोशू ने फ्लिंट (चकमक) के पत्थरों से छुरे बनाए और गिलगाल में सारे पुरुषों का खतना किया। यह एक दर्दनाक प्रक्रिया थी, लेकिन यह परमेश्वर के वाचा का चिन्ह था। जब सभी का खतना हो गया, तो वे अपने तंबुओं में आराम करने लगे, जब तक कि उनके घाव भर नहीं गए।
इस्राएल के लोगों ने गिलगाल में ही रहकर परमेश्वर की प्रतीक्षा की। वे जानते थे कि अब वे वादा किए हुए देश में प्रवेश करने वाले हैं, और उन्हें पवित्र होना था।
## **फसह का पर्व**
उसी वर्ष, अबीब (निसान) महीने के चौदहवें दिन, इस्राएलियों ने गिलगाल में फसह मनाया। यह उनका पहला फसह था जो उन्होंने वादा किए हुए देश में मनाया। उन्होंने उस भूमि की उपज से अखमीरी रोटी और भुने हुए अन्न खाए। अगले दिन से मन्ना देना बंद हो गया, क्योंकि अब वे कनान देश की उपज खाने लगे थे।
## **यहोवा के सेनापति का प्रगट होना**
एक दिन, जब यहोशू यरीहो के निकट था, उसने अचानक एक व्यक्ति को देखा जो तलवार लिए खड़ा था। यहोशू ने उससे पूछा, “तू हमारी ओर का है या हमारे विरोधियों की ओर का?”
उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं न तो तेरी ओर का हूँ और न तेरे विरोधियों की ओर का, बल्कि मैं यहोवा की सेना का प्रधान हूँ।”
यहोशू समझ गया कि यह कोई साधारण मनुष्य नहीं, बल्कि स्वयं परमेश्वर का दूत है। वह घबरा गया और उसने भूमि पर मुँह के बल गिरकर प्रणाम किया। उस दूत ने यहोशू से कहा, “अपने जूते उतार दे, क्योंकि जहाँ तू खड़ा है, वह पवित्र भूमि है।”
यहोशू ने ऐसा ही किया। उसे यह बात याद आई कि कैसे मूसा को भी जलती हुई झाड़ी के पास यही आज्ञा मिली थी। यह एक संकेत था कि परमेश्वर स्वयं इस्राएल के साथ था और अब वह यरीहो को उनके हाथों में देने वाला था।
## **निष्कर्ष**
गिलगाल में हुए इन घटनाओं ने इस्राएल को याद दिलाया कि परमेश्वर उनके साथ है। खतना उनकी वाचा का प्रतीक था, फसह उनके छुटकारे की याद दिलाता था, और यहोवा के सेनापति का आगमन यह दिखाता था कि परमेश्वर स्वयं उनकी लड़ाई लड़ेगा। अब इस्राएल तैयार था—पवित्र, विश्वासयोग्य, और वादा किए हुए देश को जीतने के लिए तत्पर।