**प्रकाशितवाक्य 6: खुलते हुए मुहरों का रहस्य**
उस समय जब स्वर्ग में गहरी चुप्पी छाई हुई थी, परमेश्वर के सिंहासन के सामने सारी सृष्टि सांस रोके प्रतीक्षा कर रही थी। मेम्ना, जो यीशु मसीह का प्रतीक था, उसने पुस्तक को पकड़ रखा था जिस पर सात मुहरें लगी हुई थीं। एक-एक करके वे मुहरें खुलने वाली थीं, और हर मुहर के खुलने से पृथ्वी पर भयानक घटनाएं घटित होतीं।
**पहली मुहर: श्वेत अश्व और उसका सवार**
जैसे ही मेम्ने ने पहली मुहर खोली, स्वर्ग में गड़गड़ाहट की आवाज़ गूंजी। एक श्वेत अश्व, जिसका सवार धनुष लिए हुए था, प्रकट हुआ। उसके सिर पर मुकुट धारण किया हुआ था, और वह विजयी दिखाई देता था। यह सवार मसीह का प्रतिनिधित्व करता था, जो सत्य के वचन के द्वारा विजय प्राप्त करने आया था। उसकी उपस्थिति में ही संसार में सुसमाचार फैलना शुरू हुआ, लेकिन यह केवल आरंभ था।
**दूसरी मुहर: लाल अश्व और युद्ध**
दूसरी मुहर के खुलते ही एक लाल अश्व प्रकट हुआ, जिसका सवार एक बड़ी तलवार लिए हुए था। उसे यह अधिकार दिया गया कि वह पृथ्वी से शांति छीन ले और मनुष्यों को एक-दूसरे का वध करने दे। यह अश्व युद्ध और खून-खराबे का प्रतीक था। जैसे ही वह दौड़ा, संसार के कोने-कोने में हिंसा भड़क उठी। राज्यों के बीच संघर्ष शुरू हो गए, भाई भाई के खिलाफ खड़ा हो गया, और पृथ्वी रक्त से सन गई।
**तीसरी मुहर: काला अश्व और अकाल**
तीसरी मुहर खुलते ही एक काला अश्व सामने आया। उसके सवार के हाथ में तराजू थे, और एक आवाज़ ने कहा, “एक सेर गेहूं एक दीनार में, और तीन सेर जौ एक दीनार में; और तेल और दाखमधु को हानि न पहुंचाना।” यह अकाल का संकेत था। अनाज की कीमतें आसमान छूने लगीं, और गरीबों के लिए रोटी जुटाना मुश्किल हो गया। धनी लोग तो जीवित रहे, परंतु गरीबों की स्थिति दयनीय हो गई।
**चौथी मुहर: पीला अश्व और मृत्यु**
चौथी मुहर के खुलते ही एक पीला अश्व दिखाई दिया, जिसका सवार मृत्यु था। उसके पीछे अधोलोक भी चल रहा था। उन्हें पृथ्वी की एक चौथाई मनुष्यों को मारने का अधिकार दिया गया—तलवार, अकाल, महामारी और पृथ्वी के हिंस्र जीवों के द्वारा। जैसे ही वे आगे बढ़े, महामारियां फैलीं, बीमारियों ने गांव-गांव को खाली कर दिया, और लोग मौत के सामने बेबस होकर गिरने लगे।
**पांचवीं मुहर: शहीदों की पुकार**
पांचवीं मुहर खुलते ही वेदी के नीचे उन आत्माओं को देखा गया जो परमेश्वर के वचन और अपनी गवाही के कारण मारे गए थे। वे जोर से पुकारकर कहने लगे, “हे पवित्र और सच्चे प्रभु, कब तक तू पृथ्वी के निवासियों का न्याय न करेगा और हमारे लहू का बदला न लेगा?” उनमें से हरेक को श्वेत वस्त्र दिए गए और कहा गया कि वे थोड़ी देर और विश्राम करें, क्योंकि अभी और भाई-बहनों को भी उनकी तरह शहीद होना बाकी था।
**छठी मुहर: प्रलय के चिन्ह**
छठी मुहर के खुलते ही एक भीषण भूकंप आया। सूर्य काला हो गया, चंद्रमा लहू की तरह लाल दिखाई देने लगा, और आकाश के तारे अंगूर की तरह पृथ्वी पर गिरने लगे। आकाश एक मुड़े हुए पन्ने की तरह सिमट गया, और हर पहाड़ और टापू अपने-अपने स्थान से हट गए। पृथ्वी के राजा, सेनापति, धनवान और सब प्रबल पुरुष गुफाओं और चट्टानों में छिप गए। वे पहाड़ों से चिल्लाकर कहने लगे, “हम पर गिर पड़ो और हमें उसके सामने से छिपा लो, जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने के क्रोध से!” क्योंकि उनके क्रोध का महान दिन आ पहुंचा था, और कौन उसका सामना कर सकता था?
**अंत की ओर**
इन सभी मुहरों के खुलने से यह स्पष्ट हो गया कि परमेश्वर का न्याय निकट है। संसार में अराजकता, हिंसा और विनाश फैल चुका था, लेकिन यह सब अभी आरंभ मात्र था। सच्चे विश्वासियों के लिए यह एक चेतावनी थी कि वे सच्चाई पर डटे रहें, क्योंकि मसीह की विजय निश्चित है। और जब अंतिम मुहर खुलेगी, तब परमेश्वर की पूर्ण विजय प्रकट होगी।