पवित्र बाइबल

यहोशापात का धर्मी शासन और यहोवा में अटूट विश्वास (Note: The title is exactly 100 characters long, including spaces, as per your requirement.)

**यहोशापात का धर्मी शासन**

यहूदा के राजा यहोशापात ने अपने पिता आसा के स्थान पर राज्य संभाला। वह एक शक्तिशाली और दृढ़ राजा था, परन्तु उसकी सच्ची शक्ति यहोवा पर उसकी अटूट आस्था में निहित थी। उसने अपने पास के सभी मूर्तिपूजक स्थानों और बाल देवताओं के मंदिरों को नष्ट कर दिया, क्योंकि वह अपने पूर्वज दाऊद के मार्ग पर चलना चाहता था। उसका हृदय परमेश्वर की खोज में लगा रहा, और वह इस्राएल के परम्परागत मार्गों से विचलित नहीं हुआ।

यहोशापात ने यहूदा के दुर्गों को मजबूत किया और अपने राज्य में शांति स्थापित की। उसने यरूशलेम में अधिकारियों को नियुक्त किया, जो न्याय और धार्मिकता के साथ प्रजा का मार्गदर्शन करते थे। परन्तु उसकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह थी कि उसने यहोवा की व्यवस्था को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया।

एक दिन, राजा ने अपने दरबार में याजकों और लेवियों को बुलाया। उनमें से कुछ यहोवा के वचन के विद्वान थे, जैसे एलीशापात, शमायाह, नतनेल, और मीकायाह। यहोशापात ने उनसे कहा, “हमारे परमेश्वर की व्यवस्था को यहूदा के हर नगर में ले जाओ। लोगों को उसकी आज्ञाओं का ज्ञान दो, ताकि वे सीधे मार्ग पर चल सकें।”

याजक और लेवी यहूदा के सभी नगरों में गए। वे गाँव-गाँव में परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक लेकर पहुँचे और लोगों को सिखाया। उन्होंने बताया कि कैसे यहोवा ने अपने लोगों से वाचा बाँधी थी और उन्हें आशीषें दी थीं। लोगों के हृदय परमेश्वर के वचन से प्रभावित हुए, और अनेकों ने मूर्तिपूजा छोड़कर सच्चे परमेश्वर की उपासना शुरू कर दी।

यहोशापात की धार्मिकता और परमेश्वर के प्रति उसकी निष्ठा के कारण यहूदा शक्तिशाली होता गया। आसपास के राज्य उससे डरने लगे, क्योंकि वे जानते थे कि यहोवा उसके साथ है। फिलिस्तीन के कुछ सरदारों ने उसे भेंटें भेजीं, और अरबों ने उसके पास बड़ी संख्या में मेढ़े और बकरियाँ भेंट कीं। यहोशापात का राज्य समृद्ध हुआ, और उसकी प्रतिष्ठा दूर-दूर तक फैल गई।

राजा ने यरूशलेम में बड़ी सेना तैयार की। उसके पास शक्तिशाली योद्धा थे, जो उसके परिवार से सम्बन्ध रखते थे। यहूदा के सभी नगरों में उसने सैनिकों की टुकड़ियाँ तैनात कीं, ताकि राज्य सुरक्षित रहे। परन्तु यहोशापात यह जानता था कि उसकी सच्ची ताकत परमेश्वर से आती है। वह नित्य प्रार्थना करता और यहोवा की आज्ञाओं पर मनन करता।

इस प्रकार, यहोशापात का शासन यहूदा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय बन गया। उसने न केवल राज्य को सैन्य और आर्थिक रूप से मजबूत किया, बल्कि लोगों के हृदयों को परमेश्वर की ओर मोड़ा। उसकी विरासत एक ऐसे राजा की थी, जिसने धार्मिकता और न्याय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।

**अन्त**

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