पवित्र बाइबल

यीशु मसीह द्वारा स्थापित नई वाचा और हृदय पर लिखी व्यवस्था

**एक नई वाचा की प्रतिज्ञा**

उस समय, जब पृथ्वी पर अंधकार छाया हुआ था और मनुष्य अपने पापों में डूबे हुए थे, परमेश्वर ने अपने प्रेम और दया से उन्हें बचाने का मार्ग तैयार किया। यहूदियों के महायाजक पवित्र निवास में प्रवेश करते थे और पशुओं के बलिदानों के द्वारा लोगों के पापों के लिए प्रायश्चित करते थे। परन्तु ये बलिदान पूर्ण नहीं थे—वे केवल एक छाया थे, उस सच्चे और श्रेष्ठतर बलिदान की, जो आने वाला था।

और फिर, समय पूरा हुआ। परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु मसीह को इस संसार में भेजा। वह सच्चा महायाजक बना, जो स्वर्ग में परमेश्वर के सिंहासन के दाहिने विराजमान हुआ। वह मनुष्यों के पापों के लिए एक ही बार सिद्ध और सर्वदा के लिए बलिदान हुआ। उसने पुरानी वाचा को पूरा किया और एक नई वाचा स्थापित की—जो व्यवस्था के पत्र पर नहीं, बल्कि हृदय की गहराई में लिखी गई थी।

**पुरानी वाचा की सीमाएँ**

पुराने समय में, परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों के साथ सीनै पर्वत पर एक वाचा बाँधी थी। उसने उन्हें व्यवस्था दी और आज्ञाएँ दीं कि वे उनका पालन करें। परन्तु लोग बार-बार विद्रोह करते रहे। उनके हृदय कठोर थे, और वे परमेश्वर की आज्ञाओं को भूल जाते थे। पशुओं के बलिदान उनके पापों को पूरी तरह से दूर नहीं कर सकते थे—वे केवल एक स्मरण थे कि पाप की मजदूरी मृत्यु है।

परमेश्वर ने यिर्मयाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था: *”वे दिन आते हैं, जब मैं इस्राएल के घराने और यहूदा के घराने के साथ एक नई वाचा बाँधूँगा… मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में लिखूँगा और उसे उनके हृदय पर अंकित करूँगा। मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे।”* (यिर्मयाह 31:31-34)

**यीशु—नई वाचा का मध्यस्थ**

यीशु मसीह, जो पवित्र और निष्कलंक था, इस संसार में आया। उसने अपने शुद्ध रक्त से एक नई वाचा स्थापित की। जिस प्रकार पुरानी वाचा में मूसा ने बछड़े और बकरों के रक्त से लोगों पर छिड़काव किया था, उससे भी अधिक महान्, यीशु ने स्वर्गीय पवित्रस्थान में प्रवेश किया और अपने रक्त से हमारे पापों का प्रायश्चित किया।

वह सच्चा तम्बू, जिसे मनुष्य ने नहीं, बल्कि स्वयं परमेश्वर ने खड़ा किया था, उसमें यीशु ने एक बार और सदा के लिए बलिदान चढ़ाया। अब कोई भी मनुष्य, चाहे वह यहूदी हो या अन्यजाति, यीशु के नाम पर विश्वास करके इस नई वाचा का भागी बन सकता है।

**हृदय में लिखी गई व्यवस्था**

इस नई वाचा में, परमेश्वर ने अपनी व्यवस्था हमारे हृदयों पर अंकित कर दी है। अब यह बाहरी नियमों का बोझ नहीं, बल्कि आत्मा की अगुवाई है। जो कोई मसीह में है, वह नया प्राणी बन जाता है—पुरानी बातें बीत गईं, सब कुछ नया हो गया।

परमेश्वर ने वादा किया: *”मैं उनके अधर्म को क्षमा करूँगा और उनके पापों को फिर कभी स्मरण नहीं करूँगा।”* अब हमें बार-बार बलिदान चढ़ाने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि यीशु ने सब कुछ पूरा कर दिया है। हमारा कर्तव्य है कि हम उसके अनुग्रह को ग्रहण करें और उसकी आत्मा के द्वारा जीवन जीएँ।

**श्रेष्ठतर आशा**

इसलिए, हे प्रिय भाइयों और बहनों, यदि पुरानी वाचा, जो केवल छाया थी, महिमामय थी, तो इस नई वाचा की महिमा कितनी अधिक होगी! यीशु हमारा सच्चा महायाजक है, जो सदैव हमारे लिए परमेश्वर के सामने निवेदन करता है। वह हमें पूर्ण उद्धार देता है और हमारे हृदयों को अपनी आत्मा से परिवर्तित कर देता है।

आओ, हम उसकी इस नई वाचा के प्रति विश्वासयोग्य बनें। उसके प्रेम में बने रहें और उसकी आज्ञाओं का पालन करें—न डर से, बल्कि प्रेम से, क्योंकि उसने हमें पहले ही प्रेम किया है।

**अन्तिम प्रतिज्ञा**

और इस प्रकार, परमेश्वर की यह नई वाचा सदैव बनी रहेगी। जो कोई इस पर विश्वास करता है, वह अनन्त जीवन पाएगा। यह वाचा पुरानी व्यवस्था की तरह पत्थर की पटियाओं पर नहीं, बल्कि हमारे हृदयों में लिखी गई है। यह हमें स्मरण दिलाती है कि हम अब दास नहीं, बल्कि परमेश्वर के पुत्र और पुत्रियाँ हैं।

*”धन्य है वह, जो इस नई वाचा में आश्रय लेता है!”*

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