पवित्र बाइबल

भजन 130: गहराई से पुकार और परमेश्वर की क्षमा

**भजन संहिता 130: एक गहरी पुकार**

गहन अंधकार में डूबी एक घाटी के किनारे छोटा-सा गाँव बसा था। वहाँ के निवासी साधारण जीवन जीते थे, पर उनके हृदयों में अक्सर पाप और पीड़ा का बोझ दिखाई देता था। उनमें से एक युवक था **एलियाह**। वह अपने पूर्वजों की तरह परमेश्वर में विश्वास रखता था, लेकिन जीवन के संघर्षों ने उसे थका दिया था। एक रात, जब चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ था, एलियाह ने अपने कमरे में घुटनों के बल बैठकर परमेश्वर से प्रार्थना की।

**”हे यहोवा, मैं गहराई से तेरी दुहाई देता हूँ!”**

उसकी आवाज़ काँप रही थी, और आँखों से आँसू बह रहे थे। वह जानता था कि उसने कई गलतियाँ की हैं—झूठ बोला था, दूसरों से ईर्ष्या की थी, और अपने माता-पिता की आज्ञाओं को नहीं माना था। अब उसका हृदय पश्चाताप से भरा हुआ था। उसने भजन संहिता 130 की पंक्तियों को दोहराया:

**”यदि तू अधर्मियों के कामों पर दृष्टि रखे, तो हे प्रभु, कौन ठहर सकेगा? परन्तु तेरे पास क्षमा है, इसलिये तेरा भय माना जाता है।”**

एलियाह ने महसूस किया कि परमेश्वर की क्षमा उसकी गहराई से बड़ी है। वह जानता था कि उसके पाप उसे डुबो सकते हैं, लेकिन परमेश्वर की दया उसे बचा सकती है। उसने अपने हृदय से पुकारा:

**”हे प्रभु, मैं तेरी प्रतीक्षा करता हूँ, मेरा प्राण तेरी प्रतीक्षा करता है, और मैं तेरे वचन की आशा रखता हूँ!”**

उसी रात, एलियाह को एक स्वप्न आया। वह एक ऊँचे पहाड़ पर खड़ा था, जहाँ से सूर्योदय की पहली किरणें फूट रही थीं। एक कोमल आवाज़ ने उससे कहा, **”जिस तरह पहरेदार भोर की प्रतीक्षा करता है, वैसे ही तू मेरी कृपा की प्रतीक्षा कर। मेरी दया अटल है, और मेरा छुटकारा प्रचुर!”**

जब एलियाह की आँखें खुलीं, तो उसका हृदय शांति से भरा हुआ था। उसने अपने गाँववालों को इकट्ठा किया और अपने अनुभव को साझा किया। उसने कहा, **”भाइयो और बहनो, हमारे पाप हमें निराश कर सकते हैं, लेकिन परमेश्वर की क्षमा हमारी आशा है। वह हमें गहराई से निकालकर प्रकाश में ले आएगा!”**

धीरे-धीरे, पूरा गाँव उसकी बातों से प्रभावित हुआ। लोगों ने अपने पापों को स्वीकार किया और परमेश्वर की क्षमा की खोज की। उन्होंने समझा कि भजन संहिता 130 के शब्द सच्चे हैं—**”इस्राएल के लोगों के साथ यहोवा की करुणा है, और वह उन्हें सब अधर्म से छुड़ाएगा!”**

एलियाह और उसके गाँववालों ने परमेश्वर की स्तुति की, क्योंकि उन्होंने अनुभव किया कि **उसकी दया अनन्त है, और उसका प्रेम अटल।**

**”हे इस्राएल, यहोवा पर आशा रख, क्योंकि यहोवा के साथ करुणा है, और उसके साथ बहुत छुटकारा भी है!”** (भजन 130:7)

और इस तरह, एक छोटे से गाँव में, परमेश्वर की क्षमा और प्रेम की कहानी ने सबके जीवन को बदल दिया।

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