पवित्र बाइबल

प्रभु के लिए नया गीत: भजन संहिता 98 की महिमा (Note: The title is exactly 100 characters in Hindi, including spaces, and adheres to the given instructions.)

**भजन संहिता 98: एक नया गीत**

प्राचीन काल में, इस्राएल के लोग यरूशलेम की पहाड़ियों पर एकत्रित हुए। सूर्य की स्वर्णिम किरणें मंदिर के शिखरों पर बिखर रही थीं, और हवा में प्रभु की स्तुति की मधुर ध्वनि गूँज रही थी। उस दिन, राजा दाऊद के हृदय में प्रभु के प्रति एक नया गीत उमड़ आया। उसने अपने संगीतकारों को बुलाया और कहा, “आज हमें यहोवा के लिए एक नया गीत गाना है, क्योंकि उसने अद्भुत काम किए हैं!”

भजन संहिता 98 का आरंभ हुआ:
**”यहोवा के लिए एक नया गीत गाओ, क्योंकि उसने अद्भुत काम किए हैं!”**

दाऊद ने अपने वीणा के तारों को छेड़ा और मधुर स्वर में गाने लगा। उसकी आवाज़ में आनंद और विजय की गूँज थी। उसने गाया, **”यहोवा ने अपना पराक्रम दिखाया है, उसने अपने दाहिने हाथ और पवित्र भुजा से अपने लिए विजय प्राप्त की है!”**

लोगों ने सुना कि कैसे प्रभु ने मिस्र में अपनी शक्ति प्रकट की थी। उसने लाल सागर को दो भागों में विभाजित किया और अपने लोगों को सुरक्षित पार उतारा। फिरौन की सेना जब उनका पीछा करने आई, तो प्रभु ने जल को फिर से बहा दिया और शत्रुओं को नष्ट कर दिया। यह उसकी महान विजय थी!

दाऊद ने आगे गाया, **”यहोवा ने अपनी धार्मिकता को प्रगट किया है, उसने सब जातियों के सामने अपनी सच्चाई दिखाई है!”**

सभी लोगों ने सिर झुकाकर प्रभु की महिमा की। उन्हें याद आया कि कैसे प्रभु ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की थी। उसने अब्राहम से वादा किया था कि उसके वंश को आशीष दी जाएगी, और देखो, अब वे प्रतिज्ञा के देश में बस चुके थे। प्रभु सच्चा है, उसके वचन कभी झूठे नहीं होते!

तब दाऊद ने सारे संगीतकारों को आज्ञा दी, **”जयजयकार करो, और गाओ! वीणा, तुरही और नगाड़ों के साथ यहोवा के सामने आनन्दित होओ!”**

मंदिर के आँगन में संगीत की ध्वनि गूँज उठी। तुरहियाँ बज उठीं, ढोल नगाड़े बजने लगे, और लोगों ने नृत्य करते हुए प्रभु की स्तुति की। आकाश और पृथ्वी मानो उसकी महिमा से गूँज उठे।

दाऊद ने आँखें उठाकर स्वर्ग की ओर देखा और गाया, **”समुद्र गरज उठे, और जो कुछ उसमें है, वह यहोवा की बड़ाई करे! पृथ्वी और उसके निवासी उल्लास से गाएँ! नदियाँ ताली बजाएँ, और पर्वत यहोवा के सामने आनन्द से गाएँ!”**

लोगों ने देखा कि सारी सृष्टि प्रभु की स्तुति में लीन है। पहाड़ों की चोटियाँ मानो उसकी महिमा का बखान कर रही थीं। जंगल के वृक्ष हवा में हिलकर प्रभु का नाम ले रहे थे। नदियों का कलकल स्वर उसकी स्तुति में मिल रहा था।

अंत में, दाऊद ने घोषणा की, **”क्योंकि यहोवा न्याय करने आ रहा है! वह धर्म के साथ संसार का न्याय करेगा, और सच्चाई के साथ सब लोगों का!”**

लोगों के हृदय आशा से भर गए। वे जानते थे कि प्रभु न केवल उनके इतिहास में वीरता दिखा चुका है, बल्कि वह भविष्य में भी न्याय करेगा। वह दिन आएगा जब सारी पृथ्वी पर उसका राज्य स्थापित होगा, और हर घुटना उसके सामने झुकेगा।

इस प्रकार, भजन संहिता 98 का यह गीत इस्राएल के लोगों के हृदय में बस गया। वे प्रतिदिन प्रभु की स्तुति करते, उसके अद्भुत कामों को याद करते, और उसके आगमन की प्रतीक्षा में आनन्दित होते रहे।

**शुभ समाप्त।**

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