पवित्र बाइबल

धर्मी यादोन और दुष्ट रेमा: नीतिवचन 12 की शिक्षा

**बाइबल की एक कहानी: नीतिवचन 12 की शिक्षा**

एक समय की बात है, यरूशलेम से कुछ दूर एक छोटे से गाँव में दो किसान रहते थे। पहले किसान का नाम यादोन था, और दूसरे का नाम रेमा। यादोन परमेश्वर से डरने वाला और धर्मी व्यक्ति था, जबकि रेमा धोखेबाज़ और बेईमान था। उनके जीवन की कहानी नीतिवचन 12 की शिक्षाओं को साकार करती है।

### **धर्मी की जड़ें मजबूत होती हैं**

यादोन अपने खेत में मेहनत से काम करता था। वह सुबह जल्दी उठता, परमेश्वर से प्रार्थना करता, और फिर अपने खेतों में जुट जाता। उसने अपनी भूमि को अच्छी तरह जोता, उपजाऊ बनाया, और अच्छे बीज बोए। नीतिवचन 12:3 कहता है, *”मनुष्य दुष्टता के द्वारा स्थिर नहीं हो सकता, परन्तु धर्मी की जड़ें हिलाई नहीं जा सकतीं।”* यादोन की मेहनत और ईमानदारी के कारण उसकी फसल हमेशा अच्छी होती थी। गाँव के लोग उसकी प्रशंसा करते थे, क्योंकि वह न केवल अपने परिवार के लिए, बल्कि जरूरतमंदों के लिए भी अनाज बाँटता था।

वहीं दूसरी ओर, रेमा आलसी और चालाक था। वह जल्दबाजी में बिना ठीक से जुताई किए बीज बो देता था। कई बार वह अपने पड़ोसियों के खेत से अनाज चुरा लेता था। नीतिवचन 12:10 कहता है, *”धर्मी पशु के प्राण की चिन्ता करता है, परन्तु दुष्टों की करुणा भी निर्दयी होती है।”* रेमा अपने पशुओं से भी बुरा व्यवहार करता था, उन्हें भूखा रखता और मारता-पीटता था।

### **बुद्धिमान ज्ञान पसंद करते हैं, मूर्ख ताड़ना से घृणा करते हैं**

एक बार गाँव में भयंकर सूखा पड़ा। यादोन ने पहले से ही अपने खेतों में पानी के लिए नहरें बना रखी थीं और वर्षा के जल को संचित करके रखा था। उसकी तैयारी के कारण उसकी फसल सुरक्षित रही। लेकिन रेमा ने कभी भविष्य की चिंता नहीं की थी। उसका सारा अनाज सूखे की भेंट चढ़ गया।

गाँव के बुजुर्गों ने रेमा को समझाया, “तुम्हें यादोन की तरह मेहनत और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।” परन्तु रेमा ने उनकी बात को ठुकरा दिया। नीतिवचन 12:1 कहता है, *”जो शिक्षा से प्रेम रखता है, वह ज्ञान से प्रेम रखता है; परन्तु जो ताड़ना से घृणा करता है, वह मूर्ख है।”* रेमा की मूर्खता उसके विनाश का कारण बनी।

### **सत्य बोलने वालों की जीभ सदा टिकी रहती है**

एक दिन गाँव में राजा के सिपाही आए और उन्होंने सभी किसानों से अनाज का हिसाब माँगा। यादोन ने ईमानदारी से अपना सारा अनाज दिखाया और राजा के अधिकारियों को उचित कर दिया। लेकिन रेमा ने झूठ बोला और अपने अनाज का बहुत सा हिस्सा छिपा लिया। जब राजा को इसका पता चला, तो उसने रेमा को दंडित किया और उसका सारा अनाज जब्त कर लिया।

नीतिवचन 12:19 कहता है, *”सत्य बोलने वाली जीभ सदा टिकी रहती है, परन्तु झूठी जीभ क्षण भर की होती है।”* यादोन की सच्चाई उसके लिए आशीष बनी, जबकि रेमा का झूठ उसके लिए श्राप बन गया।

### **अंतिम परिणाम**

समय बीतता गया। यादोन का परिवार समृद्ध होता गया, क्योंकि परमेश्वर उसके कामों से प्रसन्न था। उसके बच्चे भी उसके मार्ग पर चले और समाज में आदर पाया। लेकिन रेमा की बेईमानी और आलस्य के कारण उसका घर उजड़ गया। वह दर-दर भटकने लगा और अंत में अकेला और दुखी रह गया।

इस कहानी से हमें नीतिवचन 12 की शिक्षा मिलती है:

1. **धर्मी की जड़ें गहरी होती हैं** – ईमानदारी और परिश्रम स्थिरता लाता है।
2. **ज्ञानी बनो, मूर्ख नहीं** – सीखने और सुधरने की इच्छा रखो।
3. **सत्य ही स्थायी है** – झूठ का अंत बुरा होता है।

परमेश्वर हमें बुद्धि दे कि हम धर्मी जीवन जिएँ और उसकी आशीषों को प्राप्त करें।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *